चुनाव आयोग सैन्य गतिविधियों के इस्तेमाल पर सख्त


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चुनाव आयोग ने राजनीतिक दलों को रक्षा बलों से संबंधित किसी भी गतिविधि का इस्तेमाल चुनाव प्रचार के लिए नहीं करने को कहा है. 19 मार्च को जारी परामर्श में चुनाव आयोग ने स्पष्ट किया है कि सैन्य अभियानों का इस्तेमाल चुनाव प्रचार में नहीं होना चाहिए.

चुनाव आयोग ने राजनीतिक दलों से लोकसभा चुनाव के प्रचार अभियानों के दौरान सशस्त्र बलों द्वारा की गई किसी भी कार्रवाई को आधार बनाकर चुनाव प्रचार नहीं करने को कहा है.

कांग्रेस सहित अन्य विपक्षी पार्टियां केन्द्र की सत्तारूढ़ बीजेपी पर पुलवामा हमले, बालाकोट एयर स्ट्राइक और अभिनंदन की वापसी का राजनीतिक इस्तेमाल करने का आरोप लगाती रही है.

इससे पहले नौ मार्च को चुनाव आयोग ने पार्टियों एवं उनके उम्मीदवारों से सुरक्षा कर्मियों की तस्वीरों का इस्तेमाल चुनाव प्रचार में नहीं करने को कहा था.

इसके साथ ही चुनाव आयोग ने राजनीतिक दलों एवं धार्मिक नेताओं से लोकसभा चुनावों के दौरान प्रचार-प्रसार के लिए प्रार्थना स्थलों का प्रयोग नहीं करने को कहा है. साथ ही आयोग ने ऐसी गतिविधियों में लिप्त नहीं होने को कहा है जिससे विभिन्न जातियों एवं समुदायों में तनाव पैदा हो.

चुनाव आयोग के ये निर्देश बीजेपी के कुछ दिन पहले किए गए उस अनुरोध पर आए हैं जिसमें पार्टी ने मस्जिदों पर विशेष पर्यवेक्षक नियुक्त करने की बात कही थी ताकि चुनावों के दौरान ‘धार्मिक आधार पर मतदाताओं का ध्रुवीकरण’ न हो सके.

इसके साथ ही आयोग ने आगामी लोकसभा चुनावों के लिए आयकर विभाग के दो सेवानिवृत्त आईआरएस अधिकारियों को विशेष व्यय पर्यवेक्षकों के तौर पर नियुक्त किया.

चुनाव आयोग ने कहा कि उसने शैलेंद्र हांडा और मधु महाजन को चुनावी मशीनरी द्वारा किए गए कार्यों की निगरानी करने और उन मामलों में सख्त कार्रवाई सुनिश्चित करने के लिए नियुक्त किया है जहां मतदाताओं को लुभाने के लिए काले धन के प्रयोग एवं अवैध प्रलोभन की बात सामने आए.


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