गृह मंत्रालय ने उठाया हिंदी को बढ़ावा देने का बीड़ा


home ministry stresses government departments in adoption of hindi

 

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि जब उन्होंने अपना पदभार संभाला था तब मंत्रालय में 10 फीसदी से भी कम फाइलें हिंदी भाषा में होती थीं. लेकिन, आज यह बढ़कर 60 फीसदी हो गई हैं.

उन्होंने यह बात शनिवार 14 अगस्त को हिंदी दिवस के मौके पर आयोजित एक कार्यक्रम में कही.

उन्होंने कहा, ‘मैं गृह मंत्रालय में काम करता हूं. जब मैं यहां आया था तो 10 फीसदी से भी कम फाइलें हिंदी में हुआ करती थीं. लेकिन अब यह 60 फीसदी हो गई हैं. अगर हर मंत्रालय इस तरह का बदलाव लाएंगे तो हम हिंदी भाषा को बढ़ावा देने में कामयाब होंगे.’

दिल्ली में हुए कार्यक्रम में शाह ने दर्शकों में बैठे सभी मंत्रालय के सचिवों को संबोधित करते हुए यह बात कही.

मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया कि शाह कागजात और दस्तावेज को विस्तार से पढ़ने के लिए जाने जाते हैं. शाह कुछ लिखने के लिए अधिकारियों पर निर्भर नहीं रहते हैं. उनके ऑफिस में आने के बाद चार-पांच स्टाफ सदस्य फाइलों को इंग्लिश से हिंदी में अनुवाद करने के काम पर लग गए ताकि विषय को अच्छे से समझा जा सके. उन्होंने इस बात पर विशेष रूप से जोर दिया कि कार्यक्रम के लिए पहले प्रेस विज्ञप्ति हिंदी में जारी हो और प्रेस को जारी करने से पहले शाह ने ड्राफ्ट को खुद ही देखा था.

एक अन्य अधिकारी ने कहा, ‘कई दशकों से मंत्रालय में जटिल आंतरिक सुरक्षा के मामलों में फाइलों को लिखने का काम इंग्लिश में किया जाता था.’

अमित शाह से पहले रहे गृह मंत्री राजनाथ सिंह जो कि उत्तर प्रदेश के रहने वाले हैं, उन्होंने भी कामकाज की जगहों पर हिंदी को बढ़ावा देने पर जोर दिया था. लेकिन खुद हिंदी के इस्तेमाल का दायरा सीमित रखते हुए वह सिर्फ फाइलों पर दस्तखत हिंदी में करते हैं.

एक अन्य अधिकारी ने कहा, ‘जो फाइलें नौकरशाह तैयार करते हैं, वह अंग्रेजी में होती हैं. फिर शाह उन फाइलों का हिंदी में उनुवाद करवाते हैं ताकि उस संबंध में फैसला ले सकें. वो पूरी तरह से अधिकारियों पर निर्भर नहीं रहते हैं.’

मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल में हिंदी के इस्तेमाल पर खास जोर देना साफ नजर आ रहा है. इसमें कोशिश में शाह के अलावा कई अन्य भी शामिल हैं. स्वास्थ्य मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा कि उन्हें किसी प्रकार का लिखित में आदेश नहीं दिया गया है कि हिंदी का ही इस्तेमाल करना है. लेकिन, लोगों के बीच हिंदी का इस्तेमाल बढ़ रहा है इसका प्रमाण यह है कि कई अधिकारी फाइलों को लिखने का काम हिंदी में कर रहे हैं और कई आधिकारिक पत्राचार भी हिंदी में आ रहे हैं.

अधिकारी ने कहा, ‘देखिए, कोई भी भाषा के खिलाफ नहीं है. लेकिन जब आबादी का एक बड़ा हिस्सा एक भाषा के प्रति सहज है, ऐसे में इसे सामान बनाए रखने की जरूरत है. इसके अलावा इस मंत्रालय के कुछ प्रमुख सहयोग हैं, शोध-आधारित नीति-पत्र, डेटा-संचालित जानकारी जो लोगों के एक बहुत बड़े समूह को कवर करती है. इसलिए यह जरूरी हो जाता है कि सूचना और संदेश भाषा की बाधाओं के बीच से गायब ना हो जाएं.’

एक सरकारी मेडिकल कॉलेज के वरिष्ठ चिकित्सक और प्रोफेसर ने नाम ना बताए जाने की शर्त पर कहा, ‘अंग्रेजी सभी चिकित्सा अध्ययनों के लिए शिक्षा का माध्यम है और हमारे स्नातकोत्तर विद्यापर्थी उच्च शिक्षा पाने और अनुसंधान के लिए विदेश जाते हैं क्योंकि उनकी भाषा पर पकड़ मजबूत होती है. निजी तौर पर जब हम मरीजों को देखते हैं तो पाते हैं कि वे सब अपनी-अपनी मातृभाषा या क्षेत्रीयभाषा में सहज होते हैं. भाषा को थोपना नहीं चाहिए. यह अपनी-अपनी पसंद का मामला होना चाहिए. ‘

एक अन्य वरिष्ठ डॉक्टर ने ध्यान दिलाने के उद्देश से बताया कि चिकित्सा क्षेत्र में सभी किताबें अंग्रेजी में उपलब्ध होती हैं. और इससे भारतीय विद्यार्थियों को उनके विषय में धार मिलती है. उन्होंने कहा, ‘चीन ने भी अब मेडिकल कोर्स की किताबें अंग्रेजी में उपलब्ध करवानी शुरू कर दी है. इससे उनके विद्यार्थियों को जल्दी नौकरियां मिलती हैं. इसके अलावा वह उच्च शिक्षा पाने के लिए विदेश भी जाते हैं. लगभग सभी अनुसंधान अंग्रेजी में उपलब्ध है और यह अब एक बहुत ही एकजुट करने वाली भाषा है.’

उन्होंने कहा मानव संसाधन एवं विकास मंत्री रमेश पोखरियाल संस्कृतनिष्ठ हिंदी में बात करते हैं. यहां तक कि उन संस्थानों में भी जहां शिक्षा का माध्यम हिंदी है, जैसे भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान.

आधिकारिक भाषा अधिनियम 1963 के तहत अंग्रेजी केंद्र और राज्यों के बीच संचार के माध्यम के रूप में इस्तेमाल की जाएगी, उन्होंने हिंदी को आधिकारिक भाषा के तौर पर नहीं चुना था.

2015 में सरकार ने सभी मंत्रालयों और विभागों में हिंदी सलाहकार समिति का गठन किया था. इसका मकसद हिंदी का ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल करना था.

कुछ समय पहले सरकार ने अधिनियम के तहत एक आदेश जारी कर कहा था कि सभी सरकारी फाइलों को दोनों भाषाओं (हिंदी और अंग्रजी) में जारी किया जाए.


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