खराब डेटा क्वालिटी का हवाला देकर सरकार ने खपत व्यय सर्वेक्षण को नकारा


govt scraps NSO consumer expenditure survey over data quality issue

 

राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) के खपत व्यय सर्वेक्षण (कंज्यूमर एक्सपेंडिचर सर्वे) 2017-18 के दस्तावेजों के आधार पर सामने आई मीडिया रिपोर्ट को सरकार ने ‘खराब डेटा क्वालिटी’ का हवाला देकर नकार दिया है.

कल अखबार बिजनेस स्टैंडर्ड की रिपोर्ट में सामने आया कि वित्त वर्ष 2017-18 में उपभोक्ता खर्च यानी रोजमर्रा की जरूरतों पर होने वाले खर्च में पिछले चार दशकों में सर्वाधिक कमी आई है. ग्रामीण क्षेत्रों में मांग में कमी की वजह से यह गिरावट देखने को मिली है.

सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय ने आधिकारिक बयान जारी कर कहा कि ‘खराब डेटा क्वालिटी को देखते हुए मंत्रालय ने 2017-18 खपत व्यय सर्वेक्षण जारी नहीं किया. मंत्रालय कोशिश कर रहा है कि सर्वे में डेटा इकट्ठा करने समेत पूरी प्रक्रिया में संशोधन के बाद अगला खपत व्यय सर्वेक्षण 2020-21 और 2021-22 में कराया जाए.’

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अखबार का दावा है कि यह सर्वे एनएसओ की ओर से जुलाई 2017 से जून 2018 के बीच किया गया था. सर्वे रिपोर्ट को 19 जून 2019 को जारी किया जाना था लेकिन ‘प्रतिकूल’ निष्कर्ष मिलने की वजह से सरकार ने इसे प्रकाशित नहीं किया.

मंत्रालय ने सफाई दी कि ‘मीडिया रिपोर्ट सर्वे के ड्राफ्ट के आधार पर लिखी गई हैं और इन्हें अंतिम निष्कर्ष नहीं मानना चाहिए.’

सरकार ने कहा कि सर्वे में इस बात को लेकर परेशानियां थी कि ये उपभोक्ताओं द्वारा सामाजिक सेवाओं पर खपत, जिसमें शिक्षा और स्वास्थ्य जैसी सुविधाएं शामिल हैं, को लेकर सटीक नहीं है.

इन बातों पर गौर करने के लिए गठित कमिटी ने सर्वे रिपोर्ट का निरीक्षण किया और इन परेशानियों को पाया. कमिटी ने इन अनियमितताओं को दूर करने के लिए सर्वे कार्यप्रणाली और ‘समवर्ती आधार’ पर डेटा क्वालिटी सुधारने के लिए सुझाव दिया है.

सरकार ने कहा कि भविष्य में सर्वे की कमियों को दूर करने के लिए कमिटी के सुझावों का अध्ययन किया जा रहा है.


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