सरकार ने हटाया राफेल सौदे से भ्रष्टाचार-विरोधी प्रावधान
अंग्रेजी दैनिक दि हिन्दू भारत और फ्रांस के बीच हुए राफेल सौदे में सरकार के दखल के दावे को लगातार तथ्यों से पुष्ट कर रहा है. उसने अपनी ताजा रिपोर्ट में बताया है कि सरकार ने सौदे के लिए हुए अंतर-सरकारी समझौते (आईजीए) से कई अहम प्रावधानों को ताक पर रख दिया.
इन प्रावधानों में एक प्रावधान भ्रष्टाचार होने की सूरत में दंड लगाने का था. वहीं, दूसरा प्रावधान एस्क्रो एकाउंट के जरिए डसॉल्ट एवियेशन को राफेल विमानों की आपूर्ति के बदले भुगतान करने से जुड़ा है.
एस्क्रो एकाउंट के जरिए खरीददार (भारत सरकार) सौदे के लिए भुगतान तीसरी पार्टी (फ्रांस सरकार) के जरिए करता है. ऐसा बड़ी रकम वाले सौदों में जोखिम कम करने के लिए किया जाता है.
हैरत की बात ये है कि फ्रांस सरकार से संचालित एस्क्रो एकाउंट के जरिए भुगतान का विकल्प वित्त सलाहकार सुधांशु मोहंती ने सरकार द्वारा संप्रभु गारंटी की शर्त हटा देने के बाद दिया था. लेकिन सरकार ने डसॉल्ट एवियेशन से सीधे संपर्क साधने के लिए इस विकल्प को भी दरकिनार कर दिया.
इन प्रावधानों का उल्लंघन इसलिए गंभीर हो जाता है क्योंकि रक्षा प्रसंस्करण प्रक्रिया (डीपीपी) के तहत रक्षा सौदों में इन प्रावधानों का पालन करना अनिवार्य होता है. ये प्रावधान व्यापक सौदे में आपूर्ति के नियमों से जुड़े होते हैं.
जाहिर है कि इसका सीधा लाभ भारत को राफेल विमानों की आपूर्ति करने वाली डसॉल्ट एवियेशन को मिला और इसके चलते वह सौदे के तहत अपनी जवाबदेही से पूरी तरह मुक्त हो गई.
दि हिन्दू ने अपनी खबर में आधिकारिक दस्तावेजों के हवाले से दावा किया है कि तत्कालीन रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर की अध्यक्षता में रक्षा अधिग्रहण काउंसिल (डीएसी) ने सितंबर 2016 में राफेल सौदे से जुड़े अंतर-सरकार समझौते (आईजीए) में आठ बदलावों को मंजूर किया. अखबार ने लिखा है कि आईजीए में होने वाले इन बदलावों को इससे पहले ही प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाली सुरक्षा पर कैबिनेट समिति ने 24 अगस्त, 2016 को मंजूरी दे दी थी. यानी कि भ्रष्टाचार और एस्क्रो एकाउंट से जुड़े प्रावधानों को दरकिनार करने का कार्य स्वयं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की देख-रेख में हुआ.
राफेल विमान सौदे पर दि हिन्दू अखबार की ओर से हो रहे लगातार खुलासों के इस सिलसिले से मोदी सरकार लगातार मुश्किलों में घिरती नजर आ रही है. अखबार ने इससे पहले 24 नवंबर 2015 की तारीख वाले रक्षा मंत्रालय का एक नोट के हवाले से यह दावा किया था कि पीएमओ की ओर से राफेल सौदे में किए गए दखल से रक्षा मंत्रालय और सौदे के लिए बने भारतीय खरीद दल की स्थिति कमजोर हुई.