निम्न कौशल और शॉर्ट टर्म नौकरियों में खप रहे हैं किसानों के बच्चे


Children of farmers are getting short term jobs

 

मोबाइल एप्लीकेशन आधारित सेवाओं से जुड़ी कंपनियों की निम्न कौशल नौकरियों में ज्यादातर नौकरियां खेती-किसानी छोड़कर गांव से पलायन करने वाले लोगों को मिल रही हैं.  इंडिया स्पेंड की रिपोर्ट के मुताबिक भारत के अस्थिर अर्थव्यवस्था में एप्लीकेशन आधारित कैब सेवा, फूड डिलीवरी जैसे कामों में ग्रामीण और अर्ध्द शहरी क्षेत्रों से आने वाले कामगार या तो किसान हैं या किसान के बच्चे हैं. इन कंपनियों में शार्ट टर्म नौकरियों पर इन लोगों को रखा जाता है.

अध्ययन के सह लेखक और ‘जस्ट जॉब नेटवर्क’ के रिसर्च एसोसिएट दिव्य प्रकाश ने कहा, “नैशनल सैम्पल सर्वे 2004-05 और 2001-12 के बीच देश में किसानों की संख्या 190 लाख घटकर 1410 लाख रह गई है और भूमिहीन मजदूरों की संख्या में 19 फीसदी की कमी के बाद 690 लाख हो गई है.

अध्ययन के मुताबिक ऐसे केवल आठ फीसदी लोग ही वैज्ञानिक, अर्थशास्त्री, शिक्षक या कानून संबंधी नौकरी कर रहे हैं जिनके पिता निम्न कौशल मजदूर (धोबी, लोहार, खान-मजदूर, पेंटर) हैं.

प्रकाश ने कहा कि अपवार्ड मोबिलिटी यानी निम्न कौशल वाले पेशेवर से उच्च पेशेवर में जाने की दर  बहुत कम हैं. जबकि उनके(निम्न कौशल वाले कामगारों) के लिए बैकवार्ड मोबिलिटी काफी अधिक है. वहीं उच्च जाति और शहरी क्षेत्रों में रहने वालों के लिए पेशे के लिहाज से आगे बढ़ने की संभावना अधिक है.

पिता के पेशे को अपनाने की दर 3.1 परसेंटेज प्वाईंट रही है जबकि निम्न कौशल की नौकरियों के मामले में यह 8.1 रही है.

नन-डायरेक्शनल इनकम मोबिलिटी इंडेक्स से आय में परिवर्तन का पता चलता है.  यह साल 2004 से 2011 के बीच 1.165 रहा है जबकि डायरेक्शनल मोबिलिटी इंडेक्स 0.949 रहा है.  डायरेक्शनल मोबिलिटी के आगे बढ़ने से वास्तविक आय में वृद्धि और आर्थिक हैसियत में बढ़ोत्तरी का पता चलता है.

अध्ययन के मुताबिक सभी राज्यों में इनकम मोबिलिटी यानी आय में वृद्धि हुई है लेकिन इसकी दर सभी राज्यों में समान नहीं है.

उत्तर पूर्व के तीन राज्यों– मिजोरम, सिक्किम और त्रिपुरा में कम ही सही लेकिन इनकम मोबिलिटी में धनात्मक वृद्धि हुई है. 2005 की तुलना में 2011 में यहां के परिवारों की आय में मामूली वृद्धि दर्ज की गई है.


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