आरटीआई बिल को लेकर पूर्व सूचना आयुक्त ने मुख्यमंत्रियों को पत्र लिखा


former central information commissioner writes letter to three chief ministers

 

पूर्व केंद्रीय सूचना आयुक्त एम श्रीधर आचार्युलू ने आरटीआई संशोधन बिल का राज्यसभा में समर्थन करने पर नाराजगी जताते हुए मुख्यमंत्रियों के चंद्रशेखर राव, वाई एस जगन मोहन रेड्डी और नवीन पटनायक को पत्र लिखा है.

उन्होंने अपने पत्र में लिखा, “मैं इस तथ्य को लेकर स्तब्ध हूं कि आप लोगों ने आरटीआई संशोधन बिल का समर्थन किया और राज्य सभा में अपने सांसदों को इस बिल के समर्थन में वोट करने को कहा. मुझे इस बारे में नहीं पता है कि आपने और आपके सांसदों ने बिल को पढ़ा है और उसमें प्रस्तावित बदलावों के निहितार्थ को समझा है.”

आचार्युलू ने आगे लिखा, “आप तीनों ने जनता के लिए बहुत संघर्ष किया है इसलिए आप तीनों लोग अपने-अपने कानूनी सलाहकारों की सहायता से यह जानने का प्रयास करें कि आखिर किस तरह से यह बिल आपके संघर्ष को मिट्टी में मिला देगा. हालांकि, यह काम आपको बिल का समर्थन करने से पहले करना था.”

आचार्युलू ने अपने पत्र में तीनों मुख्मंत्रियों से कुछ प्रश्नों के जवाब मांगे हैं.

आचार्युलू ने पूछा है कि क्या आप तीनों मुख्यमंत्री इस बात से अवगत हैं कि यह बिल ना केवल केंद्रीय सूचना आयुक्तों की स्वायत्ता को खत्म करता है बल्कि आपके राज्यों के सूचना आयुक्तों की स्वायत्ता को भी खत्म करता है.

आचार्युलू ने आगे पूछा है कि क्या आपके सांसदों को पता है कि जब उन्होंने इस बिल का समर्थन किया तब उन्होंने उन लोगों की स्वतंत्रता को केंद्र सरकार के पास गिरवी रख दिया, जिनका वैधानिक तौर पर नेतृत्व आपको करना है और यह देश के संघीय ढांचे के खिलाफ है.

उन्होंने आगे लिखा कि क्या आपको पता है कि इस तरह से अपनी शक्तियों को केंद्र सरकार के आगे गिरवी रख देने से आपके पास अपने राज्यों के सूचना आयुक्तों की कार्य अवधि और स्टेटस तय करने का कोई अधिकार नहीं होगा.

श्रीधर आचार्युलू ने आगे पूछा है कि क्या आपको पता है है कि आरटीआई लाखों लोगों को खुद को सशक्त करने में मदद कर रहा था. इसने केवल दस रुपये में लोगों को अपनी परेशानियों का हल निकालने की सहूलियत दी. इसने हजारों सरकारी कार्यालयों में छोटे-छोटे भ्रष्टाचारों को रोकने में मदद की. इस तरह इसने छोटे स्तर पर ही सही लेकिन सुशासन की नींव रखी. शायद यही सुशासन आप अपने लोगों को देना चाहते हैं?

उन्होंने आगे पूछा है कि क्या आपको पता है कि सरकार ने इस बिल के संशोधन के तहत संसद में जरूरी बातों पर कोई प्रकाश नहीं डाला. सरकार ने नहीं बताया कि वो केंद्रीय सूचना आयुक्तों और राज्य के सूचना आयुक्तों के पद में किस तरह की अवनति चाहती है, उनके कार्यकाल की कितनी अवधि तय करना चाहती है और उन्हें कितनी तनख्वाह देना चाहती है. क्या आपको नहीं लगता कि आपके राज्य के लोगों को जब यह पता चलेगा कि उनके मुख्यमंत्री राज्य के सूचना आयुक्तों के स्टेटस के बारे में नहीं जानते हैं तो उन्हें कितनी शर्म महसूस होगी.

श्रीधर ने पूछा है कि किस वजह से आप लोगों ने इस असंवैधानिक और अलोकतांत्रिक बिल का समर्थन किया है. क्या आप लोगों को कोई डर था. आप तीनों में से केवल एक के खिलाफ मामला दर्ज है, फिर बाकी दो केंद्र के लेकर क्यों चिंतित थे.


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