राष्ट्रीय शिक्षा नीति के लिए ड्रॉफ्ट: स्कूली शिक्षा से पहले तीन साल के प्री-स्कूल का प्रावधान


draft of new education system: three years of preschool and 4 years honors suggested

 

दोबारा सत्ता में आई मोदी सरकार के सामने राष्ट्रीय शिक्षा नीति के लिए ड्रॉफ्ट पेश किया गया है. इस ड्रॉफ्ट में स्कूल से पहले तीन साल की शिक्षा और अंडरग्रेजुएट ऑनर्स कोर्स के लिए चार साल का प्रावधान कुछ प्रमुख बिंदुओं में से एक हैं.

दूसरे कुछ महत्वपूर्ण प्रावधान जैसे प्री-स्कूल से लेकर 12वीं तक अनिवार्य और मुफ्त शिक्षा. (पहले ये एक से लेकर आठ तक के लिए ही था) और प्री-स्कूल और प्राइमरी स्कूली शिक्षा में दोपहर के भोजन के साथ सुबह के नाश्ते का जोड़ा जाना भी शामिल हैं.

मानव संसाधन और विकास मंत्री रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ को ये ड्राफ्ट सौंप दिया गया है. इसे जाने-माने वैज्ञानिक के कस्तूरीरंगन की अध्यक्षता वाली आठ सदस्यीय टीम ने तैयार किया है.

निशंक ने कहा, “हमें आज रिपोर्ट मिल गई है. हम राज्यों से इस बारे में सलाह करेंगे और इसे लागू करेंगे.”

शिक्षा सचिव आर सुब्रह्मण्यम ने कहा है कि शिक्षा मंत्रालय इस बारे में अगले एक महीने तक नागरिकों से सलाह लेगा. इसके बाद जुलाई के पहले हफ्ते में इसे कैबिनेट के सामने पेश किया जाएगा.

इस समय भारत में 1986 में अपनाई गई शिक्षा नीति लागू है, 1992 में इसमें दोबारा सुधार किया गया था. इसके मुताबिक 12 साल की स्कूली शिक्षा से पहले दो साल की प्री-स्कूली शिक्षा का प्रावधान है. इसे अब तक आंगनबाड़ी के माध्यम से दिया जाता रहा है.

इस ड्रॉफ्ट के मुताबिक प्राथमिक शिक्षा को 5+3+3+4 के रूप में लागू किया जाएगा. इसकी शुरुआत पांच साल की आधार शिक्षा से की जाएगी, जिसमें प्री-स्कूल और कक्षा एक और दो शामिल किए जाएंगे.

ये पांच साल की आधार शिक्षा खेल और क्रियाकलाप आधारित होगी, जिसमें सीखने के तरीकों को नए शोध के माध्यम से लगातार अपडेट किया जाएगा.

इस ड्रॉफ्ट के मुताबिक माध्यमिक स्तर की शिक्षा पहले की तरह तीन भाषाओं के फार्मूले पर आधारित होगी. इसमें कक्षा छह से लेकर नौ तक विदेशी भाषाओं को चुनने की आजादी होगी. इनमें फ्रेंच, जर्मन, स्पैनिश, चाइनीज और जापानी शामिल हैं.

चार साल की माध्यमिक शिक्षा के हर साल को दो सेमेस्टर में बांट दिया जाएगा. प्रत्येक छात्र को हर सेमेस्टर में पांच से छह विषय पढ़ने अनिवार्य होंगे. विषयों का चुनाव छात्रों की रुचि पर आधारित होगा.

उच्च शिक्षा के लिए इस ड्रॉफ्ट में विशेष प्रावधान हैं. जैसे पहले से चल रहे तीन साल के कोर्स, बीए बीएससी आदि को ऑनर्स के साथ चार साल तक के लिए बढ़ाने का प्रावधान है.

इससे पहले दिल्ली विश्वविद्यालय 2013 में इस तरह का प्रावधान लागू कर चुका है, लेकिन बाद में सत्ता में आई मोदी सरकार ने इसे हटवा दिया था, यहां तर्क दिया गया था कि इस प्रणाली को राष्ट्रपति की मंजूरी लिए बिना ही लागू कर दिया गया था.


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