दिल्ली HC ने भड़काऊ भाषण देने वालों के खिलाफ FIR दर्ज करने का निर्णय लेने का आदेश दिया
उत्तरपूर्वी दिल्ली में हुई हिंसा को लेकर दिल्ली हाई कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है. हाई कोर्ट ने दिल्ली पुलिस को नेताओं द्वारा दिए गए भड़काऊ भाषणों के संबंध में एफआईआर दर्ज करने को लेकर सचेत निर्णय लेने के लिए कहा है. इन नेताओं में बीजेपी के अनुराग ठाकुर, परवेश वर्मा, कपिल मिश्रा और अभय वर्मा के अलावा दूसरे नेता भी शामिल हैं.
यह आदेश देने वाली दिल्ली हाई कोर्ट की बेंच में जस्टिस एस मुरलीधर और जस्टिस तलवंत सिंह शामिल हैं. दिल्ली पुलिस की पैरवी कर रहे सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने एफआईर दर्ज ना किए जाने के खिलाफ पक्ष रखा.
हाई कोर्ट ने कोर्ट परिसर में मौजूद पुलिसकर्मियों को आदेश दिया कि वे दिल्ली पुलिस के विशेष आयुक्त प्रवीण रंजन तक ये संदेश पहुंचाएं कि भड़काऊ भाषणों के खिलाफ एफआईआर दर्ज ना किए जाने को लेकर कोर्ट खफा है.
बेंच ने कहा, ‘कमिश्नर को ललिता कुमारी गाइडलाइन का पालन करना चाहिए और भड़काऊ भाषण देने वालों के खिलाफ एफआईआर दर्ज ना करने के परिणामों को गंभीरता से समझना चाहिए. कोई भी कानून के ऊपर नहीं है.’
दिल्ली पुलिस कमिश्नर के द्वारा फैसला लिए जाने के बाद कोर्ट 27 फरवरी को फिर से इस मामले में सुनवाई करेगा.
हाई कोर्ट ने यह आदेश सामाजिक कार्यकर्ता हर्ष मंदर द्वारा डाली गई याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया है. याचिका में उत्तरपूर्वी दिल्ली में हिंसा के दौरान पुलिस की निष्क्रियता की जांच और भड़काऊ भाषण देने वाले नेताओं के खिलाफ कार्रवाई की मांग की गई है.
हर्ष मंदर की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता कोलिन गोंजाल्वेज ने कहा, ‘हमलावर सत्ता में बैठी पार्टी से संबंध में रखते हैं और हमले के दौरान पुलिस निष्क्रिय रही.’
सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि सिर्फ एक तरफ से भड़काऊ भाषण नहीं दिए गए, हम सही समय पर एफआईआर दर्ज करेंगे.
इसपर बेंच ने सॉलिसिटर जनरल से पूछा कि दिल्ली अभी जल रही, अभी एफआईआर दर्ज नहीं होगी तो कब होगी.