जून के बाद लहसुन के दाम 55 फीसदी तक बढ़े


garlic prices increased to 55 percent from june

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थोक व्यापारियों द्वारा मांग में बढ़ोतरी और सर्दियों के मौसम से पहले आपूर्ति में कमी के चलते लहसुन के दाम तेजी से ऊपर जा रहे हैं. जून के बाद से अब तक खुदरा बाजारों में लहसुन के दामों में 55 फीसदी तक की बढ़ोतरी दर्ज की गई है.

बिजनेस स्टैंडर्ड की खबर के मुताबिक सरकारी स्वामित्व वाले राष्ट्रीय बागवानी बोर्ड (एनएचबी) द्वारा इकट्ठा किए गए आंकड़ों से पता चलता है कि दिल्ली में गुरुवार को लहसुन के दाम 170 रुपये प्रति किलो रहे. जबकि दो महीने पहले जून में दाम 110 रुपये प्रति किलो थे.

इससे पहले करीबन एक साल तक लहसुन के दाम में अधिक बढ़ोतरी नहीं देखी गई थी. इस दौरान थोक मंडियों में जहां लहसुन 20-30 रुपये प्रति किलो तो वहीं खुदरा बाजारों में यह 40-60 रुपये प्रति किलो बिक रहा था.

मुंबई की बात करें तो यहां थोक बाजारों में लहसुन के दाम बीते महीने की तुलना में 100 फीसदी तक बढ़कर 200 रुपये प्रति किलो रहे.

दक्षिण भारत, गुजरात और महारष्ट्र से लहसुन की मांग में अचानक उछाल देखने को मिला है. भारत में मध्य प्रदेश में सबसे ज्यादा लहसुन उगाया जाता है. यहां के व्यापारियों को दक्षिण भारत और विदेशों से इस सब्जी की मांग आ रही है.

चीन से भी इसकी मांग बढ़ी है. जहा चिकित्सकीय और अन्य घेरलू कामों में लहसुन का इस्तेमाल किया जाता है.

मध्य प्रदेश में दलौदा मंडी के सचिव जेएन ओझा ने कहा, “तमिलनाडु और कर्नाटक समेत अन्य दक्षिण भारतीय राज्यों से लहसुन की मांग में तेजी आई है. लेकिन आपूर्ति पूरी ना होने के चलते प्रमुख मंडियों में विक्रेता लहसुन के दामों में बढ़ोतरी करने में कामयाब रहे हैं.”

एनएचबी के आंकड़ों के मुताबिक मुंबई मंडी में लहसुन की आपूर्ति घटकर 64 टन हो गई है.

मध्य प्रदेश में झाबुआ मंडी के सचिव सीएस मंडलोई ने कहा, “लहसुन किसान पहले ही अपना माल बेच चुके हैं. अब थोक व्यापारियों और अन्य व्यापारियों के पास लहसुना का स्टॉक है जो दामों में आगे बढ़ोतरी होने तक स्टॉक रोक कर रखेंगे. ये व्यापारी अधिकतर कटाई के मौसम में खरीदारी करते हैं और फिर जैसे-जैसे मांग बढ़ती है ये लोग ज्यादा मुनाफा कमाने कि लिए स्टॉक बेचना शुरु करते हैं. ऐसे में अब अगले साल जनवरी-फरवरी में नई उपज नहीं आने तक दामों में बढ़ोतरी होती रहेगी.”

देश के विभिन्न इलाकों में भारी बारिश और बाढ़ के चलते लहसुन की बुआई में कमई आई है. ऐसे में अगले साल जनवरी-फरवरी में कटाई के मौसम में उपज में भी कमी आएगी.

कृषि मंत्रालय ने 2018-19 में लहसुन की उपज में गिरावट का अनुमान जताया है. मंत्रालय के अनुसार 2017-18 में लहसुन की उपज 10 लाख 86 हजार टन रही थी जो 2018-19 में घटकर एक लाख 50 हजार टन रहने का अनुमान है.


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