महिलाओं को रोजगार देने में भी मोदी सरकार फिसड्डी
देश में श्रम बल में महिलाओं की भागीदारी में पिछले कुछ साल के दौरान भारी गिरावट देखने को मिला है. साल 2005 में महिलाओं की श्रम बल में भागीदारी 36.7 फीसदी थी. 2018 में गिरकर 26 फीसदी पर आ गई है. डिलॉयट की एक रिपोर्ट में यह कहा गया है.
डिलॉयट ने ‘भारत में चौथी औद्योगिक क्रांति के लिए लड़कियों और महिलाओं का सशक्तिकरण’ रिपोर्ट में कहा कि असंगठित क्षेत्र में 95 फीसदी यानी 19.5 करोड़ महिलाएं ऐसी हैं जो बेरोजगार हैं या उन्हें काम के बदले पैसा नहीं मिलता है.
रिपोर्ट में श्रम बल में महिलाओं की भागीदारी कम होने के कारण गुणवत्ता युक्त शिक्षा तक पहुंच का अभाव और आर्थिक और सामाजिक बंधनों को बताया गया है.
रिपोर्ट में कहा गया है, “एशिया और भारत में महिलाओं के समक्ष मुख्य चुनौतियां शिक्षा की कमी, गुणवत्तायुक्त शिक्षा की उपलब्धता का अभाव और डिजिटल विभाजन हैं जो उन्हें रोजगार योग्य कौशल पाने, श्रम बल में शामिल होने और उद्यम शुरू करने से रोकते हैं.”
डिलॉयट ने कहा कि सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक रुकावटों से महिलाओं के लिए अवसर कम होते हैं.
रिपोर्ट में महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए गुणवत्तायुक्त शिक्षा और कौशल प्रशिक्षण के महत्व को रेखांकित किया गया है.
रिपोर्ट में चौथी औद्योगिक क्रांति के बारे में कहा गया है कि, “प्रौद्योगिकी, डिजिटलीकरण और स्वचालन के उभार के दौर में यह आशंका प्रबल हो जाती है कि कम कौशल और कम वेतन वाले काम में अधिकांश महिलाओं का रोजगार प्रभावित होगा.”