चुनावी वर्ष में घट सकती है जीडीपी दर


industrial output decline by 1.1 percent in august

 

भारत के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर वित्त वर्ष 2018-19 की दूसरी छमाही में कम रहने वाली है. केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय (सीएसओ) ने मार्च में खत्म हो रहे इस वित्त वर्ष में जीडीपी की सकल वृद्धि दर 7.2 फीसदी होने का अनुमान जताया है. इस वित्त वर्ष की पहली छमाही में जीडीपी वृद्धि दर 7.6 फीसदी रही है. इसका अर्थ ये हुआ कि दूसरी छमाही (अक्टूबर से मार्च) में जीडीपी वृद्धि दर सिर्फ 6.8 फीसदी रहेगी.

सीएसओ का यह भी अनुमान है कि साल 2018-19 के वित्त वर्ष की बची हुई अवधि में सर्विस सेक्टर की वृद्धि दर कम रहने वाली है, जबकि कृषि और विनिर्माण क्षेत्र रफ़्तार पकड़ेंगे.

सीएसओ द्वारा जारी इस जीडीपी दर को आधार बनाकर ही वित्त मंत्रालय 1 फरवरी को अंतरिम बजट पेश करता है, इसलिए यह काफी महत्वपूर्ण है. वहीं, जीडीपी पर सीएसओ का अनुमान रिजर्व बैंक द्वारा हाल में अपनी मौद्रिक नीति में जताए गए अनुमान से भी कम है. रिजर्व बैंक ने अपनी हालिया मौद्रिक नीति में वित्त वर्ष 2018-19 में सकल वृद्धि दर 7.4 फीसदी होने का अनुमान जताया था.

दरअसल, सरकार इस वित्त वर्ष के पहले आठ वर्षों में राजकोषीय घाटे को कम करने के अपने लक्ष्य से लगातार पिछड़ती गई है. दूसरी छमाही में जीडीपी दर सुस्त रहने का बड़ा कारण इस विफलता को ही माना जा रहा है. केंद्र और राज्यों द्वारा खर्चों में हो रही बढ़ोत्तरी भी इसका कारण है.

आश्चर्यजनक ये भी है कि सरकार की आय में हो रही गिरावट और चुनावी वर्ष में लोकप्रिय वादों की संभावना के बावजूद वित्त मंत्री अरुण जेटली राजकोषीय घाटे को सकल वृद्धि दर के 3.3 फीसदी तक रखने के अपने लक्ष्य पर कायम हैं.

वस्तु और सेवा कर (जीएसटी) संग्रहण भी सरकार के लक्ष्य के अनुरूप नहीं हो रहा है. सरकार ने प्रति महीने दस लाख करोड़ जीएसटी संग्रहण का लक्ष्य रखा था, लेकिन इस वित्त वर्ष के नौ महीनों की अवधि में केवल दो महीनों, अप्रैल और अक्टूबर में ही जीएसटी संग्रहण का यह लक्ष्य पूरा हो सका है.

हालांकि, दावा यह भी था कि जीएसटी संग्रहण में होने वाली इस कमी की आंशिक भरपाई सरकार प्रत्यक्ष कर संग्रहण से कर देगी, लेकिन प्रत्यक्ष कर संग्रहण की दर भी सरकार की उम्मीदों के अनुरूप नहीं है. वित्त मंत्रालय के ताजा आंकड़ें बताते हैं कि दिसंबर 2018 तक सरकार अपने प्रत्यक्ष कर-संग्रहण के लक्ष्य का केवल 64.7 फीसदी ही पूरा कर सकी है.

बावजूद इसके सरकार के लिए ये थोड़े राहत की बात ये हो सकती है कि सीएसओ ने वित्त वर्ष 2018-19 के लिए नामिनल जीडीपी दर का अनुमान 12.3 फीसदी व्यक्त किया है जो वित्त मंत्रालय के अनुमान 11.5 फीसदी से कुछ ज्यादा है.

फिलहाल, इन संकेतों से ये पता चलता है कि अर्थव्यवस्था के मोर्चे पर सरकार की चुनौतियां 2019 में बढ़ने ही वाली हैं. चुनावी वर्ष में जीडीपी दर को उम्मीदों के मुताबिक़ रखना और राजकोषीय घाटे के लक्ष्य को पूरा करना, ऐसी चुनौतियां हैं जिन्हें पार करना आसान नहीं है.


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