मंदी और कॉरपोरेट टैक्स कटौती के चलते घट सकता है प्रत्यक्ष कर संग्रह लक्ष्य


due to recession and corporate tax cut direct tax collection is likely to fall

 

केंद्र सरकार को चालू वित्त वर्ष के लिए प्रत्यक्ष कर संग्रह के लक्ष्य को घटाना पड़ सकता है. ऐसा इसलिए क्योंकि अक्टूबर महीने के मध्य तक इस संबंध में केवल 3.5 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, जबकि सरकार ने बजट में इस अवधि तक 17.3 प्रतिशत की वृद्धि का लक्ष्य तय किया था.

प्रत्यक्ष कर संग्रह की वृद्धि में आई में इस कमी के लिए कई कारक जिम्मेदार हैं. सबसे बड़ा कारण लगातार गहराती जा रही आर्थिक मंदी है. वहीं कॉरपोरेट कर में भारी कटौती भी इसके लिए जिम्मेदार है. अगर सरकार को प्रत्यक्ष कर संग्रह का लक्ष्य हासिल करना है तो चालू वित्त वर्ष की बची हुई अवधि में इसे 30 प्रतिशत की दर से बढ़ना होगा.

पिछले महीने प्रत्यक्ष कर संग्रह में पांच प्रतिशत की वृद्धि हुई थी. वहीं चालू वित्त वर्ष के पहले साढ़े छह महीनों में कॉरपोरेट कर संग्रह में केवल 2.5 प्रतिशत की वृद्धि हुई है.

कई सरकारी अधिकारियों का मानना है कि अर्थव्यवस्था की वर्तमान हालत को देखते हुए प्रत्यक्ष कर संग्रह के लक्ष्य को हासिल कर पाना संभव नहीं है. उनका मानना है कि कॉरपोरेट कर में कटौती से प्रत्यक्ष कर संग्रह और अधिक घट जाएगा.

आर्थिक मंदी से निपटने के लिए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पिछले महीने कॉरपोरेट कर में कटौती का एलान किया था. यही नहीं यह कटौती 1 अप्रैल से लागू माने जाने की बात उन्होंने कही थी. जो कंपनियां सरकार की तरफ से किसी भी तरह की छूट का फायदा नहीं उठा रही हैं, उनके लिए कॉरपोरेट कर में कटौती 30 से 22 प्रतिशत कर दी गई. वहीं नई मैन्युफैक्चरिंग कंपनियों के लिए यह कटौती 25 प्रतिशत से 15 प्रतिशत कर दी गई.

पिछले सप्ताह राजस्व सचिव एबी पांडेय ने बताया कि सरकार प्रत्यक्ष कर संग्रह लक्ष्य को संशोधित करने पर विचार कर रही है. उन्होंने कहा कि फिलहाल वे प्रत्यक्ष कर संग्रह का आकलन कर रहे हैं और इसके आधार पर ही फैसला लिया जाएगा.

चालू वित्त वर्ष के पहले छह महीनों में कुल प्रत्यक्ष कर संग्रह में मात्र 6 प्रतिशत की वृद्धि हुई है. जबकि पिछले वित्त वर्ष की इसी अवधि में इसमें 18 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी. चालू वित्त वर्ष में अब तक की अवधि में प्रत्यक्ष कर संग्रह पिछले चार सालों में सबसे कम है.


Big News