RBI की चेतावनी के बावजूद केन्द्र सरकार ने की नोटबंदी


RBI's use of reserved capital in meeting government expenditure: Nomura

 

आरबीआई के निदेशक मंडल ने आगाह किया था कि देश की आर्थिक वृद्धि पर नोटबंदी का नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा. निदेशक मंडल ने कहा था कि इस अप्रत्याशित कदम से काले धन की समस्या पर कोई ठोस प्रभाव नहीं पड़ेगा. निदेशक मंडल में आरबीआई के मौजूदा गवर्नर शक्तिकांत दास भी शामिल थे.

सूचना के अधिकार कानून के तहत पूछे गए सवाल के जवाब में इस बैठक का विवरण सामने आया है.  इसके अनुसार, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा आठ नवंबर 2016 को  की गई नोटबंदी की घोषणा से केवल ढाई घंटे पहले आरबीआई निदेशक मंडल की बैठक हुई थी.

500 और 1,000 रुपये के नोटों को चलन से हटाए जाने का मकसद काले धन पर अंकुश लगाना था. उस समय चलन में रहे कुल नोटों में से बड़ी राशि के इन नोटों की हिस्सेदारी 86 फीसदी थी.

आरटीआई कार्यकर्ता वेंकटेश नायक ने इस बैठक का विवरण कॉमनवेल्थ ह्यूमन राइट्स इनीशिएटिव पर पोस्ट किया है. इसके अनुसार,   समिति ने नोटबंदी को सराहनीय कदम बताया था, लेकिन साथ ही यह भी जोड़ा था कि इसका चालू वर्ष में सकल घरेलू उत्पाद पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा.

निदेशक मंडल की 561वीं बैठक में कहा गया, ‘‘ज्यादातर कालाधन नकद रूप में नहीं है बल्कि सोना और अचल सम्पत्ति के रूप में है और इस कदम का वैसी संपत्ति पर ठोस असर नहीं होगा.’’

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम ने 11 मार्च को दावा किया कि इससे नरेंद्र मोदी सरकार की अक्षमता सामने आ गयी है.

चिदंबरम ने आरबीआई बोर्ड की बैठक की जानकारी आरटीआई के जरिए सामने आने का उल्लेख करते हुए ट्वीट किया, ”आठ नवंबर, 2016 को आरबीआई बोर्ड की बैठक के ब्यौरे से नोटबन्दी की घोषणा करने वाली सरकार की अक्षमता का खुलासा होता है.”

उन्होंने आरोप लगाया, ” आरबीआई की ओर से नोटबन्दी से जुड़ी सभी दलीलों को लेकर आगाह किए जाने के बावजूद सरकार आगे बढ़ी और करोड़ों लोगों की जीविका को बर्बाद कर दिया.”

नकली नोटों के बारे में इस बैठक में कहा गया था कि कुल 400 करोड़ रुपये इस श्रेणी के अंतर्गत आते हैं, जो कुल मुद्रा का बहुत कम प्रतिशत है.

विवरण के अनुसार, इस महत्वपूर्ण बैठक में आरबीआई के गवर्नर उर्जित पटेल और तत्कालीन आर्थिक मामलों के सचिव शक्तिकांत दास मौजूद थे. इसमें  तत्कालीन वित्त सचिव अंजलि छिब दुग्गल, आरबीआई के डिप्टी गवर्नर आर. गांधी और एसएस मूंदड़ा भी शामिल थे. गांधी और मूंदड़ा दोनों अब निदेशक मंडल में शामिल नहीं है. वहीं दास को दिसंबर 2018 में आरबीआई का गवर्नर बनाया गया था. बोर्ड की बैठक में सरकार के नोटबंदी के अनुरोध को मंजूरी दी गई थी.


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