छत्तीसगढ़ में पहली बार प्रतिपक्ष का नेता जीता


chhattisgarh myth of opposition leader not to win election

 

छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव में बड़ी जीत के साथ ही कांग्रेस ने नेता प्रतिपक्ष के कभी भी चुनाव नहीं जीतने के मिथक को तोड़ दिया है. हालांकि विधानसभा अध्यक्ष इस चुनाव में भी नहीं जीत सके.

वर्ष 2000 में छत्तीसगढ़ राज्य की स्थापना हुई और जब पहली बार 2003 में विधानसभा के चुनाव कराए गए तब से लेकर 2013 के चुनाव तक नेता प्रतिपक्ष अपनी सीट नहीं बचा पाए थे. लेकिन इस वर्ष विधानसभा चुनाव में टीएस सिंह देव ने जीत हासिल कर इस मिथक को तोड़ दिया है.

अंबिकापुर विधानसभा सीट से टीएस सिंह देव ने भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी अनुराग सिंह देव को 39,624 मतों से हराया है.

वर्ष 2000 में राज्य गठन के बाद यहां अजीत जोगी के नेतृत्व में कांग्रेस की सरकार बनी थी. इस दौरान बीजेपी के वरिष्ठ आदिवासी नेता नंद कुमार साय को विधानसभा में विपक्ष का नेता बनाया गया था.

2003 में जब पहली बार राज्य में विधानसभा के चुनाव हुए तब मारवाही सीट से नंद कुमार साय ने मुख्यमंत्री अजीत जोगी के खिलाफ चुनाव लड़ा था. साय चुनाव हार गए थे. हालांकि इस चुनाव में बीजेपी ने रमन सिंह के नेतृत्व में पूर्ण बहुमत की सरकार बनाई थी.

जब राज्य में बीजेपी की सरकार बनी तब कांग्रेस को विपक्ष में बैठना पड़ा और वर्ष 2003 से 2008 के दौरान महेंद्र कर्मा विपक्ष के नेता रहे. जब 2008 में विधानसभा के चुनाव हुए तब कर्मा दंतेवाड़ा सीट से चुनाव हार गए. वर्ष 2008 में बीजेपी की दूसरी बार सरकार बनी।

जब राज्य में 2008 से 2013 के बीच बीजेपी की सरकार थी तब रविंद्र चौबे विपक्ष के नेता रहे और 2013 के चुनाव में रविंद्र चौबे साजा सीट से हार गए. इस दौरान राज्य में तीसरी बार रमन सिंह के नेतृत्व में बीजेपी की सरकार बनी थी.

वर्ष 2013 में टीएस सिंह देव विपक्ष के नेता बने. इस वर्ष हुए चुनाव में सिंह देव अंबिकापुर से चुनाव मैदान में थे लेकिन इस चुनाव में जीत के साथ ही उन्होंने इस मिथक को भी तोड़ दिया कि नेता प्रतिपक्ष इस राज्य में चुनाव नहीं जीत सकते हैं.

हालांकि बीजेपी के शासनकाल में किसी भी विधानसभा अध्यक्ष के चुनाव नहीं जीत पाने का मिथक बरकरार है. इस वर्ष चुनाव में विधानसभा अध्यक्ष गौरीशंकर अग्रवाल कसडोल सीट से चुनाव हार गए हैं.

इससे पहले वर्ष 2008 और 2013 के चुनाव में भी विधानसभा अध्यक्ष चुनाव हार चुके हैं.

(भाषा)


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