संसद में गूंजा हैदराबाद बलात्कार का मामला, सभी दलों के सदस्यों ने की जल्द कार्रवाई की मांग


hyderabad rape and murder case all parliamentarians urge to punish criminals severely

 

हैदराबाद में पिछले सप्ताह एक महिला पशु चिकित्सक के साथ सामूहिक दुष्कर्म और उसकी हत्या की घटना को लेकर पूरे देश में आक्रोश है. इस बीच इस घटना की लोकसभा और राज्यसभा में विभिन्न दलों के सदस्यों ने निंदा की और ऐसे अपराधों के दोषियों को जल्द से जल्द फांसी की सजा देने के लिए कठोरतम कानून बनाने की मांग सरकार से की.

विभिन्न दलों के सदस्यों की मांग पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने लोकसभा में कहा कि इस विषय पर चर्चा होने के बाद सदस्यों की सहमति के आधार पर सरकार कठोर कानून बनाने के लिए तैयार है.

सदन में शून्यकाल में इस विषय को उठाते हुए कांग्रेस के उत्तम कुमार रेड्डी ने मांग की कि फास्ट ट्रैक अदालत बनाकर हैदराबाद की घटना के मामले में शीघ्र सुनवाई की जाए और दोषियों को जल्द से जल्द फांसी देने की दिशा में कार्रवाई की जाए.

उन्होंने कहा कि तेलंगाना में शराब बिक्री को लेकर राज्य सरकार की त्रुटिपूर्ण नीतियां भी इस तरह की घटनाओं के लिए जिम्मेदार हैं. उक्त घटना में भी आरोपी नशे में थे.

रेड्डी ने इस मामले में तेलंगाना के गृह मंत्री के इस बयान को असंवेदनशील बताया कि पीड़िता को अपनी बहन को फोन करने से पहले पुलिस को कॉल करना चाहिए था.

कांग्रेस सांसद ने कहा कि इस मामले में पुलिस ने भी पीड़िता के परिजनों को परेशान किया और उन्हें प्राथमिकी दर्ज कराने के लिए तीन थानों में जाना पड़ा. यदि पहले ही थाने में प्राथमिकी दर्ज हो जाती तो शायद लड़की जिंदा होती.

बीजू जनता दल के पिनाकी मिश्रा ने इस संबंध में निर्भया कांड का उल्लेख करते हुए कहा कि इस मामले में चार दोषियों को अभी तक फांसी पर नहीं लटकाया गया है जबकि उनकी पुनर्विचार याचिका भी खारिज हो चुकी है.

द्रमुक के टी आर बालू ने कोयंबटूर में 12 साल की बच्ची के साथ कथित सामूहिक दुष्कर्म का मुद्दा उठाया और केंद्र सरकार से इस तरह की घटनाओं को गंभीरता से लेने की मांग की.

उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार कार्रवाई करे और कानून व्यवस्था का विषय बताकर इसे राज्यों पर नहीं छोड़ा जाए.

तृणमूल कांग्रेस के सौगत राय ने मांग की कि हैदराबाद की घटना पर सदन संज्ञान ले और केंद्र सरकार तत्काल कठोर कानून लाकर दुष्कर्म के मामलों में केवल मौत की सजा का प्रावधान लाए.

तेलंगाना से बीजेपी के बी संजय कुमार ने दोषियों के खिलाफ तत्काल कठोर दंडात्मक कार्रवाई की मांग की.

उन्होंने कहा कि दोषियों को फांसी की सजा सुनाए जाने के बाद भी महीनों तक मामले लटके रहते हैं और अपराधियों को प्रोत्साहन मिलता है.

वहीं राज्यसभा में कांग्रेस के मोहम्मद अली खान ने कहा कि बलात्कार के दोषियों के खिलाफ सुनवाई की समय सीमा तय की जानी चाहिए, सुनवाई फास्ट ट्रैक अदालतों में होनी चाहिए और इस तरह की घटनाओं को सांप्रदायिक रंग नहीं दिया जाना चाहिए.

खान ने यह भी कहा कि हैदराबाद की घटना के आरोपी एक नहीं बल्कि चार समुदाय से हैं.

