पूर्व नौसेना प्रमुख रामदास ने जनरल रावत की राजनीतिक टिप्पणी को गलत बताया


ex navy chief held political comment of general bipin rawat wrong

 

पूर्व नौसेना प्रमुख एडमिरल एल. रामदास ने नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ देशभर में हो रहे प्रदर्शनों के खिलाफ थल सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत के बयान को ‘गलत’ बताया. उन्होंने कहा कि सैन्य बलों के लोगों को राजनीतिक ताकतों के बजाय देश की सेवा करने के दशकों पुराने सिद्धांत का पालन करना चाहिए.

रामदास ने कहा कि सेना की तीनों सेवाओं में एक आंतरिक संहिता है, जिसमें व्यवस्था है कि उन्हें निष्पक्ष और तटस्थ रहना चाहिए. ये नियम दशकों से सशस्त्र बलों का आधार हैं.

रामदास ने कहा, ”यह नियम बहुत स्पष्ट है कि हम देश की सेवा करते हैं, ना कि राजनीतिक ताकतों की और ना किसी राजनीतिक विचार को व्यक्त करने के लिए हैं. जैसा कि हमने आज सुना है…किसी भी सेवारत कर्मियों के लिए यह एक गलत बात है, चाहे वह शीर्ष पद पर हों या निचले पायदान पर.”

थल सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत ने नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के खिलाफ विरोध प्रदर्शनों पर टिप्पणी करते हुए कहा कि यदि नेता हमारे शहरों में आगजनी और हिंसा के लिए विश्वविद्यालयों और कॉलेज के छात्रों सहित जनता को उकसाते हैं, तो यह नेतृत्व नहीं है.

जनरल रावत थल सेना प्रमुख के तौर पर 31 दिसंबर को सेवानिवृत्त होने वाले हैं. उन्हें देश का पहला चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएएस) नियुक्त किये जाने की संभावना है. थल सेना प्रमुख पर अपने तीन साल के कार्यकाल में राजनीतिक रूप से तटस्थ नहीं रहने के भी आरोप लगे हैं .

सैन्य कानून की धारा 21 के तहत सैन्यकर्मियों के किसी भी राजनीतिक या अन्य मकसद से किसी के भी द्वारा आयोजित किसी भी प्रदर्शन या बैठक में हिस्सा लेने पर पाबंदी है. राजनीतिक विषय पर प्रेस से संवाद करने या राजनीतिक विषय से जुड़ी किताबों के प्रकाशन कराने पर भी मनाही है.

रामदास ने कहा, ”हमारे यहां एक आंतरिक संहिता है जिसका हमें पालन करना चाहिए. इसमें निर्धारित है कि हमें तटस्थ और निष्पक्ष रहना चाहिए…और इस तरह इन वर्षों में हम सब ने ये देखा है.”

रावत के बयान पर राजनीतिक जगत से तीखी प्रतिक्रिया आई है.

स्वराज इंडिया के नेता योगेंद्र यादव ने कहा, ”मैं उनसे सहमत हूं. हां नेताओं को सही दिशा में (लोगों को) ले जाने के लिए नेतृत्व करना चाहिए. मुझे पूरा विश्वास है, जब वह बात कर रहे होंगे उनके मन में प्रधानमंत्री होंगे.”

उन्होंने कहा कि राजनीति पर जनरल रावत की टिप्पणी पिछले 70 साल में भारतीय सेना की परंपरा से पीछे हटने की तरह है. उन्होंने कहा, ”ऐसा पाकिस्तान और बांग्लादेश में होता है.”

कांग्रेस प्रवक्ता बृजेश कलप्पा ने भी बयान को लेकर जनरल रावत की आलोचना की. उन्होंने ट्वीट किया, ”सीएए प्रदर्शन के खिलाफ थल सेना प्रमुख बिपिन रावत का बोलना संवैधानिक लोकतंत्र के पूरी तरह खिलाफ है. अगर आज थल सेना प्रमुख को राजनीतिक मुद्दों पर बोलने की अनुमति मिलती है तो कल उन्हें सैन्य नियंत्रण के प्रयास की भी अनुमति होगी.”

एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि किसी के पद की सीमाओं को जानना ही नेतृत्व है. नागरिक सर्वोच्चता के विचार को समझने तथा अपने अधीन मौजूद संस्थान की अखंडता को सुरक्षित रखने के बारे में है.

कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने भी ट्वीट किया, ‘नेता वह नहीं होते जो लोगों को आगजनी या उपद्रव में हथियार उठाने के लिए प्रेरित करे’: नागरिकता कानून के खिलाफ विरोध प्रदर्शन पर सेना प्रमुख. मैं जनरल साहब की बातों से सहमत हूं, लेकिन नेता वे नहीं होते हैं जो अपने समर्थकों को सांप्रदायिक हिंसा के नरसंहार में लिप्त होने देते हैं. क्या आप मुझसे सहमत हैं जनरल साहेब?

सीपीएम नेता सीताराम येचुरी ने भी जनरल रावत के बयान के लिए उनकी आलोचना की.

उन्होंने कहा, ”थल सेना प्रमुख के इस बयान से स्पष्ट हो जाता है कि मोदी सरकार के दौरान स्थिति में कितनी गिरावट आ गई है कि सेना के शीर्ष पद पर बैठा व्यक्ति अपनी संस्थागत भूमिका की सीमाओं को लांघ रहा है.”


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