26 जनवरी पर बाहर न जाएं छात्र: देवबंद
गणतंत्र दिवस करीब है, जिसे देखते हुए देशभर में सुरक्षा के चाक चौबंद इंतजाम किए जा रहे हैं. पुलिस लोगों और इलाकों की अतिरिक्त जांच कर रही है.
इस बीच पश्चिमी उत्तर प्रदेश के जिला सहारनपुर में देवबंद से एक ऐसी खबर सामने आई है, जो भारतीयों के एक समुदाय में बढ़ते डर को दिखाता है. मुज़फ्फरनगर से महज 24 किमी की दूरी पर बने दारुल उलूम देवबंद मदरसे ने छात्रों की सुरक्षा और सुविधा को देखते हुए एक नोटिस जारी किया है.
जिसमें छात्रों से अपील की गई है कि 26 जनवरी, गणतंत्र दिवस के मौके पर वो बाहर जाने से बचे. नोटिस में इस बात का भी जिक्र है कि “इस दिन होने वाली पुलिस सुरक्षा जांच के दौरान उनमें भय और असुरक्षा का भाव आ सकता है. जिससे निपटने के लिए जरूरी है कि छात्र अपनी बात साफ और संयम के साथ रखें.”
वहीं ये भी सुझाव दिए गए हैं कि अपना काम पूरा कर छात्र सीधे मदरसा वापस आ जाए.
द टेलीग्राफ में छपी एक खबर में इस नोटिस का जिक्र करते हुए लिखा गया है कि “नोटिस एक समुदाय में धीरे-धीरे बढ़ रही डर की भावना को दिखाता है जो उन्हें 26 जनवरी जैसे उत्सव के मौके पर भी आम जिंदगी जीने से रोकता है.”
दारुल उलूम ने ये नोटिस बीते वर्षों में हुई घटनाओं को ध्यान में रखते हुए जारी किया है. इस पर मदरसा प्रशासन ने कहा है कि नोटिस बहुत सोच समझ कर जारी किया गया.
आंकड़ें बताते हैं कि खास तौर से 26 जनवरी और 15 अगस्त के मौके पर दारुल उलूम के छात्र भीड़ की हिंसा का शिकार होते रहे हैं. इन मौकों पर उन्हें पुलिस की ओर से भी परेशान किया जाता है.
इतिहास के कई दौर देख चुका ये मदरसा 162 साल पुराना है. यहां धर्मशास्र के सीनियर प्रोफेसर और हॉस्टल इनचार्ज मोलाना मुनीर उद्दीन उस्मानी ने कहा कि “राष्ट्रीय महत्तव के दिनों पर पुलिस अतिरिक्त जांच करती है. इस दौरान हमारे छात्रों को परेशान किया जाता है. कई मौकों पर तो उन पर हमले भी हुए हैं. तो ऐसे पर उन्हें बाहर जाते समय ज्यादा सावधानी बरतने की जरूरत है.”
दो साल पहले गणतंत्र दिवस के मौके पर हुई घटना को याद करते हुए मदरसे के पूर्व अधिकारी मुस्तफा असद कासिम ने कहा, “दो साल पहले भी पुलिस ने दारुल उलेमा के दो छात्रों को गिरफ्तार किया था. मीडिया में पुलिस ने ये बयान जारी कर दिया कि ये दोनों आतंकी हैं. जबकि उन्हें अगले ही दिन छोड़ दिया गया.”
उन्होंने कहा, “पुलिस ने उन्हें छोड़ने के बाद कोई माफी नहीं मांगी और न ही कोई सफाई दी. हम नहीं चाहते कि इस तरह की घटना फिर से हो.”
कासिम ने बताया कि बीते साल कुछ छात्र भीड़ की हिंसा का शिकार हो गए थे. सहारनपुर और बागपत में हुई इन घटनाओं में पुलिस अब तक एक भी हमलावर को नहीं पकड़ पाई है.
वहीं इस नोटिस के बारे में सहारनपुर जिला, पुलिस अधिकारी से पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि उन्हें इस तरह के किसी भी नोटिस के बारे में कोई जानकारी नहीं है.
उन्होंने कहा, “हो सकता पुलिस जांच के दौरान किसी को परेशानी का सामना करना पड़ा हो, लेकिन कभी किसी छात्र को एक खास इंस्टीट्यूट में होने की वजह से गिरफ्तार नहीं किया गया.” अधिकारी ने कहा, मदरसे को नोटिस जारी करने से पहले प्रशासन से मिलकर अपनी बात कहनी चाहिए थी.
नोटिस पर बीजेपी अल्पसंख्यक विभाग के मोहम्मद अनवर ने हैरानी जताई है. उन्होंने कहा, “हम तो 15 अगस्त और 26 जनवरी पर बाहर जाते हैं, पर कभी इस तरह की घटना का सामना नहीं किया. यहां पुलिस ने कभी अल्पसंख्यकों को प्रताड़ित नहीं किया. दारुल उलूम को इस तरह से डर का माहौल नहीं बनाना चाहिए.”