मध्य प्रदेश डायरी: मध्य प्रदेश में लौटी दिग्विजय शासन की व्‍यवस्‍था


comeback of digvijay's rule in madhya pradesh

 

मंत्रालय के बंद कमरों में बैठकर निर्णय करने की जगह जनता के बीच जा कर वहां समस्‍या सुनने की मध्य प्रदेश की दिग्विजय सरकार की नवाचारी पहलों को कमलनाथ सरकार दोबारा लागू कर रही है. बीते 15 सालों के दौरान बीजेपी ने अपने शासन में ‘आपकी सरकार आपके द्वार’ और प्रभारी सचिव जैसी पहलों को बंद कर दिया था. नाथ सरकार ने प्रदेश में जन समस्याओं को सुनने के लिए अपर मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव, सचिवों को जिलों का प्रभारी सचिव नियुक्‍त कर दिया है.

इन अधिकारियों के लिए प्रभार वाले जिले का कम से कम दो माह में एक बार जाना अनिवार्य किया गया है. ये अफसर भ्रमण के दौरान सरकार की उच्च प्राथमिकता वाली योजनाओं के क्रियान्वयन की समीक्षा करेंगे. वे समस्‍याओं का मौके पर ही निराकरण करेंगे. बीजेपी सरकार में तत्‍कालीन मुख्‍यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी अपने शासनकाल के अंतिम कुछ माह पहले आईएएस और आईपीएस अधिकारियों को जिलों का भ्रमण कर जनता की समस्‍याएं सुनने भेजा था मगर उनका प्रयोग आईएएस-आईपीएस की आपसी खींचतान में उलझ कर रह गया था. नाथ सरकार ने आईएएस को ही यह काम सौंप कर सुशासन के दिग्विजय मॉडल को लागू किया है.


विधायक विजयवर्गीय के दनादन कांसेप्‍ट में उलझी बीजेपी

बीजेपी के राष्‍ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय के विधायक पुत्र आकाश विजयवर्गीय के ‘बैटकांड’ से बीजेपी उलझ गई है कि वह आकाश का समर्थन करे या नहीं. शुरुआत में तो बीजेपी नेताओं ने आकाश का जोरशोर से बचाव किया था मगर आकाश और उनके पिता कैलाश विजयवर्गीय के बयानों के बाद उठे विवादों से पार्टी नेता असमंजस से घिर गए. आकाश ने इंदौर में एक जर्जर भवन ढहाने की मुहिम के दौरान हुए नगर निगम के भवन निरीक्षक को क्रिकेट बैट से पीट दिया था. इसके बाद आकाश ने मीडिया से कहा था कि वे जनता की समस्‍या के मामले में ‘आवेदन, निवेदन फिर दनादन’ की कांसेप्‍ट पर काम करते हैं. जो अधिकारी उनकी नहीं सुनेगा उसकी पिटाई होगी. वे उस जर्जर मकान को गिराने का विरोध कर रहे थे जिसे तोड़ने का आदेश बीजेपी सरकार के दौरान दिया गया था. आकाश के साथ ही उनके पिता कैलाश विजयवर्गीय ने भी मीडिया द्वारा सवाल करने पर टीवी एंकर से उसकी हैसियत पूछ ली थी.

इन बयानों से उठे विवाद के बाद बीजेपी नेता बैकफुट पर आ गए. वे मीडिया से सवालों से बच रहे हैं. हालांकि, विजयवर्गीय समर्थक इंदौर में ‘सेल्‍यूट टू आकाश’ के पोस्‍टर लगाने के साथ सोशल मीडिया पर पोस्‍ट कर मोर्चा संभाले हुए हैं. वे कह रहे हैं कि आकाश शांत नेता हैं, वे क्षणिक रूप से उत्‍तेजित हो गए थे. एक तरफ जहां विजयवर्गीय पिता-पुत्र द्वारा दुर्व्‍यवहार के कारण पार्टी संकट में रही वहीं विधायक आकाश की तरह ही दमोह में भारतीय जनता पार्टी युवा मोर्चा के उपाध्यक्ष विवेक अग्रवाल नगरपालिका कर्मचारी को धमकाने के लिए बैट ले कर पहुंच गए. इंदौर में आकाश विजयवर्गीय के समर्थक ने आत्‍मदाह की कोशिश भी की. सतना जिले के रामनगर परिषद अध्यक्ष भाजपा नेता रामसुशील पटेल सहित आधा दर्जन लोगों ने सीएमओ के चेंबर में घुसकर उनके साथ जमकर मारपीट की. हालांकि, पार्टी से ऐसे कृत्‍यों से किनारा कर अपना दामन बचाने का जतन किया है मगर विधायक आकाश के ‘बैटकांड’ के इस तरह ‘संक्रामक’ होने से चिंताएं तो गहराई हैं.


केन्‍द्रीय मंत्री पटेल की चुप्‍पी ने बचाया बेटे को

बीजेपी के राष्‍ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने मीडिया से हैसियत पूछकर अपने बेटे के विवाद को बढ़ाया, जबकि केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद पटेल ने मारपीट और गोली चलाने के अपने बेटे प्रबल पटेल के खिलाफ हुई एफआईआर पर चुप्‍पी साध कर ‘राजनीतिक समझदारी’ का परिचय दिया. असल में, पुलिस के मुताबिक, गोटेगांव थाना क्षेत्र में एक शादी समारोह से लौट रहे दो लोगों का केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद पटेल के बेटे प्रबल से झगड़ा हो गया. विवाद बढ़ा तो दोनों ओर से मारपीट हुई और गोली भी चली, जिसमें एक शख्स घायल हो गया. पीडि़त ने प्रबल तथा साथियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाई.

इस मामले पर प्रह्लाद पटेल ने प्रतिक्रिया में कहा था कि जो हुआ वह दुर्भाग्यपूर्ण था. कानून अपना काम करेगा. उनकी इस टिप्‍पणी के बाद न तो विवाद उठा, न ही कांग्रेस की ओर ये अधिक हमले हुए बल्कि पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान जैसे नेताओं ने प्रबल का बचाव किया. पार्टी के बचाव में आने से पटेल को विजयवर्गीय जैसा न ही व्‍यक्तिगत नुकसान हुआ न ही उनकी छवि को बड़ी हानि हुई.


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