सुप्रीम कोर्ट में जजों की संख्या बढ़ाने के लिए CJI ने प्रधानमंत्री मोदी को लिखा पत्र


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देश की न्यायपालिका इस समय मुकदमों के बोझ तले दबी हुई है. सुप्रीम कोर्ट और सभी हाई कोर्ट में कुल मिलाकर 43 लाख मुकदमे सुनवाई का इंतजार कर रहे हैं. चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने इसी चिंता को ध्यान में रखते हुए प्रधानमंत्री को तीन पत्र लिखे हैं, जिनमें उन्होंने इस स्थिति से निपटने के लिए कुछ न्यायिक सुधार करने की बात कही है.

इसमें उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में जजों की संख्या बढ़ाने के लिए संवैधानिक संशोधन की मांग की है. इस समय सुप्रीम कोर्ट में जजों की निर्धारित संख्या 31 है. साथ ही उन्होंने जजों के रिटायरमेंट की उम्र 62 की जगह 65 करने के लिए संविधान में संशोधन करने की सिफारिश भी की है.

चीफ जस्टिस ने तीसरे पत्र में रिटायर्ड जजों को मुकदमों की सुनवाई करने के लिए अधिकृत करने के पुराने चलन को फिर से शुरू करने की मांग की है. संविधान के अनुच्छेद 128 और 224ए में ऐसे प्रावधान पहले से मौजूद हैं.

उन्होंने कहा है कि एक दशक से ज्यादा दिन बाद सुप्रीम कोर्ट अपनी 31 सदस्यीय संख्या में आ सका है. इस समय कोर्ट में 58,669 मामले सुनवाई के इंतजार में हैं. और नए मामले आने से इनकी संख्या लगातार बढ़ती जा रही है.

गोगोई ने अपने पत्र में कहा है कि सुप्रीम कोर्ट में 26 मामले ऐसे हैं जो 25 साल से विचाराधीन हैं. 100 मामले 20 से, 593 मामले 15 साल से और 4,977 मामले 10 साल से विचाराधीन हैं.

चीफ जस्टिस ने कहा है कि जजों की संख्या कम होने के चलते हम पांच जजों वाली संवैधानिक पीठों का गठन नहीं कर पा रहे हैं. जिनकी वजह से कानून की संवैधानिकता और संविधान की व्याख्या से संबंधित मामलों की सुनवाई नहीं हो पा रही है.

उन्होंने प्रधानमंत्री को इस बात से अवगत कराया कि 2007 में तत्कालीन चीफ जस्टिस ने जजों की संख्या बढ़ाने का आग्रह किया था, लेकिन उस मांग पर कोई ध्यान नहीं दिया गया.

चीफ जस्टिस ने अपने पत्र में पीएम मोदी से जजों की उम्र सीमा बढ़ाने के लिए भी संविधान संशोधन करने की मांग की है. उन्होंने कहा है कि जजों की रिटायर्ड होने की उम्र 62 से बढ़ाकर 65 कर देनी चाहिए.

उन्होंने कहा कि हाई कोर्टों में 43 लाख मामले विचाराधीन होने के पीछे जजों की भारी कमी है. गोगोई ने बताया कि इस समय जजों की 399 पोस्ट खाली हैं. ये जजों की कुल संख्या का 37 फीसदी हैं.

रंजन गोगोई ने कहा, “इस समय जो हालात हैं उसके मुताबिक मैं समझता हूं कि हाई कोर्ट के जजों की रिटायरमेंट होने की उम्र में कम से कम तीन साल का इजाफा होना चाहिए.

ये तरीका रिक्तियों से उबरने में मदद करेगा और विचाराधीन मामलों को भी कम करने में सहायक होगा. ये संसद की स्टैंडिंग कमिटी की सिफारिशों के मुताबिक भी होगा.”

इससे पहले संसद की स्टैंडिंग कमिटी हाई कोर्ट के जजों की रिटायरमेंट उम्र 62 से 65 और सुप्रीम कोर्ट की 65 से 67 करने की सिफारिश की थी. लेकिन विधि मंत्रालय ने कहा था कि फिलहाल उसके पास ऐसा कोई प्रस्ताव नहीं है.


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