सरकार के पास किसानों की आय वृद्धि और आत्महत्या का डेटा नहीं


agriculture sector need some special provisions in budget

 

किसानों की स्थिति को लेकर देश में जारी बहस के बीच पिछले पांच वर्षो में कृषि परिवारों की आय में वृद्धि का कोई तुलनात्मक अनुमान उपलब्ध नहीं है. राष्ट्रीय प्रतिदर्श सर्वेक्षण कार्यालय (एनएसएसओ) ने साल 2013 के बाद से कृषि परिवारों की स्थिति के आकलन का कोई सर्वेक्षण नहीं किया है.

सरकार के पास पिछले तीन साल में किसानों की आत्महत्या का कोई आंकड़ा नहीं है. राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) ने साल 2015 के बाद से खेती से जुड़े परिवारों की आत्महत्या के आंकड़ों को प्रकाशित नहीं किया है.

बजट सत्र के दौरान एक प्रश्न के लिखित उत्तर में कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय ने यह बात बताई.

एनएसएसओ ने आखिरी ‘कृषि परिवारों की स्थिति का आकलन सर्वेक्षण’ कृषि वर्ष जुलाई 2012 से जून 2013 में किया था.

मंत्रालय ने कहा, ‘‘एनएसएसओ ने साल 2013 के बाद ऐसा कोई सर्वेक्षण नहीं किया, इसलिये साल 2014 से 2018 के दौरान कृषि परिवारों की आय में वृद्धि के तुलनात्मक अनुमान उपलब्ध नहीं हैं .’’

कृषि मंत्रालय ने बताया, ‘‘साल 2022 तक किसानों की आय को दोगुना करने संबंधी अंतर-मंत्रालयी समिति की उपलब्ध रिपोर्टो के अनुसार समिति ने कृषि परिवारों की स्थिति का आकलन सर्वेक्षण की 70वीं पारी के इकाई स्तरीय आंकड़ों से प्राप्त कृषि परिवारों की आय के अनुमानों को आधार माना है.’’

यानि सरकार ने पूर्व के डाटा के आधार पर ही अनुमान लगा लिया है.

मंत्रालय ने बताया कि सरकार ने कृषि वर्ष जुलाई 2018 से जून 2019 के संदर्भ में अगला ‘कृषि परिवारों की स्थिति का आकलन सर्वेक्षण’ संचालित करने का निर्णय किया है.

कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय ने सदन को बताया कि गृह मंत्रालय के अंतर्गत राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) ‘भारत में दुर्घटनावश मृत्यु और आत्महत्याएं’ शीर्षक वाले अपने प्रकाशन में आत्महत्याओं के बारे में सूचनाओं को संकलित और प्रसारित करता है. साल 2015 तक की आत्महत्याओं संबंधी ये रिपोर्ट इसकी वेबसाइट पर उपलब्ध है. साल 2016 से आगे की रिपोर्ट अभी तक प्रकाशित नहीं हुई है.

‘भारत में दुर्घटनावश मृत्यु और आत्महत्याएं’ रिपोर्ट के अनुसार, साल 2014 के दौरान कृषि क्षेत्र में शामिल कुल 12,360 व्यक्तियों ने आत्महत्याएं की, जिसमें 5650 किसान और 6710 कृषि मजदूर शामिल हैं.

रिपोर्ट के मुताबिक साल 2015 में कृषि क्षेत्र में शामिल कुल 12,062 लोगों ने आत्महत्या की, जिसमें 8007 किसान और 4595 कृषि श्रमिक शामिल हैं.


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