माओवादियों के खिलाफ निर्णायक कदम उठाने की तैयारी में सरकार


government to take major action against maoists

 

वामपंथी उग्रवादियों के खिलाफ सरकार ठोस कदम उठाने की तैयारी में है. गृह मंत्रालय के दो वरिष्ठ अधिकारियों ने इसकी जानकारी दी है.

अधिकारियों ने कहा, “माओवादियों के खिलाफ निर्णायक कदम उठाया जाएगा. खासतौर पर दक्षिण भारतीय राज्यों में जहां बीते कुछ समय में माओवादी गतिविधियां बढ़ी हैं.” उन्होंने बताया, “इस माओवादी विरोधी अभियान में केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल और राज्य पुलिस बल साथ मिलकर काम करेंगी.”

यह फैसला वामपंथी उग्रवाद पर समीक्षा के लिए बुलाई गई उच्च स्तरीय बैठक में लिया गया. मंगलवार को हुई बैठक की अध्यक्षता गृह सचिव राजीव गौबा कर रहे थे.

गृह मंत्रालय की जानकारी के मुताबिक, हाल के वर्षों में माओवादी आंदोलन काफी कमजोर पड़ा है. आंदोलनों से होने वाली हिंसा में भी कमी आई है. हिंसा की वजह से प्रभावित जिलों की संख्या 91 से घटकर 58 हो गई है.

अधिकारी ने कहा, “इसके अलावा गृह मंत्रालय के आंकड़ों का विश्लेषण करने के बाद पता चला है कि माओवादियों से जुड़ी दो-तिहाई से भी ज्यादा हिंसा अब देश के 10 जिलों तक ही सीमित है.” उन्होंने कहा, “छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश ओडिशा और महाराष्ट्र उन राज्यों में से हैं जो माओवादी हिंसा से प्रभावित हुए हैं. माओवादी अब छत्तीसगढ़ के सुकमा, महाराष्ट्र के गढ़चिरौली, ओडिशा के मलकानगिरी और मध्य प्रदेश के बालाघाट तक सीमित है.”

हालांकि सुरक्षा एजेंसियों ने तमिलनाडु, कर्नाटक और आंध्र प्रदेश में माओवादी गतिविधियों के बढ़ने की तरफ इशारा किया है. केंद्र सरकार का जोर इस तरफ है कि माओवाद दक्षिण राज्यों में अपना पैर ना जमा पाएं.

अधिकारी ने बताया कि गृह मंत्रालय राज्य के साथ परामर्श करने के बाद इन क्षेत्रों में कोई हिंसा या आंदोलन होने से पहले ही पुलिस कार्रवाई करने के लिए तैयार है.

उन्होंने कहा, “माओवादियों के खिलाफ निरंतर कार्रवाई होने की वजह से वे कमजोर पड़े हैं. स्थानीय लोग भी अब इस समूह से नहीं जुड़ रहे हैं. हमें इसे आधार बनाकर काम करना चाहिए.”

अधिकारी ने जानकारी दी कि मंत्रालय ने माओवादियों के ताजा हमले के परिणामों को ध्यान में रखकर विभिन्न माओवादी प्रभावित राज्यों में अर्धसैनिक बलों की तैनाती की भी समीक्षा की.


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