सपा की जया बच्चन ने कहा ”हैदराबाद में एक दिन पहले भी उसी जगह इसी तरह की घटना हुई थी. वहां के सुरक्षा प्रभारी को क्यों जवाबदेह नहीं बनाया जाना चाहिए? उनसे सवाल क्यों नहीं किए जाने चाहिए? उन्होंने अपनी जिम्मेदारी का समुचित तरीके से निर्वाह क्यों नहीं किया?”

जया ने कहा, ”बलात्कार के दोषियों के साथ किसी तरह की नरमी नहीं की जानी चाहिए, उन्हें सख्त सजा दी जानी चाहिए और उनके खिलाफ कार्रवाई सार्वजनिक तौर पर होनी चाहिए.”

राजद के प्रो मनोज कुमार झा ने कहा, ”इस तरह की दरिंदगी की घटनाओं पर राजनीतिक रुख नहीं रखा जाना चाहिए. ऐसी घटनाएं मानसिकता का भी सवाल उठाती हैं.”

उन्होंने कहा, ”यह बीमारी हर ओर है लेकिन सवाल यह भी है कि हर सोच की पुलिस पेट्रोलिंग कैसे होगी? ”

बीजेपी के आर के सिन्हा ने कहा ”आए दिन, देश के विभिन्न हिस्सों से इस तरह की घटनाओं की खबरें सुनने को मिलती हैं. आखिर हमारे संस्कार और शिक्षा कहां हैं?”

सिन्हा ने कहा ”हमारी कानून व्यवस्था ऐसी है कि मामले की सुनवाई के बाद मृत्युदंड की सजा सुनाई जाती है और अपीलों और दया याचिका का सिलसिला चल पड़ता है. आखिर निर्भया के मामले में यही हुआ.”

अन्नाद्रमुक की विजिला सत्यानंद ने कहा, ”महात्मा गांधी ने कहा था कि जब आधी रात को महिलाएं बिना किसी डर के आ जा सकेंगी, तब ही वास्तविक स्वतंत्रता होगी. ”

विजिला ने नशीली दवाओं को इस तरह की घटनाओं का एक कारण बताते हुए इन पर रोक लगाने, बलात्कार के मामलों की शीघ्र सुनवाई करने, दोषी को मृत्युदंड देने और सजा पर तामील की भी मांग की.

आम आदमी पार्टी के संजय सिंह ने कहा कि निर्भया मामले में पूरा देश सड़कों पर उतर आया था और कड़े कानून बनाए गए थे. लेकिन इन कानूनों पर सख्ती से अमल भी होना चाहिए. आज तक निर्भया की मां न्याय के लिए तरस रही हैं और लगभग हर दिन ऐसी घटनाएं होती ही जा रही हैं.”

सिंह ने बलात्कार के दोषियों के खिलाफ समयबद्ध सुनवाई, मृत्युदंड की सजा दिए जाने के अलावा जगह जगह सीसीटीवी कैमरे लगाए जाने और जोखिम वाली जगहों पर रोशनी की व्यवस्था किए जाने की मांग भी की.

तृणमूल कांग्रेस के सुखेन्दु शेखर राय ने कहा, ”हैदराबाद की घटना के बाद पुलिस ने प्राथमिकी दर्ज करने के लिए अधिकार क्षेत्र की बात की जबकि उच्चतम न्यायालय इस संबंध में स्पष्ट व्यवस्था दे चुका है. ऐसे मामलों में किसी भी थाने में प्राथमिकी दर्ज की जा सकती है. इस संबंध में गृह मंत्रालय को निर्देश देना चाहिए कि अगर प्राथमिकी दर्ज न की गई तो संबंधित पुलिस कर्मियों व अधिकारियों को निलंबित कर दिया जाएगा.”

बीजेपी के भूपेंद्र यादव ने ऐसी घटनाओं को, ”सभ्य समाज में चुभन” करार देते हुए कहा कि कामकाजी महिलाओं की सुरक्षा और उनके अधिकार हमारे सामाजिक एवं राजनीतिक दायित्वों में परिलक्षित होने चाहिए.’

बीजेडी के अमर पटनायक ने कहा, ”क्या कड़े कानूनों से समस्या का हल होगा. हैदराबाद की घटना हो ही नहीं पाती, अगर आरोपी को तब ही पकड़ लिया जाता जब उसके लाइसेंस की जांच की जा रही थी.”

