नोटबंदी के बाद लगातार घटी खपत : आरबीआई


bank credit growth slows to 10.24 percent and deposits at 9.73 percent

 

नोटबंदी के बाद से खपत में लगातार कमी आई है. आरबीआई के आंकड़ों के मुताबिक साल 2016 में अचानक नोटबंदी के बाद से उपभोक्ता वस्तुओं के लिए बैंक लोन में लगातार कमी देखने को मिली.

द डेक्कन हेराल्ड में छपी खबर के मुताबिक नोटबंदी से पहले मार्च 2017 के अंत तक उपभोक्ता वस्तुओं के लिए बैंक लोन बढ़कर रिकॉर्ड 20,791 करोड़ रुपया हो गया था. साल 2017 के पहले लगातार छह साल तक इसमें लगातार बढ़ोत्तरी होती रही. लेकिन नोटबंदी के बाद से इसमें ब्रेक लग गया और  उपभोक्ता वस्तुओं के लिए बैंक लोन में हर साल लगातार कमी देखने को मिली. फिलहाल यह 73 फीसदी घटकर 5,623 करोड़ रुपये पर पहुंच गया है.

वित्त वर्ष 2017-18 में उपभोक्ता वस्तुओं के लिए बैंक लोन में 5.2 फीसदी की कमी दर्ज की गई. वित्त वर्ष 2018-19 में इसमें 68 फीसदी की कमी दर्ज की गई. साल 2019 की शुरुआत से अबतक इसमें 10.76 फीसदी की कमी दर्ज की गई है.

जानकारों का मानना है कि नोटबंदी के बाद से लोगों की आय में कमी आई है. खासकर सुक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योगों (एमएसएमई) के कामगार इससे सबसे ज्यादा प्रभावित रहे हैं.

14वें वित्त कमीशन के सदस्य गोविंद राव ने कहा कि लोगों की आय पर उपभोक्ता वस्तुओं के लिए बैंक  लोन निर्भर करता है. नोटबंदी के बाद इसमें आई कमी की दो वजहें हैं—पहला ये कि एमएसएमई के पास नकदी का संकट हो गया है, नियोक्ता कारखाने बंद करने के लिए मजबूर हुए हैं और दूसरा कि लोगों के पास खरीदने के लिए रुपये नहीं हैं, क्योंकि एक ही साल में छंटनी के साथ वेतन में कटौती हुई है.

साल 2019 की शुरुआत से अबतक सभी तरह के लोन में तीन फीसदी की कमी देखने को मिली है.


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