बजट में सरकारी दावों की पड़ताल


fact check of govt claims in budgets speech

 

संसद के बजट सत्र के पहले दिन वित्त मंत्री पीयूष गोयल ने अंतरिम बजट पेश किया. अपने बजट भाषण के दौरान पीयूष गोयल ने कई लोकलुभावन योजनाओं की घोषणा की. इस दौरान वित्त मंत्री ने सरकार की योजानाओं की सफलता को लेकर भी कई दावे किए. नीचे हम फेक्ट चैकर की ओर से दी गई जानकारी के आधार पर सरकारी दावों की पड़ताल कर रहे हैं.

दावा : सरकार की योजना मेक इन इंडिया के तहत देश में मोबाइल और मोबाइल पार्ट्स निर्माता कंपनियों की संख्या 2 से बढ़कर 268 हो गई.

तथ्य : गलत. अगस्त 2018 तक के मौजूद आकंड़े बताते हैं कि देश में 127 मोबाइल और मोबाइल पार्ट्स निर्माता कंपनिनयां हैं. इंडियन सेल्युलर एसोसिएशन से मिली जानकारी के आधार पर यह बात सरकार ने स्वयं लोकसभा में स्वीकार की है.

दावा : सौभाग्य योजना के तहत हर घर मुफ्त बिजली पहुंचाई. इस साल मार्च तक सभी परिवारों को बिजली कनेक्शन मुहैया करा दिए जाएंगे.

तथ्य : पूरी तरह सही नहीं. देश में 99.88 फीसदी घरों में बिजली पहुंची है. सरकारी आंकड़ो के मुताबिक, देश में 28,500 परिवारों अभी भी बिजली से वंचित हैं. लेकिन अक्टूबर, 2017 में योजना के अनुसार, चार करोड़ परिवारों को बिजली उपलब्ध कराई जानी थी, सरकार ने अपने लक्ष्य की पूर्ति के लिए जनवरी 2019 में इसे 38 फीसदी घटाकर दो करोड़ 48 लाख कर दिया.

दावा : उज्जवला योजना के तहत छह करोड़ परिवारों को एलपीजी कनेक्शन दिए गए.

तथ्य : सही. मई 2016 से जनवरी 2019 के बीच 6 करोड़ 29 लाख परिवारों को एलपीजी कनेक्शन दिए गए : सरकारी आंकड़े. हालांकि, इन तीन साल के अंतराल में हर कनेक्शन पर केवल चार बार सिलेंडर भरवाए गए.

दावा : प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना के तहत एक करोड़ से ज्यादा युवाओं को ट्रेनिंग दी गई, ताकि वे आत्मनिर्भर बन सकें.

तथ्य: गलत. जुलाई 2016 से नवंबर 2018 के बीच पीएम कौशल विकास योजना (दूसरा संस्करण) तहत 30 लाख 60 हजार युवाओं ने ट्रेनिंग के लिए खुद को रजिस्टर किया. जबकि 30 लाख 39 हजार लोगों ने अपनी ट्रेनिंग पूरी की. सरकार के लक्ष्य की तुलना में 34 फीसदी युवाओं को ही ट्रेनिंग दी गई. योजना के पहले संस्करण में 10 लाख 90 हजार युवाओं ने अपनी ट्रेनिंग पूरी की थी : सरकारी आंकड़े. कौशल विकास योजना के पहले संस्करण को असफल बताते हुए, इसकी आलोचना की गई थी. जिसके तहत न युवाओं को उच्च स्तर की ट्रेनिंग दी गई और न ही उन्हें नौकरियां दी गईं.

दावा : देश में 21 एम्स हैं (जो काम कर रहे हैं या बनाए जा रहे हैं). जिसमें से 14 एम्स की साल 2014 के बाद घोषणा की गई.

तथ्य : सही. लेकिन जिन 14 एम्स की साल 2014 की बाद घोषणा की गई, उसमें से फिलहाल कोई भी काम नहीं कर रहा है. सरकार का दावा है कि इन्हें मार्च 2020 और सितंबर 2022 तक तैयार कर लिया जाएगा. जिसमें से अभी चार एम्स के लिए सरकार ने कोई लक्ष्य नहीं रखा है.

दावा : मुद्रा योजना के तहत 15 करोड़ 56 लाख लोन दिए गए. जिसकी कुल राशि करीब 7,23,000 करोड़ है.

तथ्य : सही. 25 जनवरी, 2019 तक सरकार ने 15 करोड़ 60 लाख लोगों को लोन दिए. जिनकी कुल लागत 7,27,000करोड़ है.

दावा: रेलवे की बड़ी लाइनों पर मानव रहित क्रासिंग खत्म हो गई है.

तथ्य: पूरी तरह सही नहीं. अभी भी देश में 28 मानव रहित रेलवे क्रासिंग हैं. 4 जनवरी 2019 को सरकार ने राज्यसभा में जानकारी दी थी कि देश में सभी मानव रहित रेलवे क्रासिंग को मार्च 2019 तक (सबवे बनाकर, बंद करके और गार्ड की तैनाती) के बाद खत्म कर दी जाएंगी.

http://factchecker.in/ (सभी आंकड़े फेक्ट चैकर से साभार)


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