गांधी के पुतले को गोली मारने के खिलाफ सड़क पर उतरेगी कांग्रेस


Congress will come road on 4th of February

 

हिन्दू महासभा के सदस्यों की ओर से महात्मा गांधी के पुतले पर गोली चलाने और नाथूराम गोडसे को फूलों की माला पहनाने के विरोध में कांग्रेस देशव्यापी प्रदर्शन करने जा रही है. सरकार की ओर से समुचित कार्रवाई नहीं होने पर चार जनवरी को 10 बजे दिन में कांग्रेस नेता सड़कों पर उतरेंगे.

महात्मा गांधी की पुण्यतिथि 30 जनवरी को गांधी के पुतले पर गोली मारता वीडियो सामने आया था.

कांग्रेस मुख्यालय में आयोजित प्रेस कांफ्रेंस में पवन खेड़ा ने कहा कि सरकार की ओर से कार्रवाई करने की प्रतीक्षा के बाद पार्टी कार्यकर्ता सड़कों पर उतर रहे हैं.

उन्होंने कहा कि राज्य में बीजेपी की सरकार है. ऐसे में ऐसी घटनाओं के लिए सरकार को जवाब देना चाहिए.

उन्होंने कहा, “राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ में कोई मेंबरशिप रजिस्टर होता ही नहीं है. आज कोई मेंबर है और कल वह किसी मामले में रंगों हाथ पकड़ा गया तो कहेंगे कि वह मेंबर है ही नहीं. क्योंकि रजिस्टर ही नहीं है.”

उन्होंने कहा कि आरएसएस की विचारधारा परछाई में रहने वाली विचारधारा है. उन्होंने कहा,  “अगर कोई गलत काम करता हुआ पकड़ा जाता है तो कहते हैं कि हमारा तो कोई मतलब ही नहीं है.”

कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने पूरी घटना में  सरकार की मौन स्वीकृति का आरोप लगाते हुए कहा,  “मुंह में राम और दिलो-दिमाग में नाथूराम वाली जो विचाराधार है. ये उन्हीं की सरकारें हैं.”

उन्होंने कहा कि गोडसे और उनकी विचारधारा के साथ सरकार की सहानुभूति है.

आम आदमी पार्टी ने भी इस मामले में एतराज जताया है. ‘आप’ नेता संजय सिंह ने राज्यसभा में इस मामले में शून्य काल नोटिस दिया है.

कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने कहा कि पश्चिम बंगाल में बीजेपी अपना लैबोरेटी बनाने की कोशिश कर रही है.

उन्होंने कहा कि सीबीआई और ईडी से भरोसा उठ गया है. इन संस्थाओं में ऐसे अधिकारियों को लाया जाता है जिनका बीजेपी के साथ पुराने संबंध रहे हैं.

उन्होंने कहा कि बीजेपी को राममंदिर और विकास दोनों मुद्दे पर स्पष्ट उत्तर देना चाहिए.

उन्होंने सवाल उठाया कि कश्मीरी पंडित चुनाव से ठीक पहले उन्हें(बीजेपी को) क्यों याद आते हैं. उन्होंने कहा कि कश्मीरी पंडितों को मोदी सरकार पर कोई भरोसा नहीं रहा है.

सीबीआई निदेशक की नियुक्ति पर अरुण जेटली के बयान पर उन्होंने कहा कि वह हाई पावर कमिटी के सदस्य भी नहीं है. लिहाजा उन्हें इसके बारे में बोलने से बचना चाहिए. जबकि मल्लिकार्जुन खड़गे इस कमिटी के सदस्य हैं और उन्हें इस मामले में अपनी असहमति जताने का वाजिब हक है.


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