जीएसटी संग्रह बढ़ाने के लिए विभिन्न पहलुओं पर विचार शुरू


govt officials discusses ways to revive tax collection

 

लक्ष्य से लगातार कम रहे कर संग्रह को बढ़ाने और जीएसटी की व्यवस्था की समीक्षा के लिए गठित राज्य और केंद्र की 12 सदस्यीय अधिकारियों की कमिटी ने शुक्रवार को बैठक की.

जानकारी के मुताबिक अधिकारियों ने ढांचागत परिवर्तन, स्वैच्छिक अनुपालन में सुधार (ऐसे नियम बनाने पर भी जोर होगा कि लोग स्वेच्छा से ही जीएसटी के दायरे में जुड़ना चाहें) आदि बिंदुओं पर विचार किया.

इन परिस्थितियों में माना जा रहा है कि केंद्र कर राजस्व में आ रही गिरावट से जल्द से जल्द निपटना चाहती है क्योंकि केंद्र ने राज्यों को भरोसा दिलाया है कि अगर संग्रह सालाना 14 फीसदी से कम रहता है तो उन्हें मुआवजा दिया जाएगा.

सितंबर महीने में जीएसटी संग्रह 19 महीने के सबसे निचले स्तर पर पहुंचकर 91,916 करोड़ रुपये रहा. जबकि सरकार का मासिक जीएसटी संग्रह लक्ष्य एक लाख 18 हजार करोड़ रुपये है. ऐसे में फिलहाल सरकार स्थिति में सुधार लाने को लेकर दबाव में है.

स्पष्ट किया गया है कि अधिकारियों की कमिटी कर की दरों में बढ़ोतरी का सुझाव नहीं देगी. नाम ना बताने की शर्त पर अधिकारी ने बताया कि ‘राजस्व बढ़ाने के लिए कर की दरों में बढ़ोतरी के अलावा सभी प्रमुख बिंदुओं पर विचार किया जाएगा.’

कल पुणे में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने उद्योग के लोगों, चार्टर्ड अकाउंटेंट, कंपनी सचिवों और वित्तीय क्षेत्र के गई अन्य अंशधारकों के साथ चर्चा की.

यहां उन्होंने कहा कि ‘हम अब जीएसटी की आलोचना नहीं कर सकते हैं. ये संसद और सभी राज्यों की विधानसभा में पारित हुआ है. इसमें गड़बड़ियों हो सकती हैं, इससे आपको कुछ परेशानी भी हो सकती है पर मुझे माफ कीजिए ये अब देश का कानून है.’

इससे पहले सितंबर में गोवा में हुई जीएसटी काउंसिल की 37वीं बैठक के बाद कैफीनयुक्त पेय पदार्थों पर जीएसटी 18 फीसदी से बढ़ाकर 28 फीसदी करने का फैसला लिया गया था.


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