राजकोषीय घाटा का संशोधित लक्ष्य भी पाना मुश्किल: एसबीआई रिसर्च
एसबीआई रिसर्च ने एक रिपोर्ट में कहा है कि चालू वित्त वर्ष के लिए राजकोषीय घाटा के 3.8 प्रतिशत का संशोधित लक्ष्य भी कुछ मुश्किल प्रतीत होता है.
रिपोर्ट में कहा गया है कि यह लक्ष्य चालू वित्त वर्ष के बचे दो आखिरी महीनों में विनिवेश से करीब 65 हजार करोड़ रुपये मिल जाने और कर संग्रह से राजस्व प्राप्ति में 18 प्रतिशत की वृद्धि के अनुमान पर आधारित है. हालांकि अभी तक कर संग्रह से राजस्व प्राप्ति में महज 5.1 प्रतिशत की वृद्धि देखी गयी है और चालू वित्त वर्ष के पहले 10 महीनों में महज 17,800 करोड़ रुपये का विनिवेश हो पाया है.
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शनिवार को लोकसभा में पेश बजट में चालू वित्त वर्ष का राजकोषीय घाटा लक्ष्य जीडीपी के 3.3 प्रतिशत रहने के पुराने अनुमान को संशोधित कर 3.8 प्रतिशत करने का प्रस्ताव दिया. इसके अलावा राजस्व करीब 2.60 लाख करोड़ रुपये कम रहने का भी अनुमान व्यक्त किया गया.
एसबीआई रिसर्च ने कहा कि दूरसंचार कंपनियों पर समायोजित सकल राजस्व (एजीआर) बकाए को लेकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले और रिजर्व बैंक से प्राप्त अंतरिम लाभांश ने राजकोषीय मोर्चे पर सरकार की मदद की है. यदि यह मदद नहीं मिलती तो सरकार को राजकोषीय घाटा लक्ष्य को संशोधित कर जीडीपी का चार प्रतिशत करने की जरूरत पड़ सकती थी.
उसने कहा, ‘हालांकि समस्या है कि यह संशोधन कर से राजस्व प्राप्ति में 18 प्रतिशत की वृद्धि के अनुमान पर आधारित है. हमारा मानना है कि राजकोषीय घाटा को जीडीपी के 3.8 प्रतिशत पर रखने का लक्ष्य भी मुश्किल है क्योंकि दिसंबर तक कर से राजस्व में महज 5.1 प्रतिशत की वृद्धि देखने को मिली है.’