गुजरात: बीते पांच साल में 333 फीसदी बढ़ा कृषि एनपीए


The voices of suppressed farmers in electoral noise

 

गुजरात में कृषि क्षेत्र का बेतहाशा बढ़ता नॉन परफॉर्मिंग एसेट्स (एनपीए) बैंकों के लिए परेशानी का सबब बनता जा रहा है. इंडियन एक्सप्रेस में छपी खबर के मुताबिक, स्टेट लेवल बैंकर्स कमिटी (एसएलबीसी) के आंकड़े बताते हैं कि पिछले पांच साल में राज्य का कृषि एनपीए 333 फीसदी बढ़ा है.

आंकड़ों से पता चलता है कि राज्य में बीते साल एनपीए में 30 फीसदी का उछाल हुआ.

नाबार्ड ने उम्मीद जताई है कि चालू वित्त वर्ष के दौरान एनपीए अनुमानित छह फीसदी के उच्च स्तर पर बना रहेगा.

इस बारे में नाबार्ड के चीफ जनरल मैनेजर सुनील चावला ने बताया कि “संसदीय समिति के साथ साझा किए गए आंकड़े बताते हैं कि साल 2018-19 में गुजरात में कृषि एनपीए छह फीसदी से ज्यादा रहेगा. हम इसे बेहद खराब स्थिति नहीं कह सकते, पर ये चिंताजनक जरूर है.”

कृषि क्षेत्र में एनपीए के सही आंकड़े मार्च में बैंकों की सालाना घोषणा के बाद ही सामने आते हैं. ऐसे में नाबार्ड का ये अनुमान कितना सही है, ये वित्त वर्ष की समाप्ति पर की जाने वाली बैंक घोषणाओं के बाद ही स्पष्ट हो पाएगा.

एसएलबीसी के आंकड़ों से पता चलता है कि गुजरात में साल 2013 सिंतबर से लेकर सितंबर 2018 के दौरान एनपीए में भारी उछाल आया है. इस अवधि के दौरान कृषि एनपीए में 4,170 करोड़ रु का उछाल दर्ज किया गया. जबकि फसल ऋण से जुड़े एनपीए में 1,728 करोड़ रु की बढ़ोत्तरी हुई.

कुल बकाया ऋण की तुलना में एनपीए का प्रतिशत भी इस दौरान बढ़ा. यह 2.8 फीसदी से बढ़कर सितंबर 2018 में 6.56 फीसदी हो गया.

बैंकिंग सेक्टर के जानकार एनपीए में बीते साल हुई 30 फीसदी की बढ़ोतरी के लिए सूखे को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं. वहीं कुछ का मानना है कि राज्य और केंद्र सरकारों की ऋण सब्सिडी के बाद किसानों को केवल मूल धन ही चुकाना होता है. उनका कहना है कि सब्सिडी के बाद ऋण दर शून्य फीसदी रह जाती है, ऐसे में किसानों का ऋण न चुका पाना किसी और परेशानी की ओर इशारा कर रहा है.

दरअसल राज्य में व्यापक स्तर पर पड़े सूखे के कारण करीब 96 तहसीलों में एनपीए का प्रतिशत पिछले एक साल में काफी बढ़ा है. सितंबर 2017 में एनपीए 4,161 करोड़ रु था, जिसमें इस साल 30 फीसदी का उछाल दर्ज किया गया है.

देना बैंक के एक उच्च अधिकारी ने बताया कि “बीते साल सूखे के कारण काफी बड़े स्तर पर फसलें  खराब हुई थीं. जिसके कारण एनपीए में काफी उछाल दर्ज किया गया.”

हालांकि कृषि क्षेत्र में बढ़ा हुआ एनपीए बैंकर्स के लिए हैरानी की बात रही. देना बैंक के ही एक अधिकारी ने बताया कि “फसलों पर दिए जाने वाले ऋण पर अमूमन 9 फीसदी का ऋण वसूला जाता है. लेकिन गुजरात और केंद्र सरकार की ऋण सब्सिडी के बाद ये शून्य फीसदी रह जाता है. ऐसे में किसानों का ऋण न चुका पाने की समस्या में कहीं कुछ बड़ी परेशानी है.”


Big News