इंटरनेट बंद से हर घंटे दो करोड़ 45 लाख रुपये का घाटा


COAI said internet shutdown should be the last option for govt

 

सेल्युलर ऑपरेटर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (सीओएआई) सरकार को लगातार इंटरनेट बंद करने के संबंध में पत्र लिख रहा है. एसोसिएशन ने कहा कि इंटरनेट बंद करके सरकार ‘लोगों को उनके अधिकारों से वंचित रख’ रही है. हालांकि सरकार की ओर से इस पर कोई जवाब नहीं आ रहा है.

सीओएआई के मुताबिक इंटरनेट बंद करने से होने वाला नुकसान 2019 में बढ़कर दो करोड़ 45 लाख रुपये प्रति घंटा हो गया.

द इंडियन एक्सप्रेस से सीओएआई के महासचिव राजन मैथ्यू ने कहा, ‘सरकार राजस्थान पेपर लीक और जम्मू-कश्मीर में हिंसा से निपटने- दोनों ही मामलों में एक ही तरीका अपना रही है, इंटरनेट बंद. हमें नहीं पता किस खुफिया जानकारी या समीक्षा के बाद सरकार ये फैसला लेती है. पर सरकार को देश भर में स्थितियों से निपटने के लिए एक ही नीति अपनाने से पहले इंटरनेट बंद करने के फायदे और नुकसान पर विचार करने की जरूरत है.’

सरकार ने बीते कई महीनों से कश्मीर घाटी में इंटरनेट सुविधाओं पर रोक लगा रखी है जबकि सीएए के खिलाफ विरोध प्रदर्शनों के बाद से ही उत्तर प्रदेश के अलग-अलग हिस्सा में लगातार इंटरनेट बंद किया गया.

सीओएआई के अधिकारियों ने कहा कि 8 अगस्त, 2017 की गजट अधिसूचना के तहत इंटरनेट बंद करने की प्रक्रिया का भी पालन नहीं किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि इस बारे में भी सरकार को सूचित किया गया है.

मैथ्यू ने कहा कि 2019 में इंटरनेट बंद करने की करीबन 100 घटनाएं हुईं. उन्होंने कहा कि सरकार को इंटरनेट बंद करने से होने वाले सामाजिक और आर्थिक प्रभाव को आकलन कर इसे अंतिम विकल्प के तौर पर देखना चाहिए.

उन्होंने इस संबंध में सरकारी एजेंसियों की विफलता को भी उजागर किया. उन्होंने कहा कि ‘खुफिया और साइबर एजेंसी गलत जगह से आ रहे इंटरनेट ट्रैफिक को पकड़ने में सक्षम होनी चाहिए. एक पूरे भूभाग के लोगों को उनके अधिकारों से वंचित करने से बेहतर है कि सरकार रणनीतिक कदम उठाकर टारगेट पर वार करे.’


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