ग्रामीण भारत में आमदनी घटी, बढ़ा खर्चा


Despite the steady income and agricultural crisis in rural India, expensive service area

 

ग्रामीण क्षेत्रों में आय स्थिर रहने के बावजूद गैरजरूरी मदों में खर्च बढ़ा है. यह खर्च शिक्षा से लेकर फिल्म देखने जैसी सेवा क्षेत्रों के लिए हो रहा है. आम तौर पर आय में कमी होने पर खर्च में कटौती करने की प्रवृत्ति देखी गई है. लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों का यह ट्रेंड आर्थिक मामलों के जानकारों को भी आश्चर्य में डाल दिया है. इसके साथ ही खाद्य महंगाई दर के घटने के बावजूद सेवा क्षेत्र में लगातार महंगाई बढ़ी है.

ज्यादातर अर्थशास्त्री शिक्षा और मेडिकल को गैरजरूरी खर्च नहीं मानते हैं. अंग्रेजी अखबार द मिंट में छपी खबर के मुताबिक पिछले दो साल में सेवा क्षेत्र में महंगाई की दर शहरों की तुलना ग्रामीण क्षेत्रों में अधिक रही है. पिछले महीनों में खाद्य सामग्रियों के दामों की तेज गिरावट की वजह से किसानों की आय घटी है.

सही दाम नहीं मिलने पर किसानों की ओर से फसलों को जलाने और सड़क पर फेंकने की घटनाएं देश के अलग-अलग हिस्सों में खबर बनती रही है. हाल ही में देशभर के 200 किसान संगठनों ने कर्ज माफी और फसल के सही दाम की मांग को लेकर दिल्ली में ‘किसान मुक्ति मार्च’ का आयोजन किया था.

भारत की ग्रामीण अर्थव्यवस्था खेती-किसानी पर निर्भर है. वहीं देश में लगातार कृषि-संकट बना हुआ है. बावजूद बढ़ी हुई सेवा मूल्य के लिए ग्रामीण क्षेत्रों के लोग अधिक खर्च कर रहे हैं.

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यस बैंक के मुख्य अर्थशास्त्री शुभादा राव ग्रामीण क्षेत्रों में डिस्पोजेबल इन्कम में कमी नहीं आने या आय में बढ़ोत्तरी का अनुमान लगाते हैं. आवश्यक खर्चे जैसे कि भोजन, कपड़े और दूसरी बुनियादी जरूरतों को पूरा करने के बाद बची आय को डिस्पोजेबल इन्कम कहते हैं.

हालांकि वह कहते हैं कि निश्चित तौर पर इनमें आर्थिक संकट झेल रहे किसानों की डिस्पोजेबल इन्कम नहीं बढ़ी है.

राव कहते हैं, “खाद्य की महंगाई दर में कमी होने से किसानों की आय घटी है, लेकिन इससे खाने के खर्चे में भी कटौती हुई है. इसलिए आय में कमी होने के बावजूद भी अन्य मद में होने वाला खर्च स्थिर रहा है.”

जानकार यह भी मानते हैं कि हाल के कुछ साल में ग्रामीण क्षेत्रों में स्कूल, अस्पताल और सिनेमा हॉल खुले हैं.  इसकी वजह से ग्रामीण क्षेत्रों में शहरों की अपेक्षा सेवा क्षेत्रों के मद में खर्च बढ़ा है. लेकिन अब भी ग्रामीण क्षेत्र शहरों के मुकाबले काफी पीछे हैं जिसकी वजह से यहां सेवा के लिए ग्रामीणों को अधिक खर्च करना पड़ता है.

हालांकि भारत में डिस्पोजेबल इन्कम स्थिर रहने के बावजूद भी गैरजरूरी मद के लिए खर्चे में बढ़ोत्तरी हुई है. खाद्यान की महंगाई दर में कमी और सेवा की महंगाई दर में बढ़ोत्तरी के इस उलझाव को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है.


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