नागरिकता संशोधन विधेयक के विरोध में उग्र हुआ प्रदर्शन
केंद्र के नागरिकता संशोधन विधेयक के खिलाफ हो रहे भारी विरोध-प्रदर्शन की आग पूर्वोत्तर क्षेत्रों में तेजी से फ़ैल रही है. पूर्वोत्तर के संगठन और लोग इस कदर इस विधेयक और मोदी सरकार से नाराज थे कि उन्होंने काले झंडे लहराते हुए नग्न होकर प्रदर्शन किया. इस दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का पुतला भी जलाया गया.
लोगों के विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व ‘मणिपुर पीपुल अगेन्सट सिटिजन्स अमेंडमेनट्स बिल’ (एमएएनपीएसी) ने किया जिसमें लगभग 70 नागरिक संगठन शामिल थे.
त्रिपुरा के सेपाहीझाला जिले के जमपुईजाला बाजार में विभिन्न जनजातीय संगठनों और क्षेत्रीय राजनीतिक दलों ने बिल के विरोध में टॉर्च रैली भी निकाली.
त्रिपुरा के शाही वंशज प्रद्योत माणिक्य देबबर्मा ने कहा, “मुझे उम्मीद है कि प्रधानमंत्री को समझदारी आएगी. उन्हें इस बात का एहसास होगा कि अगर वह बिल अपने वर्तमान स्वरूप में पारित हो जाता है तो वह देश को क्या नुकसान पहुंचाएगा.
उन्होंने यह भी जोड़ा कि वर्तमान विधेयक क्षेत्र के स्वरूप को हमेशा के लिए बदल देगा. सरकार पूरे क्षेत्र को असुरक्षित नहीं बना सकती है. इंफाल और असम में लोग सरकार से सबसे ज्यादा नाराज दिखे. उन्होंने सरकार के खिलाफ नग्न होकर प्रदर्शन किया. वहीं, संयुक्त एनजीओ समन्वय समिति के तहत मिजोरम में प्रदर्शनकारियों ने ‘मिजोरम के स्वतंत्र गणराज्य’ की घोषणा की.
इसके साथ-साथ शांतिपूर्ण प्रदर्शन के लिए ‘हेलो न्यू क्रिश्चियन कंट्री’, ‘हैलो इंडिपेंडेंस’ का प्लेकार्ड और बैनर पकड़े स्कूली बच्चों सहित लोग आइज़ॉल के सिटी स्क्वायर पर एकत्रित हुए. युवा मिजो एसोसिएशन के महासचिव लालमाछुआना ने कहा, “हम स्वतंत्र मिजोरम चाहते हैं. क्योंकि केंद्र सरकार ने लोगों की शिकायतों पर ध्यान नहीं दिया है.
उन्होंने जोड़ा कि विरोध के बावजूद बीजेपी की अगुवाई वाली एनडीए सरकार इस बिल को पारित करने पर अड़ी हुई है. मिजोरम के पूर्व मुख्यमंत्री लाल थनहवला ने भी विरोध प्रदर्शन में भाग लिया. उन्होंने सत्तारूढ़ मिजो नेशनल फ्रंट पर केंद्र सरकार से डरने का आरोप लगाया.
हालांकि, बीजेपी सरकार इस मुद्दे पर दृढ़ है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नागरिकता विधेयक को ’राष्ट्रीय जिम्मेदारी’ बताते हुए इसे पारित करने में मदद करने को कहा है. साथ ही भारत में बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान के गैर-मुस्लिम अल्पसंख्यकों के पुनर्वास के लिए सरकार की प्रतिबद्धता को दोहराया है.
प्रधानमंत्री के बयानों के बाद से पूर्वोत्तर में बिल के विरोध में प्रदर्शन और क्षेत्र के हर हिस्से में सरकार विरोधी रैलियां शुरू हो गई हैं. त्रिपुरा में कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष प्रद्योत देबबर्मा ने कहा, “हम भारत के लिए बोलते हैं और जो लोग पाकिस्तान और बांग्लादेश के लिए बोल रहे हैं, वे खुद को देशभक्त कहते हैं.”
देबबर्मा ने हाल ही में खुमुलुंग में आदिवासियों की विशाल रैली का नेतृत्व किया था.
दरअसल, इस विधेयक के विरोध के तेज होने का कारण प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का 9 फरवरी को गुवाहाटी में बीजेपी की एक रैली में दिया गया बयान भी है. उन्होंने कहा था कि हमें ‘घुसपैठियों’ और अपने मूल देश में उत्पीड़न की वजह से देश को छोड़ने लिए मजबूर लोगों के बीच अंतर करना चाहिए.
नई दिल्ली स्थित राइट्स ऐंड रिस्क्स एनालिसिस ग्रुप (आरआरएजी) के निदेशक, सुहास चकमा का कहना है कि कानून इस तरह का भेदभाव करने की अनुमति नहीं देता है. चकमा ने कहा कि राजनीति उन लोगों के बीच अंतर कर सकती है, जो असम पर कब्जा करना चाहते हैं और जो असहाय हैं. लेकिन, कानून इस तरह का भेद करने की अनुमति नहीं देता है. भारत कानून के नियमों से शासित है. इसलिए श्रीलंका के एक हिंदू को बांग्लादेश के हिंदू के समान ही अधिकार होगा.
बीते दिनों इम्फाल के इमा बाजार में रविवार को महिला विक्रेताओं की भीड़ ने सरकार विरोधी नारे लगाए. इसके बाद पुलिस ने प्रदर्शनकारियों पर आंसू गैस के गोले दागे और धुएं के गुबार भी छोड़े.
सोमवार आधी रात के बाद से मणिपुर में ग्रेटर इंफाल क्षेत्र में कर्फ्यू लगाने के साथ ही मोबाइल इंटरनेट सेवाओं को निलंबित कर दिया गया था. राज्य भर में अतिरिक्त सुरक्षाकर्मियों को सरकारी कार्यालयों और राज्य के सांसदों और विधायकों के आवासों पर तैनात किया गया है. मणिपुर पुलिस ने अप्रिय घटनाओं को रोकने के लिए रणनीतिक स्थानों पर बैरिकेड्स लगा दिया है.