सरकार के पास पूर्ण बजट पेश करने का अधिकार नहीं: कांग्रेस
कांग्रेस ने कहा है कि मोदी सरकार अगर एक फरवरी को पूर्ण बजट लेकर आई तो उसका कड़ा विरोध किया जाएगा.
कांग्रेस का मानना है कि इस सरकार की तरफ से पूर्ण बजट लेकर आना ‘संसदीय परंपराओं का उल्लंघन’ होगा. अगर सरकार तब भी ऐसा करती है तो इसका संसद से लेकर सड़क तक पुरजोर विरोध किया जाएगा.
कांग्रेस का कहना है कि मोदी सरकार का कार्यकाल 26 मई को खत्म हो रहा है. लिहाजा उसे 1 अप्रैल से शुरू होने वाले पूरे वित्त वर्ष के लिए बजट लाने का अधिकार नहीं है. सरकार को ज़रूरी खर्चों के लिए वोट ऑन एकाउंट लाना चाहिए. पूर्ण बजट पेश करने का अधिकार आम चुनाव के बाद बनने वाली अगली सरकार का होगा.
कांग्रेस प्रवक्ता मनीष तिवारी ने संवाददाताओं से कहा, “ऐसी खबरें आ रही हैं कि सरकार पूर्ण बजट पेश करेगी. अगर ऐसा होता है तो यह सभी संसदीय परंपराओं और प्रक्रियाओं का उल्लंघन होगा. 70 साल की परंपरा और संसदीय प्रणाली के साथ खिलवाड़ होगा.”
उन्होंने कहा, “एनडीए सरकार के पास यह जनादेश और यह संवैधानिक ताकत नहीं है कि वह छह पूर्ण बजट पेश करे. वह पहले ही पांच पूर्ण बजट पेश कर चुके हैं. वित्त वर्ष 2019-2020 इस साल एक अप्रैल से आरंभ होगा और इस सरकार का कार्यकाल मई, 2019 में खत्म हो रहा है. ऐसे में यह सरकार अगले वित्त वर्ष का बजट पेश कैसे कर सकती?”
लोक सभा के पूर्व महासचिव और संसदीय मामलों के जानकार पीडीटी अचारी का कहना है, “अब तक ऐसा होता आया है कि चुनावी साल में सरकार ज़रूरी खर्चों के लिए वोट ऑन एकाउंट लाती है. ऐसे में अगर सरकार फरवरी में पूर्ण बजट पेश करती है तो यह संवैधानिक तैर पर गलत होगा. सरकार के पास सिर्फ पांच पूर्ण बजट पेश करने का जनादेश है.”
उन्होंने आगे कहा, “सरकार और लोकसभा को मिला हुआ जनादेश मई 2019 में खत्म हो जाएगा. ऐसे में सरकार के पास ऐसी शक्ति नहीं है कि वह पूरे साल का बजट पेश कर सके.”