ऑयल बॉन्ड भुगतान का एक और सरकारी झूठ


PUCL presented charge sheet against central govt

 

पार्टियां राजनीतिक लाभ के लिए किस कदर जनसाधारण में झूठ फैलाती हैं, इसका एक नमूना फिर से सामने आया है. ये सिर्फ आरोप नहीं है बल्कि तथ्य है कि मोदी सरकार ने ऑयल बॉन्ड को लेकर आम जन को ना सिर्फ अंधेरे में रखा  बल्कि झूठा प्रचार किया.

दरअसल बीजेपी अक्सर दावा करती रही है कि उसने यूपीए सरकार की 1.5 लाख करोड़ ऑयल बॉन्ड की देनदारी चुकाई है. इस बात को बार-बार प्रचार के तौर पर पेश किया गया. इसे बीजेपी के आधिकारिक ट्विटर हैंडल से पब्लिक पोस्ट किया गया. यहां तक की पेट्रोलियम मंत्री ने भी अपने बयानों में इसका हवाला दिया. लेकिन क्या ये सच है? बिल्कुल नहीं.

फैक्टली नाम की एक फैक्ट चेंकिग वेबसाइट ने इस बात का खुलासा बजट के आंकड़ों का हवाला देते हुए किया था. अब राज्य सभा में एक सवाल के जवाब में मिले सरकारी उत्तर में कहा गया है कि सरकार ने केवल 3,500 करोड़ रुपये ऑयल बॉन्ड के भुगतान के रूप में चुकाए हैं.

ऑयल बॉन्ड्स हैं क्या, और क्यों जारी होते हैं

ऑयल बॉन्ड एक तरह की सरकारी प्रतिभूति है. इसका इस्तेमाल बाजार से पैसे उठाने के लिए किया जाता है. दरअसल सरकार को तेल पर सब्सिडी देनी होती है, जब तेल मंहगा हो जाता है तो खर्च काफी बढ़ जाता है. इससे सरकारी तेल कंपनियां घाटे में चली जाती हैं. जिसकी भरपाई के लिए पैसा चाहिए होता है, सरकार इस पैसे को बाजार से इकट्ठा करने के लिए बॉन्ड जारी करती है.

ये बॉन्ड्स एक निश्चित अवधि में पूरे हो जाते हैं, तब सरकार इसके धारक को इसकी लागत और ब्याज चुकाती है. इसे बॉन्ड की मेच्योरिटी अवधि कहते हैं. इनकी मेच्योरिटी अवधि अमूमन 10 से 20 साल होती है.

इसके पहले 2010 तक की सभी सरकारों ने ऑयल बॉन्ड्स जारी किए हैं.

कितनी देनदारी थी?

2014-15 के बजट में ये बात साफ तौर पर दर्शाई गई है कि उस समय तक एक लाख चौंतीस हजार चार सौ तेईस करोड़ रुपये के बॉन्ड जारी किए गए थे. यानी कि जब मोदी सरकार सत्ता में आई तब कुल 1,34,423 रुपये के बॉन्ड की देयता सरकार के माथे पर थी. मोदी सरकार के कार्यकाल में इनमें से सिर्फ दो बॉन्ड मेच्योर हुए. 2015 में मेच्योर हुए इन बॉन्ड पर 3,500 करोड़ की देयता थी. ये बात खुद सरकार ने राज्य सभा में स्वीकार की है. फिर सरकार ने दो लाख करोड़ कहां से चुका दिए, और सरकार ये क्या सोंच कर दावा किए जा रही थी. ये बात सरकारी झूठ का पर्दाफाश करती है.

राज्यसभा की वेबसाइट पर सरकार का 12 दिसंबर 2018 को दिया गया वो जवाब उपलब्ध है, जिसमें सरकार ने ये बात साफ कही है कि 1.3 लाख करोड़ की देयता अभी तक बाकी है.


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