कम मानसून पूर्व बारिश और कमजोर मानसून के चलते देश के आधे से अधिक हिस्से में सूखे जैसे हालात


dry lakes and depleting ground water poses drought like conditions in half of india

 

देश का आधे से ज्यादा हिस्सा सूखे जैसी गंभीर समस्या से जूझ रहा है. मौसम विभाग के ताजा आंकड़े कहते हैं कि लाखों लोग पीने के पानी की समस्या से जूझ रहे हैं. झीलें लगभग सूख चुकी हैं और जमीनी जल का स्तर नीचे जा रहा है. कृषि मंत्रालय की रिपोर्ट के मुताबिक फसलों की बुआई बुरी तरह से प्रभावित हुई है.

दि हिंदू मौसम विभाग के हवाले से लिखता है कि अब तक इस दक्षिण-पश्चिम मानसून में 38 फीसदी कम बारिश हुई है. इस वजह से अब तक होने वाली बुआई का केवल आधा हिस्सा ही बोया जा सका है.

मौसम विभाग की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक पिछले हफ्ते के मुकाबले इसमें बहुत थोड़ा सुधार हुआ है. अपने ताजे बुलेटिन में मौसम विभाग ने बताया है कि मध्य महाराष्ट्र, मराठवाड़ा और विदर्भ, कर्नाटक के बाकी हिस्सों में, तेलंगाना, ओडिसा, झारखंड, पश्चिम बंगाल के गंगा वाले हिस्से और बिहार में, छत्तीसगढ़ के ज्यादातर हिस्सों में और उत्तर प्रदेश के पूर्वी हिस्सों में मानसून पहुंच चुका है. इसके बावजूद मानसून की खराब तीव्रता के चलते देश के कुछ हिस्सों में पानी की गंभीर समस्या बनी हुई है.

इस बुलेटिन में कहा गया है कि महाराष्ट्र, तमिलनाडु, कर्नाटक, तेलंगाना और आंध्र प्रदेश में सूखे जैसे हालात बने हुए हैं. एसपीआई इंडेक्स के मुताबिक पूर्व के ज्यादातर हिस्से, मध्य और प्रायद्वीपीय भारत गंभीर रूप से सूखे से जूझ रहा है.

मानक वर्षा सूचकांक (एसपीआई) मौसम विभाग की पुणे यूजर इंटरफेस की टीम जारी करती है. टीम के प्रमुख पुलक गुहाठाकुरता कहते हैं, “ये सूचकांक देश के अलग-अलग हिस्सों में लंबे समय जल धारण क्षमता की स्थिति को दर्शाता है. कम मानसून पूर्व बारिश और देर से आए मानसून ने मिलकर सूखे जैसी स्थिति पैदा कर दी है. अगले हफ्ते तक हालात बेहतर होने की संभावना है”

कम बारिश होने के चलते जलाशय सूख गए हैं और गर्मी की फसलों की बुआई पिछड़ रही है. ऐसे हालात में लगातार दूसरे साल सूखे जैसे हालात पैदा होते दिखाई दे रहे हैं.

उधर सूखे की समस्या से त्रस्त किसान संगठनों की मांग है कि सरकार मानसून खत्म होने का इंतजार किए बगैर प्रभावित क्षेत्रों में सूखा घोषित कर दे. ताकि राहत कार्य समय रहते शुरू किए जा सकें.

अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति ने की ओर से कहा गया, “सूखा घोषित करने में अब देरी नहीं करनी चाहिए. मानसून के खत्म होने का इंतजार करने की जगह उन क्षेत्रों में जहां जून के महीने में 50 फीसदी से कम बारिश हुई है, सूखा घोषित कर देना चाहिए.”

सूखा प्रभावित राज्यों के जलाशयों में पानी खत्म होने की कगार पर है. आधिकारिक खबरों के मुताबिक तेलंगाना के जलाशय सामान्य से 36 फीसदी नीचे जा चुके हैं, जबकि आंध्र में 83 फीसदी, कर्नाटक में 23 फीसदी और तमिलनाडु में 43 फीसदी साथ ही केरल में भी जलाशय सामान्य से 38 फीसदी नीचे जा चुके हैं. यहां पर सामान्य स्थिति से मतलब बीते 10 सालों में पानी की स्थिति से है.

उधर मौसम विभाग के अधिकारी मानसून की प्रगति को लेकर विशेष चिंता में नहीं दिखते हैं. हिंदुस्तान टाइम्स आधिकारिक सूत्रों के हवाले से लिखता है कि मानसून की प्रगति को लेकर ज्यादा चिंता की जरूरत नहीं है. वायु तूफान के चलते मानसून में देरी हुई है. लेकिन अब ये सामान्य प्रगति पर है. ये मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र के हिस्सों में प्रवेश कर चुका है. इसकी वजह से अगले कुछ दिनों में दिल्ली में भी बरसात हो सकती है.

पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के सचिव एम राजीवन कहते हैं, “हमें लगता है कि एक जुलाई से बंगाल की खाड़ी पर कम दबाव का क्षेत्र बनेगा, जिसके वजह से मानसून की प्रगति में सहायता मिलेगी. चिंता की कोई वजह नहीं है.”

भारत में मानसून खेती के लिहाज से बहुत महत्वपूर्ण है. कृषि क्षेत्र आधे से अधिक जनसंख्या को रोजगार प्रदान करता है. जबकि देश का लगभग 60 फीसदी हिस्सा गैर-सिंचित है. ग्रामीण आय भी भारतीय अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है.


Big News