बसपा के वीर सिंह ने कहा, ”देश में कई कामकाजी महिलाओं, निम्न वर्ग की महिलाओं, अनुसूचित जाति-जनजाति की महिलाओं तथा बच्चियों के साथ ऐसा हो रहा है लेकिन घटनाएं दब जाती हैं. जो सामने आती हैं, उनके बारे में पता चलता है.”

सीपीएम सदस्य टी के रंगराजन ने कहा कि हालात बताते हैं कि नैतिक शिक्षा का पतन हुआ है और मीडिया को इस पर ध्यान देना चाहिए.

टीआरएस के बंदा प्रकाश ने कहा ”अगर ऐसे मामलों में फास्ट ट्रैक अदालत में सुनवाई होती है और दोषी को मृत्यु दंड की सजा सुनाई जाती है तो वह ऊंची अदालत में जाता है और वहां उसकी सजा उम्र कैद में तब्दील कर दी जाती है. ऐसा नहीं होना चाहिए. सुनवाई जल्द होनी चाहिए, सख्त होनी चाहिए और समयबद्ध तरीके से होनी चाहिए.”

एमडीएमके सदस्य वाइको ने कहा, ”देश में महिलाओं को देवी कहा जाता है और वहीं दूसरी ओर उनके खिलाफ जघन्य अपराध भी हो रहे हैं. कड़े कदम उठाना समय की मांग है.”

शिरोमणि अकाली दल के नरेश गुजराल ने कहा, ”कानून तो है लेकिन लोगों में कानून का डर नहीं है. इसके लिए न्यायिक प्रणाली को मजबूत बनाना होगा और न्याय पालिका के रिक्त पदों पर तत्काल नियुक्तियां करनी होंगी. साथ ही पुलिस को भी संवेदनशील बनाना होगा.”

सीपीआई के विनय विस्वम ने कहा, ”निजी तौर पर मैं मृत्युदंड का समर्थक नहीं हूं लेकिन ऐसे मामलों में मैं मृत्युदंड की मांग करना चाहूंगा.”

राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी की सुप्रिया सुले ने कहा कि ऐसी घटनाओं से समाज में हमारा सिर शर्म से झुक जाता है. सदन पहले भी इस तरह के मामलों पर चर्चा में एक सुर में अपनी बात कह चुका है.

तेलंगाना राष्ट्र समिति की एम कविता ने कहा कि निर्भया कांड में अभी तक दोषियों को सजा नहीं मिली है.

उन्होंने इस मुद्दे पर सदन में व्यापक चर्चा कराने की और दोषियों को मृत्युदंड देने की मांग की.

अपना दल की अनुप्रिया पटेल ने हैदराबाद की घटना पर राज्य सरकार के रवैये को दुखद बताया और कहा कि राज्य के मुख्यमंत्री ने फास्ट ट्रैक अदालत के गठन में तीन दिन लगा दिए.

उन्होंने कहा कि इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए सदन में चर्चा होती है और कठोर कार्रवाई की मांग उठती है, लेकिन राज्य सरकारें और केंद्र सरकार कार्रवाई करने में नाकाम रही हैं.

पटेल ने कहा, ”हम यह कड़ा संदेश नहीं दे पा रहे कि हम इस तरह की घटनाओं को रोकने में सक्षम हैं.”

वाईएसआर कांग्रेस की गीता विश्वनाथ ने कहा कि इस तरह की घटनाओं पर राजनीति नहीं होनी चाहिए. उन्होंने कहा कि जिस तरह इस सरकार ने अनुच्छेद 370 जैसे फैसले लेने में दृढ़ इच्छाशक्ति दिखाई, उसी तरह सामूहिक दुष्कर्म की ऐसी घटनाओं पर भी कठोर कानून लाए ताकि अपराधियों के मन में डर बैठे.

शिवसेना के विनायक राउत ने कहा कि सरकार इसी सत्र में एक विधेयक लाए और ऐसे अपराधों के दोषियों को छह महीने के अंदर कड़ी से कड़ी सजा का प्रावधान हो.

