कांग्रेस ने अर्थव्यवस्था में आई नरमी को लेकर केन्द्र सरकार को घेरा
कांग्रेस ने केन्द्र की नरेन्द्र मोदी सरकार पर अर्थव्यस्था में आई नरमी के लिए जिम्मेदार ठहराते हुए टैक्स टेरेरिज्म का आरोप लगाया है. कांग्रेस ने ऑटोमोबाइल सेक्टर में आई नरमी, रियल सेक्टर में छाई मंदी, स्टॉक एक्सचेंज से लोगों का घटता विश्वास, जीडीपी और श्रमशक्ति में आई कमी सहित कमजोर अर्थव्यवस्था के लिए सरकार को जिम्मेदार ठहराया है.
पार्टी की ओर से जारी बयान में सोसाइटी ऑफ ऑटोमोबाइल मैन्युफैक्चर्स(सीयाम) के हवाले से कहा गया है कि जुलाई 2018 की तुलना में जुलाई 2019 में वाहनों की बिक्री 38 फीसदी घटकर 200,790 रह गई है.
कांग्रेस पार्टी की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि सेन्टर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी के मुताबिक 2019 के अप्रैल-जून के बीच साल 2018 में इसी समय अंतराल की तुलना में कार की बिक्री में 23.3 फीसदी की कमी आई है.
डाटा के हवाले से कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि दो पहिया वाहन और ट्रैक्टर की बिक्री में भी कमी आई है.
कांग्रेस के प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने बयान में कहा है कि अपनी असफलता को छुपाने के लिए बीजेपी आम लोगों के बीच एक के बाद एक काल्पनिक मुद्दों को लेकर आ रही है.
कांग्रेस ने दुनिया के चौथे सबसे बड़े ऑटोमोबाइल मार्केट में लगातार मंदी छाए रहने की आलोचना करते हुए बजट में ऑटोमोबाइल सेक्टर के लिए कुछ नहीं किए जाने पर सरकार से सवाल पूछे हैं.
कांग्रेस ने बयान में पूछा है कि इसी नींव पर भारत डबल डिजिट ग्रोथ कर पाएगा? क्या इसी नींव पर भारत पांच खरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बन पाएगा?
कांग्रेस ने कहा है कि पिछले महीने 280 कार डीलरशिप बंद हुए हैं जिसकी वजह से 30 हजार लोगों की नौकरियां गई हैं. वहीं, ऑटोमोबाइल सेक्टर में काम करने वाले एक लाख कामगारों की नौकरी खतरे में पड़ गई है.
कांग्रेस ने कहा है कि स्टॉक एक्सचेंज पिछले 17 साल के सबसे खराब स्तर पर पहुंच गया है.
जारी बयान में सरकार के राजकोषीय घाटा को विरोधाभाषी बताते हुए कहा है कि सीएजी ने 2017-18 में राजकोषीय घाटा 5.85 फीसदी बताया जबकि सरकार ने इसे 3.46 फीसदी ही बताया था.
सिंघवी ने आंकड़ों पर विरोधाभास को लेकर कहा, “ये वैसी ही लुकाछुपी है जैसा कि आपने कुछ महीने पहले रोजगार और श्रमबल के आंकड़ों के विषय में देखी थी. प्रकाशित होने से उन आंकड़ो को रोका गया था. प्रकाशन में बिलंब किया गया था.”
कांग्रेस ने अर्थव्यवस्था की नरमी के हालात में दो साल में राजकोषीय घाटा को छह फीसदी से तीन फीसदी के लक्ष्य को पूरा करने को असंभव बताया है. केन्द्र सरकार ने 2021 तक राजकोषीय घाटा को तीन फीसदी से नीचे लाने का लक्ष्य रखा था.