प्रधानमंत्री फसल बीमा योजनाओं में पारदर्शिता की कमी हैं: संसदीय समिति
संसद की एक समिति ने बताया कि सरकार द्वारा चलायी जा रही दोनों फसल बीमा योजनाओं में पारदर्शिता की कमी सहित कई ‘समस्याएं’ हैं. समिति ने यह भी सुझाव दिया है कि ज्यादा से ज्यादा किसानों को फसल बीमा योजनाओं की ओर आकर्षित करने के लिए इन योजनाओं की मद में पर्याप्त पूंजी आवंटन की जरूरत है.
वरिष्ठ बीजेपी नेता मुरली मनोहर जोशी की अगुवाई वाली संसदीय समिति ने जैविक खेती करने वाले किसानों की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए कृषि बीमा योजना के पुनर्गठन की सिफारिश की है. इस योजना में बहु-फसल प्रणाली को भी शामिल किए जाने की अनुशंसा की गयी है.
समिति ने केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय के अंतर्गत जलवायु परिवर्तन पर राष्ट्रीय कार्य योजना के प्रदर्शन पर अपनी 30वीं रपट में कहा है कि टिकाऊ कृषि से जुड़ा राष्ट्रीय मिशन टिकाऊ खेती के लिए पहल करते समय किसानों पर ध्यान देने से ‘चूक’ जाता है.
समिति ने कहा है कि अगर किसानों को खुद को स्थिरता प्रदान करने का मौका दिया जाता है तो ही कृषि एक टिकाऊ पेशे के रूप में बना रहेगा. इसके लिए जरूरी है कि किसानों को बेहतर बीज मिले. उन्हें सर्वश्रेष्ठ कृषि तकनीक की जानकारी हो और सरकार की ओर से खतरों को कवर करने के लिए समर्थन मिले.
समिति ने 2016 में शुरू की गई प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में कई तरह की समस्याएं गिनाई हैं. इसमें फसल काटने के अनुभवों में होने वाली देरी और उससे जुड़ी ऊंची लागत जैसी समस्याएं बताई गई हैं. इसके साथ ही बीमा दावों के भुगतान में देरी और भुगतान नहीं होना जैसी समस्याएं भी सामने रखी गई हैं. योजना में पारदर्शिता की कमी भी बताई गई है.
करीब एक महीने पहले पी साईनाथ ने मोदी सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा था कि प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना राफेल से भी बड़ा घोटाला है. उनका दावा है कि महाराष्ट्र के एक जिले में फसल बीमा योजना के तहत रिलायंस इंश्योरेंस ने किसानों से 173 करोड़ रुपये लिए थे और सिर्फ 30 करोड़ रुपये बीमा के नाम पर लौटाया.
उन्होंने कहा था कि इस तरह बीमा कंपनियों ने बगैर एक पैसा लगाए सिर्फ एक जिले से 143 करोड़ कमा लिए और पूरे भारत के स्तर पर अनुमान लगाए तो आंकड़ा चौंकाने वाला होगा.
द वायर की एक रिपोर्ट के मुताबिक प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना लागू होने के बाद से इसमे कवर किए गए किसानों की संख्या में सिर्फ 0.42 प्रतिशत की वृद्धि हुई है वहीं बीमा कंपनियों को मिलने वाले मुनाफे में 350 प्रतिशत की वृद्धि हुई है.