हालांकि उनकी ही पार्टी के अरविंद सावंत एवं अन्य दलों के सदस्य कहते सुने गए कि छह महीने नहीं बल्कि 30 दिन में सजा दी जानी चाहिए.

बसपा के दानिश अली ने भी ऐसी घटनाओं पर राजनीति नहीं करने की बात कही.

तेलुगुदेशम पार्टी के राम मोहन नायडू ने भी कठोर कानून बनाने और कठोर सजा दिए जाने की मांग की.

कांग्रेस के डॉ टी सुब्बीरामी रेड्डी ने कहा, ”अपराधियों को डर नहीं है. उन्हें अपील करने का सभी समय मिलता है और वह बच भी जाते हैं. ऐसे मामलों में 15 से 20 दिन में सुनवाई होनी चाहिए तथा आगे अपील की गुंजाइश नहीं होनी चाहिए.”

बीजेपी के अश्विनी वैष्णव ने कहा, ”हमें उपनिवेशवाद की व्यवस्था को बदलना होगा जो आज तक चली आ रही है. साथ ही पुलिस बल को भी बढ़ाना होगा.”

राज्यसभा के सभापति वैंकेया नायडू ने कहा कि ऐसे मामलों की सुनवाई के लिए फास्ट ट्रैक अदालतें समाधान हैं लेकिन अपील, फिर अपील, उसके बाद फिर अपील… यह सिलसिला भी चलता है. ”क्या ऐसे व्यक्ति को माफी दिए जाने के बारे में सोचा जा सकता है? हमें कानूनी तंत्र में, हमारी न्यायिक प्रणाली में बदलाव के बारे में सोचना होगा.”

महिलाओं के खिलाफ अपराधों को ”निंदनीय” बताते हुए नायडू ने कहा कि हमें हमारी कानून व्यवस्था की और पुलिस व्यवस्था की खामियों को खोजना होगा.

उन्होंने कहा कि महिलाओं की मर्यादा एवं उनकी सुरक्षा को किसी भी तरह का खतरा नहीं होना चाहिए और अगर ऐसा होता है तो सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए. ”बहुत देर हो चुकी है. हमें नए विधेयक की जरूरत नहीं है. हमें जरूरत है तो राजनीतिक इच्छाशक्ति की, प्रशासनिक इच्छाशक्ति की और सोच बदलने की. इसके बाद ही हम इस सामाजिक बुराई को खत्म कर सकते हैं.”

सभापति ने यह भी सुझाव दिया कि महिलाओं के खिलाफ अपराध के दोषियों की तस्वीरें सार्वजनिक की जानी चाहिए ताकि उनके मन में डर बैठे.

वहीं लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने घटना की कड़े शब्दों में निंदा करते हुए कहा कि ऐसे अपराधों की रोकथाम के लिए कठोर कानून बनाए गए हैं जिन पर सदन की सहमति से पुनर्विचार किया जा सकता है लेकिन ऐसी घटनाओं की पुनरावृति भी नहीं होनी चाहिए.

लोकसभा अध्यक्ष ने हैदराबाद की घटना पर पूरे सदन की तरफ से दुख प्रकट करते हुए कहा कि सभी दलों के सदस्यों ने अपनी भावनाएं व्यक्त की हैं. उन्होंने कहा कि ऐसी घटनाएं और अपराध हमें चिंतित भी करते हैं और आहत भी करते हैं.

उन्होंने कहा कि सरकार ने देश के किसी भी राज्य में ऐसी घटनाओं पर कठोर कार्रवाई करने से अवगत करवाया है. ”किसी भी मां बेटी के साथ ऐसी घटनाओं की हम सभी एक स्वर में निंदा करते हैं.”

ओम बिरला ने कहा, ”सदन इस बात को लेकर चिंतित है कि ऐसी घटनाओं की किसी भी राज्य में पुनरावृति नहीं हो. ऐसी घटनाओं की रोकथाम के लिए कठोर से कठोर कानून बनाए गए हैं. आवश्यकता होगी तो सदन की सहमति से इन कानूनों पर पुनर्विचार भी किया जाएगा लेकिन ऐसी घटनाओं की पुनरावृति भी नहीं होना चाहिए.”


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