डीयू में छात्रों को नहीं मिल रहा EWS कोटा का विकल्प!


Do not get students in DU EWS quota option

 

जनवरी 2019 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सामान्य वर्ग के अंतर्गत आने वाले आर्थिक रूप से पिछड़े हुए वर्ग के लिए आरक्षण (124वें संविधान संशोधन) का एलान किया था.

राज्यसभा में कई दौर के बहसों व कुछ राजनीतिक दलों के विरोध के बावजूद बिल पास हो गया, थोड़ी आनाकानी करने के बाद राज्य सरकारों ने भी बिल का स्वागत किया जिनमें दिल्ली सरकार ने इस बिल को लेकर जो देरी की, उसकी वजह से दिल्ली विश्विद्यालय में दाखिले की इच्छा रखने वाले EWS वर्ग के अंतर्गत आने वाले विद्यार्थियों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है.

20 मई को दिल्ली विश्विद्यालय ने नए सत्र में दाखिले के लिए आवेदन प्रक्रिया का प्रारम्भ किया था. दाखिले से जुड़ी विद्यार्थियों की समस्यायों का हल करने के लिए डीयू द्वारा ओपन डे का आयोजन किया जाता है जहाँ सभी विद्यार्थी अपने संदेह दूर कर सकते हैं. 22 मई को यानि ओपन डे के दूसरे दिन अधिकतर छात्रों की एक ही समस्या थी, वो थी EWS सर्टिफिकेट बनवाने के लिए सामने आ रही समस्या.

ओपन डे पर छात्रों ने बताया कि उन्हें ये नहीं समझ आ रहा कि आखिर EWS सर्टीफिकेट बनवाने जाएँ कहाँ? एसडीम के पास जाएँ या तहसीलदार के पास दोनों का एक ही जवाब होता कि हमें इस से जुड़े कोई निर्देश नहीं मिले हैं.

छात्रों की शिकायत के बाद डीयू प्रशासन ने मानव संसाधन विकास मंत्रालय और दिल्ली सरकार को इस विषय में पत्र लिखा जिसके बाद दिल्ली सरकार ने निर्देश जारी किए कि यदि EWS सर्टिफिकेट बनवाने में किसी विद्यार्थी को कोई परेशानी हो तो वो उस क्षेत्र के एसडीएम और यदि तब भी समाधान ना हो तो अपने क्षेत्र के विधायक से संपर्क करे.

ओपन डे में आए एक छात्र ने बताया,”EWS सर्टिफिकेट बनवाने के लिए मैंने हफ्ते भर तक तहसील से लेकर कई सरकारी दफ्तरों के चक्कर काटे लेकिन कहीं भी मेरा सर्टिफिकेट नहीं बना.”

सबसे ज्यादा समस्या फिलहाल एमफिल और पीएचडी के छात्रों को हो रही है क्योंकि डीयू के लिए नामांकन अब समाप्त हो चुके हैं लेकिन फॉर्म भरते समय छात्रों को कहीं भी EWS कोटा के अंतर्गत नामांकन करने का विकल्प ही नहीं मिला.

एक एमफिल एस्पिरेंट ने बताया, “मैंने फॉर्म भरने के लिए 2 हफ़्तों तक इन्तजार किया लेकिन EWS कोटा के अंतर्गत नामांकन करने का विकल्प कहीं भी मिला ही नहीं.”

डीयू एडमिशन कमेटी के सदस्यों से जब हमने पूछा तो उन्होंने कहा की एमफिल के जो विद्यार्थी EWS कोटा लेना चाहते हैं, उनके लिए जल्द ही विभिन्न विभागों द्वारा निर्देश जारी किए जाएंगे.

फिलहाल सभी विद्यार्थी असमंजस में हैं, कुछ का मानना है कि शायद एडमिशन के समय या इंटरव्यू के दौरान उनसे EWS सर्टिफिकेट माँगा जाए व EWS कोटा उन्हें मिल जाए. लेकिन ये सब बातें डीयू की एडमिशन पॉलिसी और उसकी पारदर्शिता पर कड़े सवाल उठाती है, आपको बता दे कि इसी साल दिल्ली विश्विद्यालय छात्र संघ (DUSU) के अध्यक्ष की फर्जी डिग्री के मामले में दिल्ली स्टूडेंट वेलफेयर (DSW) के डीन को अपना पद गवांना पड़ा था.

सवाल यहाँ पर सरकार पर भी खड़े होते हैं कि आखिर समय रहते उसने कदम क्यों नहीं उठाए. ऐसी रोज नई-नई योजनाएँ सरकार घोषित करती हैं लेकिन अधिकतर कागजों तक ही सीमित रह जाती हैं, जमीनी स्तर पर लागू होने में उन्हें सालों लग जाते हैं, यहाँ भी कुछ ऐसा ही है, खैर, फ़र्क़ भी किसे पड़ता है…? आखिर में बात वही है कि “सरकार मस्त और छात्र पस्त!!!”


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