जर्मनी में यहूदियों को किप्पा टोपी नहीं पहनने की सलाह


all germans urged to wear kippah cap in support of jews

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जर्मनी सरकार ने सार्वजनिक स्थानों पर यहूदी समुदाय के लोगों को पारंपरिक किप्पा टोपी पहनने से परहेज करने की सलाह दी है. हाल ही में यहूदियों पर हमलों में वृद्धि होने के बाद यह बयान आया है.

क्षेत्रीय प्रेस समूह फूंके में छपे एक साक्षात्कार में जर्मनी सरकार के आयुक्त फेलिक्स क्लीन ने कहा कि यहूदी लोगों को मैं हमेशा हर जगह किप्पा टोपी पहनने की सलाह नहीं दे सकता हूं.

उन्होंने कहा, “यहूदी विरोधी भावनाओं और यहूदियों पर हमले के चलते वह यहूदियों को जर्मनी में हर वक्त सभी जगह किप्पा टोपी पहनने की सलाह नहीं दे सकते.”

अंग्रेजी अखबार द गार्डियन में छपी एक खबर के मुताबिक हाल के दिनों में यूरोप के देशों में यहूदी विरोधी हमलों में वृद्धि हुई है. यहूदी समुदाय के लोगों में असुरक्षा का भाव बढ़ा है. यूरोपीय यूनियन में यहूदी समुदाय के लोगों के बीच करवाए गए एक सर्वे के मुताबिक 89 फीसदी यहूदी लोगों को लगता है कि पिछले एक दशक में यहूदियों के प्रति घृणा का भाव बढ़ा है. जबकि 85 फीसदी लोग इसे एक बड़ी समस्या मानते हैं.

इंटीरियर मिनिस्ट्री के डाटा के मुताबिक जर्मनी में पिछले साल यहूदियों के खिलाफ घृणा अपराधों में 20 फीसदी का इजाफा हुआ है. यहूदियों के खिलाफ दस अपराधों में नौ दक्षिणपंथी समूहों के द्वारा किए गए हैं. साल 2017 में 37 अपराध दर्ज किए गए थे जबकि अगले साल 2018 में यह बढ़कर 62 हो गया.

फ्रांस में भी यहूदियों के खिलाफ हिंसा के मामलों में वृद्धि हुई है.

आयुक्त फेलिक्स क्लीन ने कहा, “समाज में असभ्यता के बढ़ने और रोकथाम में ढील दिए जाने की वजह से यहूदी समुदाय के खिलाफ घृणा अपराधों में वृद्धि हुई है.

उन्होंने माना है कि सोशल मीडिया और इंटरनेट इन घृणा अपराधों को बढ़ाने में मददगार हैं.

इजराइल के राष्ट्रपति रूवन रिवलिन ने  कहा कि जर्मनी द्वारा यहूदियों को पारंपरिक किप्पा टोपी पहनने से खतरे की चेतावनी देना यहूदी विरोधी भावनाओं के सामने घुटना टेकना है और यह इस बात का सबूत है कि वहां यहूदी असुरक्षित हैं.

रिवलिन ने कहा कि क्लीन की टिप्पणी से वह स्तब्ध हैं. वैसे तो वह यहूदी समुदाय के प्रति जर्मन सरकार की प्रतिबद्धता को स्वीकारते हैं लेकिन उनका आरोप है कि वह यहूदियों को निशाना बनाने वालों के सामने झुक गयी है.

उन्होंने कहा, ‘‘ जर्मन यहूदियों की सुरक्षा के बारे में डर यहूदी विरोधी भावनाओं के सामने घुटना टेकना है और इस बात की स्वीकारोक्ति है कि एक बार फिर जर्मन धरती पर यहूदी सुरक्षित नहीं है.’’

उन्होंने कहा, ‘‘हम कभी नहीं झुकेंगे, हम अपनी नजरें नहीं झुकायेंगे, हम यहूदी विरोधी भावनाओं के सामने घुटना नहीं टेकेंगे. हम आशा और मांग करते हैं कि हमारा सहयोगी भी ऐसा ही करें.’’

जर्मनी में अमेरिका के राजदूत रिचर्ड ने भी क्लीन के बयान की आलोचना की है.

उन्होंने ट्वीट किया, “आप अपनी किप्पा टोपी पहनें, अपने दोस्तों की किप्पा पहनें, अपने यहूदी पड़ोसियों के लिए किप्पा उधार लें और उसे पहनें, लोगों को शिक्षित करें कि हम एक विविधापूर्ण समाज के हिस्सा हैं.”

जर्मनी में सेन्ट्रल काउंसिल ऑफ ज्यूस के अध्यक्ष जोसेफ शेश्यूटर ने इस फैसला का स्वागत करते हुए कहा है कि सरकार ने स्थिति की गंभीरता को समझा है. उन्होंने कहा कि यहूदी की तरह दिखने पर कुछ शहरों में वह गंभीर खतरों का सामना करते हैं.

पिछले कुछ साल में यूरोप के देशों में धुर दक्षिणपंथी पार्टियों के उभार के साथ ही यहूदी विरोधी घृणा अपराधों के साथ अन्य तरह के कट्टरपंथ को बढ़ावा मिला है. जर्मनी के संसद में धुर दक्षिणपंथी एएफडी पार्टी ने संसद में पहुंचने के बाद दूसरे विश्व युद्ध में अत्याचारों के खिलाफ पश्चाचित के भाव को खत्म करने की पैरवी की थी.

विक्टर ओबेरॉन की राष्ट्रवादी सरकार पर यहूदियों के प्रति घृणा भाव रखने के आरोप लगते रहे हैं. वह यहूदी मूल के नेताओं पर हमलावर रहे हैं. हालांकि ओबेरॉन इस आरोप को खारिज करते हैं. वह अपराधों के पीछे मुस्लिम बहुल देशों से आये प्रवासियों को जिम्मेदार ठहराते रहे हैं.

बर्लिन की शीर्ष कानूनी विशेषज्ञ क्लाउडिया वनोनी कहती हैं कि यहूदियों के खिलाफ घृणा जर्मनी के समाज में गहरे तक जड़े जमाईं रही हैं.

वह कहतीं हैं, “यहूदियों के खिलाफ घृणा का भाव यहां हमेशा से रहा है, लेकिन मैं सोचती हूं कि हाल के दिनों में यह बढ़ा है और उग्र रूप से खुलेआम हो रहा है.”

वह कहती हैं कि ऑनलाइन प्लेटफार्म पर लोग अपनी पहचान छुपा कर घृणा को बढ़ावा दे रहे हैं.

कानून मंत्री कैटेरिन बार्ले ने एक समाचार पत्र को दिए साक्षात्कार में कहा कि यहूदियों के खिलाफ घृणा अपराध में वृद्धि देश के लिए शर्म की बात है.

पूर्व कानून मंत्री सेबिन ल्यूथेसर चाहते हैं कि यहूदी अपने धर्म के साथ कानून पर भरोसा करके बेखौफ रहें. लेकिन दक्षिणपंथ के उभार के साथ क्या कट्टरपंथ पर लगाम लग पाएगा यह बड़ा सवाल जर्मनी सहित पूरे यूरोप के लिए यक्ष प्रश्न की तरह है?


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