घटती आमदनी से रोजमर्रा की वस्तुओं की बिक्री में गिरावट
लगातार बढ़ती महंगाई और घटती जा रही क्रय शक्ति की वजह से वस्तुओं और सेवाओं के उपभोग की गति भी घट रही है. मिंट में छपी एक खबर के अनुसार उपभोक्ता निरीक्षण फर्म नील्सन ने कहा है कि इस साल एफएमसीजी इंड्रस्ट्री 2018 के अंतिम क्वार्टर के मुकाबले कम से कम दो फीसदी धीमी गति से वृद्धि करेगी.
एफएमसीजी इंड्रस्ट्री के अंतरगत रोजमर्रा के स्तर पर बिकने वाली वस्तुएं आती हैं.
नील्सन ने कहा है कि एफएमसीजी इंड्रस्ट्री 2019 में पहले के 13 से 14 फीसदी के अनुमान के मुकाबले केवल 11 से 12 फीसदी की दर से वृद्धि करेगी. इस बीच महंगाई दर के भी 4 फीसदी तक पहुंच जाने का अनुमान है. पिछले दिसंबर में यह 2.1 फीसदी थी.
इसके साथ इस साल मानसून के औसत से कम होने का अनुमान चीजें और बिगाड़ सकता है.
नील्सन ने अपनी रिपोर्ट में कहा, “शहरी क्षेत्र में वृद्धि की गति में जहां थोड़ी सी ही मंदी आई है, वहीं ग्रामीण क्षेत्र में यह तेज है. ग्रामीण क्षेत्र की वृद्धि में आई इस तेज कमी ने 2018 के अंतिम क्वार्टर से लेकर 2019 के पहले क्वार्टर में एफएमसीजी इंड्रस्ट्री पर ऐतिहासिक नकारात्मक प्रभाव डाला है.”
नील्सन ने कहा, “2019 के मार्च क्वार्टर में भारतीय एफएमसीजी इडंस्ट्री में कुल मिलाकर 13.6 फीसदी की वृद्धि हुई. यह 2018 के दिसंबर क्वार्टर के मुकाबले 2.3 फीसदी कम है. ग्रामीण क्षेत्र में दिसंबर क्वार्टर में 20 फीसदी की गति से वृद्धि हुई थी. वहीं मार्च क्वार्टर में यह गति केवल 15 फीसदी रह गई.”
सोसाइटी ऑफ इंडियन ऑटोमोबाइल मैन्युफैक्चरर्स का कहना है, “ 2019-20 में बड़ी गाड़ियों और दोपहिया वाहनों की बिक्री दर में क्रमश: 3 से 5 और 5 से 7 फीसदी की वृद्धि होने का अनुमान है. यह काफी कम है.”
वहीं केयर रेटिंग्स के मुख्य अर्थशास्त्री मदन सबानवीस का कहना है, “एजेंसी को इस बात में जरा भी भरोसा नहीं है कि भारत में इस साल उपभोग में कोई वृद्धि होगी.”
नील्सन ने बताया कि ग्रामीण क्षेत्र में उपभोग में कमी मुख्यत: डिब्बाबंद खाद्य पदार्थों की खपत में आई कमी की वजह से हुई है.
नील्सन का मानना है कि इस साल औसत से कम मानसून होने का अनुमान इस स्थिति को और खराब करेगा. मौसम का अनुमान लगाने वाली एजेंसी स्काईनेट ने इस साल भारत में मानसून के औसत से कम रहने का अनुमान लगाया है. हालांकि भारतीय मौसम विभाग ने इसके सामान्य रहने का अनुमान लगाया है.
नील्सन ने कहा है कि उपभोग में आई इस कमी से बड़े उद्योगों के मुकाबले छोटे उद्योगों को अधिक नुकसान होगा. बहरहाल, इस पूरे अनुमान से केंद्र में दूसरा कार्यकाल तलाश रही वर्तमान एनडीए सरकार को खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है.