कम आरटीआई आवेदन सरकार की सफलता दर्शाते हैं: अमित शाह


every single infiltrator will be thrown from country till 2024 says shah

 

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि मोदी सरकार का उद्देश्य ज्यादा से ज्यादा सूचनाओं को सक्रियता से सार्वजनिक पटल पर रखना है ताकि आरटीआई आवेदन दायर करने की जरूरत को कम किया जा सके.

शाह ने केंद्रीय सूचना आयोग (सीआईसी) के 14वें वार्षिक सम्मेलन में कहा कि आरटीआई आवेदनों की अधिक संख्या में किसी सरकार की सफलता नहीं छिपी होती.

कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि शिरकत करते हुए शाह ने कहा, ‘आरटीआई आवेदन दायर करने के सहज तरीके उपलब्ध होने के बावजूद उनकी संख्या कम होने का अर्थ है कि सरकार का काम संतोषजनक है. आरटीआई आवेदन ज्यादा होना सरकार की सफलता को नहीं दर्शाता.’

उन्होंने कहा, ‘हम एक ऐसा तंत्र लाना चाहते हैं जहां लोगों को सूचना पाने के लिए आरटीआई आवेदन दाखिल करने की जरूरत न महसूस हो.’

गृह मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा लाई गई ‘डैशबोर्ड’ प्रणाली ने सुनिश्चित किया कि हर किसी को बिना आरटीआई आवेदन दायर किए देश में जारी योजनाओं की ऑनलाइन जानकारी मिल सके.

उन्होंने कहा, ‘डैशबोर्ड के प्रयोग के जरिए, हमने एक नये पारदर्शी युग की शुरुआत की. एक व्यक्ति डैशबोर्ड पर जाकर देख सकता है कि कितने शौचालय बनाए गए. डैशबोर्ड का प्रयोग कर लोग जान सकते हैं कि सौभाग्य योजना के तहत बिजली कनेक्शन कब मिलेगा. एक निरक्षर महिला डैशबोर्ड पर क्लिक कर जान सकती है कि उसे गैस सिलेंडर कब मिलेगा.’

आरटीआई होना चाहिए इस बात पर जोर देते हुए शाह ने कहा कि सरकार पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए कानून से दो कदम आगे बढ़ गई है.

उन्होंने कहा, ‘सरकार ने प्रशासन का काम इतना पारदर्शी बना दिया है कि आरटीआई आवेदन दायर करने की बहुत कम जरूरत है. यह प्रणाली इस तरह से काम करेगी कि हमें आरटीआई आवेदनों को दाखिल करने की जरूरत न हो.’

गृहमंत्री ने कहा, ‘मेरा सीआईसी से एक अनुरोध है कि आप न सिर्फ आरटीआई आवेदनों का निपटान करें बल्कि लोगों को उन कदमों से भी अवगत कराएं जो सुनिश्चित करते हैं कि हमें आरटीआई आवेदन दायर करने की जरूरत नहीं है.’

शाह ने कहा कि कानून बनाने की पीछे की मंशा को पूरा करने में देश पिछले 14 साल से सफल रहा है. सूचना का अधिकार (आरटीआई) कानून बनाने के बीच मूल विचार व्यवस्था में लोगों का विश्वास बढ़ाना था.

उन्होंने कहा, ‘व्यवस्था संविधान के चार कोणों पर चलती है. कानून का मुख्य उद्देश्य लोगों में विश्वास पैदा करना है कि व्यवस्था संविधान के अनुसार चल रही है.

उन्होंने कहा, ‘संविधान और व्यवस्था में जब यह विश्वास जागृत रहता है, तो लोगों की सहभागिता अपने आप बढ़ जाती है जो देश को आगे ले जाती है. लेकिन जब अविश्वास होता है तो लोगों की सहभागिता मंद पड़ जाती है.’

उन्होंने कहा कि भारत जैसे देश में आवश्यक है कि शासन एवं व्यवस्था में लोगों का विश्वास एवं सहभागिता मजबूत हो.

गृह मंत्री ने कहा, ‘जब हम आरटीआई के परिणामों का आकलन करते हैं तो हम देखते हैं कि पारदर्शिता बढ़ी है, भ्रष्टाचार खत्म हुआ है और इस कानून की वजह से सुशासन की गति भी बढ़ी है. हम डिजिटल रूप से सशक्त समाज की तरफ बढ़ रहे हैं.’

सम्मेलन को संबोधित करते हुए प्रधान मंत्री कार्यालय, कार्मिक और लोक शिकायत राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह ने भारत सरकार द्वारा सूचना के अधिकार को मजबूत करने के लिए उठाए गए कदमों का विवरण दिया.

उन्होंने बताया कि आज सरकार ने आरटीआई आवेदन के लिए ऑनलाइन पोर्टल बना दिया है और आप ऑनलाइन भी आरटीआई दायर कर सकते हैं, जबकि 2014 से पहले ऐसा नहीं था. उनके अनुसार गत 5 साल में अधिक पारदर्शिता आई है जिससे कि आरटीआई लगाने की ज़रूरत ही कम हो गई है.

उन्होंने बताया कि 2019 में सितंबर तक 12 लाख शिकायतों का सफलतापूर्वक निस्तारण किया गया है. सिंह ने सरकार द्वारा आरटीआई को लेकर जागरूकता बढ़ाने हेतु कार्यक्रमों का विवरण दिया, परंतु साथ ही यह भी कहा कि आरटीआई का इस्तेमाल किसी भी गलत मकसद से नहीं होना चाहिए.

मुख्य सूचना आयुक्त सुधीर भार्गव ने कहा कि शासन में पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए आरटीआई बहुत महत्वपूर्ण कानून है.

उन्होंने कहा, ”आरटीआई कानून से लोगों को केवल सूचना मुहैया कराने में ही नहीं बल्कि सरकार के कामकाज और जवाबदेही में पारदर्शिता भी सुनिश्चित हुई है. ”

भार्गव ने कहा कि यह वार्षिक सम्मेलन हमें आरटीआई अधिनियम के कार्यान्वयन और हमारे लोकतांत्रिक मूल्यों को आगे बढ़ाने में मिली सफलता को प्रतिबिंबित करने और आत्मनिरीक्षण करने का अवसर प्रदान करता है.


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