गुजरात के जज का आदेश, दलितों को दिया गया मुआवजा वापस लो
2018 के बाद से गुजरात के बानसकंठा जिले के एक विशेष जज ने एससी/एक्ट के तीन अलग मामलों में सामाजिक कल्याण विभाग को दलित शिकायतकर्ताओं को दिए गए मुआवजे को वापस लेने का आदेश दिया है.
विशेष न्यायाधीश के इस आदेश के बाद गुजरात सरकार पशोपेश में है. सामाजिक न्याय विभाग का कहना है कि ऐसा कोई कानूनी प्रावधान मौजूद नहीं है, जिसके तहत एक बार दिए गए मुवाआजे को वापस लिया जा सके. हालांकि, गुजरात सरकार ने इस संबंध में हाई कोर्ट में याचिका दायर करने का फैसला किया है.
विशेष न्यायाधीश चिराग मुंशी ने तीनों मामलों में टिप्पणी करते हुए कहा है कि एससी/एसटी एक्ट के तहत मुआवजा लेने के लिए दायर की जाने वालीं गलत शिकायतों के खतरे को सरकार नजअंदाज नहीं कर सकती है. इन तीन मामलों में दो ऐसे हैं, जिनमें दलित महिलाओं ने उच्च जाति के व्यक्तियों पर छेड़खानी के आरोप लगाए हैं.
8 फरवरी, 2019 को दिए गए एक निर्णय में विशेष न्यायाधीश ने शिकायत को गलत ठहराते हुए बानसकंठा के डीएम और सामाजिक कल्याण विभाग के उप-निदेशक को आदेश दिया कि वे शिकायतकर्ता को मुआवजे के तौर पर दी गई को रकम को वापस लें, इसके लिए जरूरी कानूनी कार्रवाई का सहारा लें.
जिन दो मामलों में शिकायतकर्ता दलित महिलाएं थीं, उन्हें गलत बताते हुए आरोपियों को छोड़ दिया गया. वहीं तीसरे मामले में, जिसमें एक दलित युवक ने एक उच्च जाति के व्यक्ति पर उसकी पत्नी को घायल करने और जातिसूचक शब्द कहकर अपमानित करने का आरोप लगाया, आरोपी को एससी/एसटी एक्ट के तहत छोड़ दिया गया. हालांकि, आरोपी को खतरनाक ढंग से गाड़ी चलाने और महिला को घायल करने का दोषी पाया गया.
असल में एससी/एसटी एक्ट के तहत सरकार पीड़ित को मुआवजा देती है. यह मुआवजा मामले की गंभीरता पर निर्भर करता है. हत्या के मामले में यह 8.25 लाख रुपये है. बलात्कार और सामूहिक बलात्कार के मामले में यह 5 लाख रुपये है. छेड़खानी के मामले में यह 2 लाख रुपये. धार्मिक या सांस्कृतिक स्थल में प्रवेश ना करने देने और जातिसूचक शब्द कहने पर यह मुआवजा एक लाख रुपये है.
सामान्य तौर पर एफआईआर दर्ज होते समय मुआवजे के 25 प्रतिशत हिस्से का भुगतान कर दिया जाता है. आरोपपत्र दाखिल होते समय 50 प्रतिशत और शेष हिस्सा तब दिया जाता है जब ट्रायल कोर्ट में दोष सिद्ध हो जाता है. सरकारी आंकड़ों के अनुसार अक्टूबर 2018 से मई 2019 के बीच एससी/एसटी एक्ट के तहत 16.88 करोड़ रुपये मुआवजे के तौर पर दिए गए.