कौन हैं सरकार के विरोध में इस्तीफा देने वाले हेमंत कुमार?


hemant kumar resigns after government refuse jignesh mevani's program

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गुजरात के एक कॉलेज के प्रिंसिपल ने हाल ही में सरकार के तानाशाही रवैये के चलते अपने पद से इस्तीफा दे दिया था. खबरों के मुताबिक हेमंत कुमार शाह नाम के ये अध्यापक कभी आरएसएस के चहेते लोगों में से थे. हेमंत आरएसएस के एक संगठन ‘स्वदेशी जागरण मंच’ की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य थे.

हेमंत शाह ने युवा नेता जिग्नेश मेवानी के कार्यक्रम को रद्द करने के विरोध में अपने पद से इस्तीफा दे दिया था. उनके इस्तीफे के बाद कॉलेज के उप प्रधानाचार्य ने भी इस्तीफा दे दिया था.

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शाह राजनीति शास्त्र में पोस्ट ग्रेजुएट हैं. अपने छात्र जीवन के दौरान वो जेपी आंदोलन में भी सक्रिय रहे हैं. वो जेपी की छात्रालय संघर्ष वाहिनी से जुड़े थे. शाह ने पत्रकार के रूप में भी काम किया है.

इंडियन एक्सप्रेस शाह के हवाले से लिखता है, “मैं आरएसएस के कोर ग्रुप का सदस्य था और जब तक उदारीकरण, वैश्वीकरण और निजीकरण का विरोधी रहा तब तक आरएसएस का प्रिय भी था.” उन्होंने बताया कि 2008 के बाद मैंने स्वदेशी जागरण मंच की बैठकों में भाग लेना बंद कर दिया

जब शाह से पूछा गया कि उनके विचारों में बदलाव कैसे आया, तो उन्होंने कहा, “आरएसएस का संगठन एकतरफा था, वो सिर्फ मनमोहन सिंह की नीतियों का विरोध करते थे, वे वसुधंरा राजे, नरेंद्र मोदी और शिवराज चौहान के विरोध में कुछ नहीं बोलते थे.”

शाह कहते हैं,  “2002-03 में जब मैंने मोदी की तानाशाही के खिलाफ बोलना शुरू किया तो उन लोगों को मुझसे समस्या होने लगी”

हेमंत शाह बताते हैं कि 2001 में उन्होंने एक स्थानीय समाचार पत्र में एक कॉलम लिखा था. इसमें उन्होंने मोदी सरकार की समरस योजना की आलोचना की थी.

 वो कहते हैं, “जिस दिन मेरा वो लेख छपा उसी दिन मुझे एडिटर का फोन आया. उसने मुझे नरेंद्र मोदी के खिलाफ ना लिखने की सलाह दी”.

उनके एक मित्र और सहयोगी कहते हैं, “एक विशुद्ध गांधीवादी होने के नाते 2002 के गुजरात दंगों को लेकर जिस तरह का रवैया सरकार ने दिखाया उससे उनको बहुत दुख पहुंचा था.”

हेमंत शाह करीब 14 साल तक पत्रकारिता से जुड़े रहे हैं इस दौरान उन्होंने इंडियन एक्सप्रेस और टाइम्स ऑफ इंडिया के साथ काम किया है. शाह ने लगभग 55 किताबों का लेखन कार्य भी किया है. इसमें से एक किताब जिसका नाम ‘सच्चाई गुजरात की’ है काफी चर्चित रही है और उनकी सबसे ज्यादा बिकने वाली किताब है. ये किताब 2014 के लोकसभा चुनाव से पहले रिलीज हुई थी.

इसके अलावा उन्होंने गुजरात सरकार की तमाम योजनाओं का खुलकर विरोध किया है.

हेमंत शाह के इस्तीफे को उनके आलोचकों ने राजनीतिक स्टंट भी बताया. इसका जवाब देते हुए उन्होंने कहा, “मैं पहले से ही लोकप्रिय हूं. कोई भी ऐसा स्थानीय या राष्ट्रीय चैनल या नहीं है जहां मैं मेहमान के तौर पर ना गया हूं. मैं किसी राजनीतिक ताकत की तलाश में नहीं हूं. तब ये कैसे राजनीतिक स्टंट हो सकता है.”

उन्होंने कहा कि जब कांग्रेस सरकार होगी तब भी वो इसी तरह आलोचना करते रहेंगे.


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