फिच रेटिंग्स की चेतावनी- अगले दो साल तक अर्थव्यवस्था में सुधार के संकेत नहीं


industrial output decreased while retail inflation rate rises

 

फिच रेटिंग्स के मुख्य अर्थशास्त्री ब्रायन कोल्टन ने चेतावनी दी है कि अगले दो सालों तक भारतीय अर्थव्यवस्था के पटरी पर आने के कोई संकेत नहीं हैं. इसके साथ ही फिच रेटिंग्स ने चालू वित्त वर्ष के लिए भारत की जीडीपी वृद्धि दर के अनुमान को घटाकर 5.5 प्रतिशत कर दिया है. यह रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के पहले से ही संशोधित अनुमान 6.1 प्रतिशत से भी कम है.

एजेंसी ने इसके पीछे का मुख्य कारण बाजार में पैसे की कमी को बताया है. एजेंसी ने कहा है कि यह कमी मुख्य रूप से गैर-बैंकिंग वित्तीय संस्थानों की उधार देने की क्षमता घटने की वजह से हुई है.

ब्रायन कोल्टन ने कहा, ‘पिछले वित्त वर्ष के मुकाबले चालू वित्त वर्ष में भारत में नए लोन में तीन प्वाइंट्स की कमी आने का अनुमान है. इससे जीडीपी वृद्धि दर पर काफी नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा.’

वहीं लोन की उपलब्धता ना होने के साथ-साथ इसकी वापसी ना हो पाना भी भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए चिंता की बात बनी हुई है. यह तब है जब चालू वित्त वर्ष में अब तक 135 बेसिस प्वाइंट्स की कटौती की जा चुकी है.

कोल्टन ने मौद्रिक नीति को भी आर्थिक मंदी के लिए जिम्मेदार ठहराया है. उन्होंने कहा कि मौद्रिक नीति से उधार देने की क्षमता में सुधार नहीं हो रहा है.

एजेंसी ने वित्त वर्ष 2020-21 के लिए 6.2 प्रतिशत जीडीपी वृद्धि दर का अनुमान लगाया है. वहीं वित्त वर्ष 2021-22 के लिए यह अनुमान 6.7 प्रतिशत है.

कोल्टन ने कहा कि गैर-वित्तीय बैंकिंग संस्थानों की उधार देने की क्षमता घटने से रीयल एस्टेट और सड़क निर्माण क्षेत्र पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा है. इससे बेरोजगारी बढ़ी है. वहीं इससे ऑटो सेक्टर में भी मांग में भारी कमी आई है.


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