झूठे विज्ञापनों को लेकर एलिजाबेथ वारेन ने फेसबुक पर निशाना साधा
2020 अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव के लिए डेमोक्रेटिक पार्टी से राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार दौड़ में शामिल सीनेटर एलिजाबेथ वारेन ने सोशल मीडिया जायंट फेसबुक की राजनीतिक विज्ञापन नीति पर सवाल उठाए हैं.
उन्होंने आरोप लगाया है कि मुनाफे की खातिर फेसबुक राजनीतिक विज्ञापनों में झूठ परोसने से बिल्कुल भी नहीं हिचक रहा है. उन्होंने कहा है कि फायदा कमाने के एवज में फेसबुक लोकतंत्र को खतरे में डाल रहा है.
सिलसिलेवार तरीके से किए गए अपने ट्वीट्स में एलिजाबेथ वारेन ने आरोप लगाया कि फेसबुक ने अपनी विज्ञापन नीतियों को इस तरह बदला है कि इस प्लेटफॉर्म पर नेता झूठ से भरे अपने विज्ञापनों को आसानी से चला रहे हैं.
उन्होंने कहा कि इस तरह से यह प्लेटफॉर्म ‘मुनाफे के बदले झूठ परोसने की मशीन’ बन गया है.
वारेन ने कहा कि इस विषय में जांच करने के लिए पिछले सप्ताह उन्होंने खुद एक झूठा विज्ञापन फेसबुक पर चलाया और इसमें उन्हें किसी भी प्रकार की परेशानी का सामना नहीं करना पड़ा.
उन्होंने आगे कहा कि फेसबुक के पास राष्ट्रीय बहस और चुनाव को प्रभावित करने के लिए असीमित ताकत है और फेसबुक ने नेताओं को झूठ बोलने के लिए अपना प्लेटफॉर्म उपलब्ध करा दिया है.
एलिजाबेथ वारेन ने कहा, ‘एक बार हम फिर यह देख रहे हैं कि फेसबुक ने राजनीतिक परिदृश्य में गलत और भ्रामक सूचना से लड़ने के अपने निश्चय से समझौता कर लिया है. ऐसा उन्होंने केवल मुनाफा कमाने के लिए किया है. लोकतंत्र को बचाने और मुनाफा कमाने में फेसबुक ने मुनाफा कमाना चुना है.’
उन्होंने दावा किया कि वर्तमान में डोनल्ड ट्रंप फेसबुक पर विज्ञापन देने के लिए प्रति सप्ताह 10 लाख डॉलर खर्च कर रहे हैं. ये विज्ञापन झूठ के पुलिंदे हैं और टीवी चैनल इन्हें प्रसारित करने से साफ मना कर देते हैं, लेकिन फेसबुक इनके बारे में कोई सवाल नहीं पूछता, बस पैसे लेकर इन्हें चला देता है.
अंत में उन्होंने कहा कि फेसबुक एक बार पहले अपनी अनभिज्ञता के चलते डोनल्ड ट्रंप की मदद कर चुका है. अब उन्होंने अपनी नीतियां इस कदर बदल ली हैं कि वे अमेरिकी लोगों से बोले जा रहे झूठ से मुनाफा कमा सकें. अब वक्त आ गया है कि इसके लिए मार्क जुकरबर्ग को जिम्मेदार ठहराया जाए.