जम्मू-कश्मीर में मानवाधिकारों को लेकर अमेरिका ने चिंता जताई


765 detained relating to stone pelting after scrapping article 370

 

दक्षिण एशिया में मानवाधिकारों को लेकर अमेरिकी कांग्रेस उप-समिति में जम्मू-कश्मीर में भारत सरकार द्वारा अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद के हालातों पर सुनवाई हुई. सुनवाई में ट्रंप प्रशासन ने कांग्रेस उप-समिति को बताया कि जम्मू-कश्मीर में ‘मानवीय संकट’ पैदा हो गया है. प्रशासन ने साथ में यह भी कहा कि भारत के साथ अमेरिका के संबंध साझेदारी के हैं, अमेरिका भारत को किसी प्रकार का आदेश नहीं देना चाहता.

ट्रंप प्रशासन ने बताया कि पांच अगस्त के बाद अमेरिकी राजदूत जम्मू-कश्मीर जाना चाहते थे लेकिन भारत सरकार ने उन्हें इजाजत नहीं दी.

वहीं अनुच्छेद 370 हटाए जाने का अमेरिकी अधिकारियों ने समर्थन किया है. उन्होंने कहा कि अनुच्छेद 370 हटाए जाने का फैसला भारत की संसद में हुआ, जहां विपक्षी पार्टियों ने भी इसके समर्थन में वोटिंग की और अभी यह फैसला भारत के सुप्रीम कोर्ट में समीक्षा के लिए लंबित है.

दक्षिण एवं मध्य एशिया मामलों की अमेरिकी कार्यवाहक सहायक विदेश मंत्री एलिस जी वेल्स ने यह साफ किया कि अमेरिका अनुच्छेद 370 हटाए जाने पर कोई रुख अख्तियार नहीं कर रहा बल्कि जिस तरह इस कदम को लागू किया गया, उसे लेकर अमेरिका चिंतित है.

वहीं पाकिस्तान पर टिप्पणी करते हुए एलिस जी वेल्स ने कहा कि पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान से कहा गया है कि वे जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा जैसे आतंकी संगठनों पर जल्द से जल्द कार्रवाई करें और भारत और अफगानिस्तान विरोधी आंतकी संगठनों के खिलाफ पाकिस्तानी सेना वही रुख अपनाए जो पाकिस्तान विरोधी आतंकी संगठनों के खिलाफ अपनाती है.

अमेरिकी अधिकारियों ने कहा कि उन्होंने भारत सरकार के सामने जम्मू-कश्मीर के नागरिकों, नेताओं (तीन मुख्यमंत्रियों सहित) को हिरासत में लेने और इंटरनेट पर प्रतिबंध लगाने को लेकर लगातार चिंता जताई है.

अधिकारियों ने बताया कि उन्होंने भारत सरकार से मानवाधिकारों के संबंध में अपनी सुरक्षा प्राथमिकताओं को संतुलित करने के लिए कहा है.

लोकतंत्र, मानवाधिकार और श्रम के लिए सहायक विदेश मंत्री रॉबर्ट डेस्ट्रो ने अमेरिकी कांग्रेस की एक उप-समिति को बताया, ”अगस्त में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने क्षेत्र को सामान्य व्यवस्था में लाने की योजना की घोषणा की. हालंकि अभी तक स्थिति जटिल है.”

प्रमिला जयपाल, शीला जैक्सन ली, इल्लाह ओमर और दूसरे कांग्रेस सदस्यों ने कश्मीर में मानवाधिकारों को लेकर चिंता जताई. अनुच्छेद 370 के बाद कश्मीर में मानवाधिकारों पर सुनवाई के अलावा एनआरसी पर भी कांग्रेस की उप-समिति में चर्चा हुई.


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