मध्य प्रदेश : बागी विधायकों से मिलने बेंगलुरु पहुंचे दिग्विजय सिंह हिरासत से रिहा, पुलिस कमिश्नर से मिलने पहुंचे ऑफिस


the ideology of killer of mahatma gandhi has won says digvijay singh

 

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह पार्टी के अन्य नेताओं के साथ बागी कांग्रेसी विधायकों से मिलने के लिए बेंगलुरु के रिसॉर्ट पहुंचे थे. जहां पुलिस ने उन्हें एहतियातन हिरासत में ले लिया था बाद में रिहा कर दिया गया था.

हिरासत से रिहा होने के बाद दिग्विजय सिंह ने बेंगलुरु के पुलिस कमिश्नर से मिलने की इच्छा जताई. पार्टी के अन्य नेताओं के साथ  पुलिस कमिश्नर  के ऑफिस पहुंच गए हैं.

पुलिस ने उन्हें विधायकों से मिलने नहीं दिया और एहतियाती तौर पर हिरासत में ले लिया था. उनके साथ कर्नाटक कांग्रेस के प्रमुख डी.के. शिवकुमार भी थे. उन्हें एहतियातन हिरासत में नहीं रखा गया. दिग्विजय सिंह ने कहा कि पुलिस ने उन्हें विधायकों से मिलने नहीं दिया. जिसके बाद वह होटल के बाहर ही धरने पर बैठ गए. उनके साथ डीके शिवकुमार सहित पार्टी के कई नेता हैं.

दिग्विजय सिंह ने कहा, ‘हम विधायकों के वापस आने की उम्मीद कर रहे थे. मैंने व्यक्तिगत रूप से पांच विधायकों से बात की है. उनका कहना है कि उन्हें कैद करके रखा गया है और उनके फोन भी छीन लिए गए हैं. हर कमरे के बाहर पुलिस तैनात है. 24 घंटे उन पर नजर रखी जा रही है.’

मंगलवार को कांग्रेस ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. मध्यप्रदेश कांग्रेस ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की है. याचिका में कांग्रेस ने बीजेपी पर आरोप लगाया है कि उन्होंने 16 विधायकों को कब्जे में रखा है. याचिका में कहा है कि 16 विधायकों की अनुपस्थिति में बहुमत परीक्षण नहीं हो सकता. कांग्रेस पार्टी ने फ्लोर टेस्ट के लिए राज्यपाल के निर्देश पर भी सवाल उठाया है जिसमें उन्होंने कहा है कि कमलनाथ सरकार पहले ही सदन में बहुमत खो चुकी है.

मध्य प्रदेश कांग्रेस ने सुप्रीम कोर्ट से कहा है कि सुप्रीम कोर्ट केंद्र सरकार और कर्नाटक सरकार को आदेश दे कि वो मध्य प्रदेश कांग्रेस पार्टी के पदाधिकारियों को 16 विधायकों से मिलने और बात करने की इजाजत दे जो कांग्रेस पार्टी के सदस्य हैं. कांग्रेस के 16 विधायकों को बंधक रखना गैरकानूनी, असंवैधानिक है और संविधान के अनुच्छेद 14, 19 और 21 और कानून के शासन के खिलाफ है.

कांग्रेस ने अदालत से कहा कि 15वीं मध्य प्रदेश विधान सभा के चल रहे बजट सत्र में भाग लेने के लिए विधायकों को सक्षम किया जाए और अनुमति दी जाए. सुप्रीम कोर्ट आदेश जारी करे कि विश्वास मत तभी हो सकता है जब 15वीं मध्य प्रदेश विधानसभा के सभी निर्वाचित विधायक उपस्थित हों. सुप्रीम कोर्ट से आदेश मांगा गया है कि राज्यपाल के निर्देश को अवैध, असंवैधानिक घोषित किया जाए.


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