अब जीएसटी संग्रह में कमी सरकार के लिए हो सकती है अगली बड़ी चुनौती


fall in gst collection may turn into next worry for the center

 

मंदी की ओर बढ़ती भारतीय अर्थव्यवस्था के बीच अब माल एवं सेवा कर (जीएसटी) से होने वाली राजस्व प्राप्ति में गिरावट के संकेत सरकार के लिए अगली बड़ी चुनौती हो सकती है.

चालू वित्त वर्ष के पहले पांच महीनों में जीएसजी संग्रह के आधार पर विश्लेषकों ने आशंका व्यक्त की है कि अगर जल्द ही जीएसटी व्यवस्था में सुधार नहीं किया गया तो सरकार को इससे होने वाली राजस्व प्राप्ति में भारी धक्का लग सकता है. उन्होंने सरकार को 40 हजार करोड़ रुपये की कम राजस्व प्राप्ति का अनुमात जताया है.

जीएसटी राजस्व संग्रह पर क्रेडिट सुइस ने अपने विश्लेषण में कहा, “चालू वित्त वर्ष के पहले पांच महीनों में जीएसजी संग्रह अनुमानित 10 फीसदी से नीचे 6.4 फीसदी रहा है. अगर पूरे साल यही दर रही तो राजस्व संग्रह 40 हजार करोड़ रुपये कम रहेगा.”

विश्लेषण के मुताबिक जीएसटी कानून के तहत राज्य को राजस्व में सालाना 14 फीसदी वृद्धि की गारंटी दी गई है. केंद्र ऑटोमोबाइल आदि उत्पादों पर जीएसटी पर सेस के संग्रह से राज्यों के राजस्व में कमी का भुगतान करता है.

क्रेडिट सुइस ने कहा कि “इस बारे में नियम स्पष्ट नहीं हैं. पर अगर भुगतान की राशि सेस संग्रह से अधिक रहती है तो फंड सामान्य राजकोषीय व्यय से लिया जाएगा. ऐसे में ये मसला भले ही केंद्र और राज्य के बीच आवंटन से जुड़ा हो लेकिन इसका विकास पर नकारात्मक प्रभाव हो सकता है.”

वहीं आईएचएस मार्केट का इंडिया सर्विसेज बिजनेस एक्टिविटी सूचकांक (पीएमआई) अगस्त में घटकर 52.4 पर रह गया. जुलाई में यह आंकड़ा 53.8 पर था. ये हालिया आंकड़े उत्पादन में बढ़ोत्तरी की दर में कमी को दर्शाते हैं. इस सूचकांक में विनिर्माण एवं सेवा क्षेत्र दोनों को शामिल किया जाता है.

सूचकांक का 50 से अधिक रहना विस्तार दर्शाता है जबकि 50 से नीचे का सूचकांक संकुचन का संकेत देता है.

आईएचएस मार्केट की प्रधान अर्थशास्त्री पीडी लिमा ने कहा, “भारत के सेवा क्षेत्र का पीएमआई विनिर्माण क्षेत्र के रुझान के मुताबिक ही है. यह वित्त वर्ष 2019-20 की दूसरी तिमाही में अर्थव्यवस्था में नरमी की बुरी खबर लेकर आ रहा है.”

इससे पहले न्यूज एजेंसी रॉयटर्स ने पांच सरकारी अधिकारियों और सलाहकारों के हवाले से खबर दी कि अर्थव्यवस्था में आई नरमी की वजह से कर संग्रह में बड़ी गिरावट आई है.

अप्रैल से जून की तिमाही में अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर घटकर पांच फीसदी हो गई है. यह छह साल में जीडीपी की सबसे कम वृद्धि दर है. सूत्रों के मुताबिक सरकार 2019 के अंत तक राजकोषीय घाटा के लक्ष्य को जीडीपी का 3.3 फीसदी से बढ़ाकर 3.5 कर सकती है.

अधिकारियों के मुताबिक कर संग्रह में एक लाख करोड़ रुपये तक की गिरावट हो सकती है. यह इस साल के लक्ष्य 34,400 करोड़ का चार फीसदी है.

ऐसे में ये आंकड़े जीएसटी और आयकर दोनों तरह के कर संग्रह में भारी गिरावट का ट्रेंड दिखा रहे हैं, जो सरकार के लिए अगली बड़ी चुनौती होने वाला है.


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