गांधीवादी कार्यकर्ता कुमार प्रशांत के खिलाफ एफआईआर, सावरकर को बदनाम करने का आरोप


FIR against Gandhian activist Kumar Prashant, accused of defaming Savarkar

 

राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) के दो कार्यकर्ताओं ने गांधी पीस फाउंडेशन के प्रमुख कुमार प्रशांत के खिलाफ ओडिशा के दो अलग-अलग पुलिस स्टेशन में एफआईआर दर्ज करवाई है. एफआईआर में विनायक दामोदर सावरकर के खिलाफ गलत प्रचार करने और “देश के खिलाफ षड्यंत्र” करने का आरोप लगाया गया है.

द लीफलेट में छपी खबर के मुताबिक गांधी कथा कार्यक्रम की मीडिया रिपोर्ट के आधार पर एफआईआर दर्ज की गई है. इस कार्यक्रम को कुमार प्रशांत ने भुवनेश्वर में 16 से 18 अगस्त के बीच संबोधित किया था.

एआईआर में गांधीवादी कुमार प्रशांत के पर आरएसएस के खिलाफ गलत बयानबाजी और जम्मू और कश्मीर की जनता को भड़काने का आरोप लगाया गया है.

पहली एफआईआर सांप्रदायिक तनाव झेल रहे कंधमाल जिला मुख्यालय फुलबनी के आदर्श पुलिस स्टेशन में और दूसरा कटक के लालबाग पुलिस स्टेशन में दर्ज करवाई गई है.

महात्मा गांधी की 150वीं जयंती के मौके पर ओडिशा सरकार की ओर से गठित आयोजक समिति के निमंत्रण पर गांधी कथा को संबोधित करने के लिए कुमार प्रशांत ओडिशा पहुंचे थे.

गांधीवादी कुमार प्रशांत ने कहा था कि भारत के स्वतंत्रता आंदोलन में आरएसएस की कोई भूमिका नहीं है और अंडमान की सेल्यूलर जेल से रिहा होने के लिए सावरकर ने ब्रिटिश राज के साथ सहयोग किया था.

उन्होंने अनुच्छेद 370 को खत्म किए जाने को अलोकतांत्रिक बताते हुए जम्मू कश्मीर के लोगों को विश्वास में नहीं लिए जाने की आलोचना की थी और इसे देश के विभाजन में मोहम्मद अली जिन्ना की भूमिका से जोड़ा था.

एफआईआर में कहा गया है, “गांधी पीस फाउंडेशन के प्रमुख कुमार प्रशांत ने वीर सावरकर को कलंकित किया है जिनका चित्र संसद के केन्द्रीय कक्ष की शोभा बढ़ा रहा है.”

आरएसएस के प्रवक्ता रविनारायण पांडा ने कहा कि दोनों एफआईआर आरएसएस से जुड़े लोगों के द्वारा दर्ज की गई है.

पांडा ने कहा, “कुमार प्रशांत जानकार हैं. उन्होंने लोगों को आरएसएस और उनके प्रतीक पुरुषों के बारे में गुमराह नहीं करना चाहिए. उन्हें ऐसे साहित्य को पढ़ना चाहिए जो भारत छोड़ो आंदोलन में संगठन की भूमिका के बारे में बताती है. उन्हे यह भी जानना चाहिए कि साल 1925 में आरएसएस के गठन से पहले वह कांग्रेस के एक प्रमुख नेता थे.”

गांधी पीस फाउंडेशन के समन्वयक बिश्वजीत रॉय ने कहा कि प्रशांत जी गलत इतिहास नहीं बता रहे हैं. यह सबकुछ सार्वजनिक रूप से पहले से उपलब्ध है.


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