दस साल पुराने ‘ट्रैक्टर’ के इस्तेमाल पर रोक के फरमान से गुस्से में किसान


Farmer angry with the order of closing 10 years old 'tractor'

  प्रतिकात्मक तस्वीर

राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में आने वाले दिनों में ऐसे तमाम डीजल वाहनों के मालिकों के लिए परेशानी हो सकती है जिनके वाहन 10 वर्ष से ज्यादा पुराने हो चुके हैं.

पहले से आर्थिक दिक्कतों का सामना कर रहे किसानों के लिए सरकार का यह फैसला कहर बन सकता है. उत्तर प्रदेश परिवहन विभाग ने 10 साल पुराने वाहनों पर शिकंजा कसना शुरू कर दिया है. इससे प्रभावित होने वाले किसान भी हैं जो 10 साल पुराने ट्रैक्टर का इस्तेमाल खेती में कर रहे हैं.

31 मई 2019 तक दस साल पूरे कर चुके वाहनों के इस्तेमाल पर रोक लगाने के लिए विभाग ने सख्त कार्रवाई करने का निर्णय लिया है.

पुराने ट्रैक्टर के इस्तेमाल पर रोक के फैसले को लेकर इससे पहले भी आंदोलन हो चुके हैं. पिछले दिनों दिल्ली की किसान यात्रा में इस मामले को लेकर पुलिस और किसानों के बीच खूनी संघर्ष देखने को मिला था. पुलिस कार्रवाई में दर्जनों किसान घायल हो गए थे.

अब इस मुद्दे पर प्रशासन ने एक बार फिर कठोर रवैया अपना लिया है. जिसके बाद किसान दोबारा इस मुद्दे पर आंदोलन करने के मूड में हैं.

शामली जिले के डागरोल गांव के किसान राजन जावला ने कहा, “यह फैसला किसानों की कमर तोड़ कर रख देगा क्योंकि किसानों कि इतनी आय नहीं है कि किसान 10 साल में ट्रैक्टर बदल सकें.”

वहीं इस मुद्दे पर जब मेरठ जिले के भैंसा गांव के किसान विकास सिंह से बात हुई तो उन्होंने बताया कि किसानों की आर्थिक स्थिति नए ट्रैक्टर लेने की नहीं है और ज्यादातर किसानों के पास 20 साल पुराने ट्रैक्टर हैं.

उन्होंने कहा कि अगर कोई किसान ट्रैक्टर खरीदता है वह भी 10 से 15 साल पुराना ही होता है क्योंकि किसान की आर्थिक स्थिति नया ट्रैक्टर खरीदने की नहीं है इसलिए वो पुराने ट्रैक्टर खरीदकर ही अपना काम चला लेता है.

गांवों की पंचायत में भी पुराने ट्रैक्टर को लेकर चर्चा है. पंचायत में बैठे एक किसान ने बताया कि अगर यह नियम लागू होता है तो किसान सड़क पर आकर आंदोलन करेंगे क्योंकि किसान के हिसाब से एक ट्रैक्टर की उम्र लगभग 40 साल की होती है, वह हर 10 साल में ट्रैक्टर नहीं बदल सकता है.

वहीं पर बैठे एक वृद्ध किसान ने मजाकिया लहजे में कहा कि अगर सरकार को ये नियम लागू करना ही है तो वह हमारे पुराने ट्रैक्टर लेकर बदले में नया ट्रैक्टर दे दे.

सरकार ने अगर इस मुद्दे पर किसानों के हक में कोई निर्णय नहीं लिया तो सरकार और किसानों के बीच एक बार फिर टकराव देखने को मिल सकता है.

पश्चिम उत्तर प्रदेश पहले भी कई बार बड़े किसान आंदोलन का केन्द्र रहा है. यहां से कई ऐसे किसान आंदोलन हुए हैं जिन्होंने उस समय की केन्द्र सरकार की जड़ें हिलाकर रख दी थी.

अगर सरकार ने किसानों की नहीं सुनी तो एक बार फिर पश्चिमी उत्तर प्रदेश बड़े किसान आंदोलन की पृष्ठभूमि तैयार कर सकती है और केंद्र सरकार के लिए मुश्किलें खड़ी हो सकती हैं.


Big News