नीति आयोग के उपाध्यक्ष ने कहा, ‘न्याय’ की आलोचना निजी विचार
नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार ने चुनाव आयोग को दी गई अपनी सफाई में कहा है कि ‘न्याय योजना’ पर की गई टिप्पणी उनका अपना विचार है. उन्होंने कहा कि इसे नीति आयोग से जोड़कर ना देखा जाए. ये एक अर्थशास्त्री के रूप में उनके व्यक्तिगत विचार हैं.
कांग्रेस की प्रस्तावित न्यूनतम आय योजना पर बोलते हुए राजीव कुमार ने कहा था कि चुनाव जीतने के लिए कांग्रेस कुछ भी कहती है.
चुनाव आयोग को दिए जवाब में कुमार ने अपने बचाव में मोंटेक सिंह अहलूवालिया का उदाहरण दिया. उन्होंने कहा कि योजना आयोग के उपाध्यक्ष पद पर रहते हुए अहलूवालिया ने अप्रैल 2014 में गुजरात मॉडल की आलोचना की थी. उन्होंने कहा कि उस समय भी आचार संहिता लागू थी.
इससे पहले राजीव कुमार ने कांग्रेस की न्याय योजना को पूरी तरह से खारिज कर दिया था. उन्होंने कहा था कि इससे राजस्व घाटा 3.5 फीसदी से बढ़कर छह फीसदी पर पहुंच जाएगा.
उन्होंने कहा था, “2008 में चिदंबरम वित्तीय घाटे को 2.5 फीसदी से बढ़ाकर 6 फीसदी तक ले गए. यह घोषणा उसी पैटर्न को आगे बढ़ाने जैसा है. राहुल गांधी अर्थव्यवस्था पर पड़ने वाले इसके प्रभाव की चिंता किए बिना घोषणा कर बैठे. अगर यह योजना लागू होती है तो हम चार कदम और पीछे चले जाएंगे.”
लोकसभा चुनाव के चलते इस समय आचार संहिता लागू है इस दौरान सरकारी अधिकारी को किसी राजनीतिक पार्टी को फायदा पहुंचाने वाले बयान पर रोक है. राजीव के इस बयान के बाद चुनाव आयोग ने उन्हें नोटिस भेजा था. शुरुआत में उन्हें 29 मार्च तक अपना जवाब दाखिल करना था, जिसे बाद में बढ़ाकर 2 अप्रैल कर दिया गया था.