चक्रवात ‘फोनी’ के नाम को लेकर इतना भ्रम क्यों है?
चक्रवाती तूफान फोनी ने विकराल रूप ले लिया है. यह बहुत तेजी से ओडिशा की ओर बढ़ रहा है. इसे देखते हुए एनडीआरएफ की टीमों, नौसेना और तटरक्षक बल को चौकन्ना कर दिया गया है. ओडिशा के तटीय इलाके लगातार खाली करवाए जा रहे हैं, लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया जा रहा है. सेना और वायु सेना की टुकड़ियों को भी अलर्ट पर रखा गया है. मौसम विभाग ने आशंका जताई है कि फोनी भारी तबाही मचा सकता है.
बहरहाल, हिंदी मीडिया में फोनी को लेकर अलग ही स्तर पर भ्रम का माहौल बना हुआ है. असल में फोनी के उच्चारण को लेकर अलग-अलग मीडिया समूह भ्रम की स्थिति में हैं. अलग-अलग मीडिया हाउस इसे अलग-अलग तरीके से लिख रहे हैं. अंग्रेजी में इसे ‘Fani’ लिखा जा रहा है. वहीं हिंदी में इसे फेनी, फानी, फोनी, फैनी इत्यादि नामों से लिखा जा रहा है. एनडीटीवी ने तो अपनी एक रिपोर्ट में इसे तीन अलग-अलग तरीके से लिखा है.
इस चक्रवात का सही उच्चारण फोनी है. बांग्लादेश के सुझाव पर इस चक्रवात का नाम फोनी रखा गया है.
असल में चक्रवातों के नाम रखने की प्रक्रिया बहुत रोचक है. इस प्रक्रिया में बहुत ही उच्च स्तर की संवेदनशीलता बरती जाती है. उत्तरी हिंद महासागर में उठने वाले चक्रवातों को लेकर तो इस ओर खास ध्यान रखा जाता है.
बीबीसी में छपी एक रिपोर्ट के अनुसार भारत के चक्रवात चेतावनी केंद्र के अधिकारी डॉक्टर एम महापात्रा कहते हैं कि नामों के निर्धारण में इसलिए इतनी संवेदनशीलता बरती जाती है ताकि लोगों की भावनाओं को ठेस ना पहुंचे.
साल 1953 से मायामी नेशनल हरीकेन सेंटर और वर्ल्ड मेटीरियोलॉजिकल ऑर्गनाइजेशन (डब्लूएमओ) तूफानों और उष्णकटिबंधीय चक्रवातों के नाम रखता रहा है. साल 2004 में इसे भंग कर दिया गया और सभी देशों को अपने यहां आने वाले चक्रवातों का नाम खुद रखने को कहा गया.
इसके तुरंत बाद भारत, श्रीलंका, मालदीव, म्यामांर, बांग्लादेश, ओमान, पाकिस्तान और थाईलैंड को मिलाकर कुल आठ देशों ने एक बैठक में हिस्सा लिया. इस बैठक में हर देश ने आने वाले तूफान के लिए आठ नाम सुझाए. कुल मिलाकर 64 नामों की एक सूची तैयार हुई.
इस बैठक में यह भी तय किया गया कि सदस्य देशों के लोग भी तूफानों के नाम सुझा सकते हैं. भारत सरकार इस शर्त पर लोगों से सलाह मांगती है कि नाम समझ में आने लायक, छोटे और सांस्कृतिक रूप से संवेदनशील हों.
भारत के दक्षिण-पूर्वी तट पर आए नीलोफर चक्रवात का नाम पाकिस्तान ने रखा था.
64 नामों की इस सूची को लेकर हर साल अधिकारियों की बैठक होती है. जरूरत के अनुसार इन नामों में परिवर्तन किया जाता है. कई बार इन्हें लेकर विवाद भी हो जाता है.
2013 में श्रीलंका की ओर से रखे गए ‘महासेन’ नाम को लेकर श्रीलंका के राष्ट्रवादियों और अधिकारियों ने विरोध जताया था जिसे बाद में बदलकर ‘वियारु’ कर दिया गया.
उनके मुताबिक राजा महासेन श्रीलंका में शांति और समृद्धि लाए थे. इसलिए आपदा का नाम उनके नाम पर रखना गलत है.